शहडोल संभाग में थम नहीं रहा रेत चोरों का आतंक,कमिश्नर की निष्क्रियता के कारण बढ़ी अव्यवस्था
सुधांशु द्विवेदी, भोपाल।
रेत सहित अन्य खनिजों का अवैध उत्खनन वैसे तो पूरे मध्यप्रदेश की ही लाइलाज बीमारी बन चुका है लेकिन प्रदेश के आदिवासी बहुल शहडोल संभाग में स्थिति ज्यादा विकट है जहां रेत माफियाओं के गुर्गों द्वारा ग्रामीणों की हत्या और मारने तक की धमकी दी जा रही है। शहडोल संभाग के ब्योहारी क्षेत्र में तो रेत माफियाओं का आतंक इतना ज्यादा है कि क्षेत्र के लोगों को कथित रेत ठेकेदारों के खिलाफ धरना- प्रदर्शन, आंदोलन तक करना पड़ रहा है। ग्रामीणों का गला रेतकर रेत का उत्खनन करने की मंशा पर काम कर रहे रेत माफिया इससे पहले कुछ साल पूर्व ब्योहारी के तत्कालीन तहसीलदार पर जानलेवा हमला भी कर चुके हैं इसके बावजूद क्षेत्र में रेत के अवैध उत्खनन पर रोक नहीं लग पाई तथा अब तो ऐसा प्रतीत होता है कि जैसे क्षेत्र में जिला खनिज अधिकारी की जगह रेत माफिया/ कथित रेत ठेकेदार ही खनिज विभाग की व्यवस्था संचालित कर रहे हों। ब्योहारी क्षेत्र की रेत खदानों में रेत का उत्खनन करने वाली वंशिका कंपनी केे गुर्गों के ब्योहारी क्षेत्र में फैले आतंक से जुड़ा एक वीडियो सामने आया है, जिसमें इस रेत उत्खनन कंपनी के गुर्गों से तंग लोग स्पष्ट तौर पर बता रहे हैं कि उक्त गुर्गे खुलेआम आदतन अपराधियों की शक्ल में स्थानीय रेत ठेकेदारों और क्षेत्र के ग्रामीण जनों को मां- बहन की गाली देते हैं तथा जान से खत्म करने की धमकी देते हुए कानून को खुली चुनौती दे रहे हैं। साथ ही शहडोल कलेक्टर को संबोधित करते हुए ग्रामीण आदिवासियों का एक पत्र भी सामने आया है, जिसमें बताया गया है कि वह रेत ठेकेदारों के आतंक से काफी भयभीत हैं। ग्राम चरकवाह और पोंड़ी के ग्रामीणों ने इस पत्र के माध्यम से कथित रेत ठेकेदार के गुर्गों के खिलाफ सख्त कार्यवाही की मांग उठाई है। इस बारे में ब्योहारी क्षेत्र के लोगों का कहना है कि ब्योहारी एसडीओपी भविष्य भास्कर, थाना प्रभारी अनिल पटेल तो हमेशा सक्रिय रहते हैं। इसी प्रकार एसडीएम ज्योति परस्ते, तहसीलदार ब्रह्मानंद शर्मा आदि की हमेशा जनहित में सक्रियता रहती है। लेकिन इसके बावजूद उक्त गुर्गों का आतंक इसलिये कम नहीं हो रहा है क्यों कि जिला खनिज अधिकारी की उक्त कथित रेत ठेकेदारों से मिलीभगत है तथा क्षेत्र के कुछ रेत खदानों का ठेका लेने वाली रेत उत्खनन कंपनी को पूरे क्षेत्र में ही मानो रेत की लूट का लाइसेंस दे दिया गया है। साथ ही संभाग स्तर की व्यवस्था शून्य है। आईजी शहडोल रेंज डीसी सागर तो जांबाज पुलिस अधिकारी हैं, उनके निर्देशन में विभागीय अमला हमेशा सक्रिय रहता है, जो कानून- व्यवस्था की प्रतिबद्धता का सशक्त आधार बन रहा है। शहडोल एसपी के काम की भी लोग तारीफ करते हैं। वहीं शहडोल कलेक्टर की संवेदनशीलता एवं तत्परता इतनी है कि वह मीडिया में आई खबरों के आधार पर ही ग्रामीणों को राशन उपलब्ध करा देती हैं तो फिर शहडोल संभाग के कमिश्नर राजीव शर्मा इस तरह से स्वस्फूर्त ऐक्शन क्यों नहीं लेते। अगर आईजी, कलेक्टर, एसडीएम तथा अन्य अधिकारी- कर्मचारी ही पूरा काम कर लेते हैं तो फिर कमिश्नर का उनके पद पर होने की उपयोगिता या औचित्य क्या है? देश प्रदेश में मौजूदा परिस्थितियों के हिसाब से देश के सर्वोच्च ताकतवर व्यक्ति सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिश एनवी रमना अगर न्याय एवं संविधान के हित में कई मामलों में स्वत: संज्ञान लेकर उत्कृष्टता की मिसाल प्रस्तुत कर देते हैं तो फिर ऐसी उच्च स्तरीय शक्तियों के मुकाबले शहडोल कमिश्नर शर्मा किस खेत की मूली हैं, जो कुशासनवादी आतंकियों और सभ्य समाज के कलंक रेत मािफयाओं के कारनामों से मुंह फेरने में ही अपनी शान समझते हैं। लोगों का यह भी कहना है कि ऐसे निष्क्रिय कमिश्नर के शहडोल संभाग में पदस्थ रहने का कोई औचित्य नहीं है।
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