प्रधानमंत्री "मन की बात" में मध्यप्रदेश की छात्रा के पत्र को सराहा, सरस्वती स्कूल में पढ़ती है लडक़ी

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प्रधानमंत्री "मन की बात" में मध्यप्रदेश की छात्रा के पत्र को सराहा, सरस्वती स्कूल में पढ़ती है लडक़ी



प्रधानमंत्री "मन की बात" में मध्यप्रदेश की छात्रा के पत्र को सराहा, सरस्वती स्कूल में पढ़ती है लडक़ी



प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को 'मन की बात' कार्यक्रम में रायसेन के सरस्वती शिशु मंदिर की कक्षा दसवीं की छात्रा भावना सिरसाम का भी जिक्र किया और उसके द्वारा प्रेषित पत्र की सराहना की।
मोदी ने कहा कि भावना ने जिस तरह अपने पोस्टकार्ड को तिरंगे में सजाकर भेजा, वह मुझे बहुत अच्छा लगा। भावना ने पत्र में क्रांतिकारी शिरीष के बारे में लिखा है। गौरतलब है कि आजादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में राष्ट्रप्रेम से संबंधित विचार लिखकर करीब 70 लाख पोस्टकार्ड प्रधानमंत्री को देश भर से भेजे गए हैं। जिसमें से दस लाख पोस्टकार्ड मप्र से भेजे गए थे, उनमें से भावना के पोस्टकार्ड का चयन करते हुए प्रधानमंत्री ने मन की बात में इसका जिक्र किया। भावना के पिता महेश कुमार सिरसाम किसान हैं। वह सुल्तानपुर तहसील के ग्राम कमरोरा में निवास करते हैं। भावना कक्षा छठवीं से रायसेन के गोपालपुर स्थित रानी दुर्गावती आदिवासी छात्रावास में रहकर अध्ययन कर रही है।

पुलिस में भर्ती होने की चाहत

भावना ने 'नवदुनिया' से बातचीत में कहा कि मुझे अब भी यकीन नहीं हो रहा कि मेरे पत्र का प्रधानमंत्री मोदी जी ने 'मन की बात' में जिक्र किया। यह मेरे लिए बेहद खुशी की बात है। मुझे इसकी सूचना छात्रावास की अधीक्षक ममता यादव से मिली। भावना पुलिस में भर्ती होकर देश की सेवा करना चाहती हैं। आजादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में विद्यालय में पोस्ट कार्ड लिखवाए गए थे। जिसमें भावना ने क्रांतिकारी शिरीष के बारे में लिखा है। छात्रा ने बताया कि गांधी जी, सुभाष चंद्र बोस और बड़े क्रांतिकारियों को सभी जानते है, लेकिन शिरीष के बारे में बहुत कम लोगों को जानकारी है। इसलिए उन्होंने पुस्तक में से क्रांतिकारी शिरीष के बारे जानकारी अपनी पत्र में लिखी है। गुजरात के निवासी शिरीष ने विद्यार्थियों को देश की आजादी के लिए आंदोलन में भाग लेने के लिए प्रेरित किया था। जब शिरीष विद्यार्थियों को लेकर आंदोलन कर रहे थे तब अंग्रेज सेना ने बंदूकों के दम पर आंदोलन को दबाने का प्रयास किया और गोली लगने से शिरीष शहीद हो गए थे।

पिता महेश कुमार सिरसाम ने बताया कि उसके दो पुत्र व एक पुत्री भावना सबसे छोटी है। कक्षा एक से पांचवीं तक उसे बाड़ी आदिवासी छात्रावास में पढ़ाया है। कक्षा छठवीं से उसे रायसेन के सरस्वती शिशु मंदिर के छात्रावास में अध्ययन करने भेजा है। कोरोना संक्रमण के कारण विद्यालय व छात्रावास बंद होने से बच्ची गांव में घर पर ही अध्ययन कर रही है। पीएम मोदी ने बेटी का पत्र मन की बात में शामिल किया, इसकी उन्हें बहुत खुशी हो रही है। बेटी जितना भी आगे पढ़ना चाहेगी हम उसे उतना पढ़ाएंगे।

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