MP: पंचायत चुनाव हुआ निरस्त राज्य निर्वाचन आयोग ने दी जानकारी, जानिए प्रत्याशियों की जमानत राशि का क्या होगा
भोपाल। मध्य प्रदेश के त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव निरस्त कर दिए गए हैं। राज्य निर्वाचन आयोग ने इसकी आधिकारिक जानकारी दे दी है।
इससे पहले आयुक्त बसंत प्रताप सिंह ने कहा था कि हम कानून के विशेषज्ञों से उनकी राय मांग रहे हैं। राज्य निर्वाचन आयोग ने दिनांक 4 दिसंबर 2021 को जारी की गई चुनाव अधिसूचना निरस्त कर दी है। इसी के साथ मध्य प्रदेश में लागू हुई चुनाव आचार संहिता भी समाप्त हो गई।
प्रत्याशियों की जमानत राशि वापस की जाएगी
सचिव राज्य निर्वाचन आयोग बीएस जामोद ने कहा, कानूनी राय के बाद राज्य निर्वाचन आयुक्त ने पंचायत चुनाव की पूरी प्रक्रिया को ही निरस्त कर दिया है। आयोग ने कहा है कि जिन कैंडिडेट ने नामांकन के साथ जमानत राशि जमा की है, उन्हें यह राशि वापस की जाएगी। इस फैसले के लिए आयोजित बैठक में जामोद के अलावा राज्य निर्वाचन आयुक्त बसंत प्रताप सिंह, प्रमुख सचिव पंचायत एवं ग्रामीण विकास उमाकांत उमराव सहित अन्य अधिकारी मौजूद रहे।
आयोग ने मध्य प्रदेश पंचायत राज एवं ग्राम स्वराज संशोधन अध्यादेश-2021 के आधार पर चार दिसंबर को त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव का कार्यक्रम घोषित किया था। इसमें वर्ष 2019 में पंचायतों के परिसीमन को निरस्त करके पुराने आरक्षण के आधार पर चुनाव कराए जा रहे थे, जिसे विभिन्न् याचिकाकर्ताओं द्वारा न्यायालयों में चुनौती दी गई थी। इसी याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए आरक्षित पदों के चुनाव पर रोक लगाते हुए शेष प्रक्रिया को जारी रखने के आदेश दिए थे।
इससे बने हालात को देखते हुए सरकार ने विधानसभा में सर्वसम्मति से ओबीसी आरक्षण के साथ पंचायत चुनाव कराने का संकल्प पारित कराया और सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की, ताकि ओबीसी आरक्षण के साथ चुनाव हों। सुप्रीम कोर्ट ने जल्द सुनवाई से इन्कार कर दिया। इसके बाद सरकार ने मध्य प्रदेश पंचायत राज एवं ग्राम स्वराज संशोधन अध्यादेश को वापस लेने का निर्णय लिया। एक दिन में पूरी कार्रवाई करके इसकी अधिसूचना भी राजपत्र में प्रकाशित कर दी गई लेकिन आयोग ने चुनाव निरस्त करने के लिए विधिक अभिमत मांगा था।
विधि विशेषज्ञों ने अभिमत दिया कि जिस अध्यादेश के आधार पर चुनाव प्रक्रिया संचालित की जा रही थी, जब वो ही समाप्त हो गया तो फिर चुनाव कराने का कोई औचित्य ही नहीं बचा था। दरअसल, अध्यादेश वापस लेने से वह परिसीमन पुन: लागू हो गया, जिसे निरस्त किया गया था। 1200 से ज्यादा पंचायतें पुन: अस्तित्व में आ गईं। ऐसी स्थिति में चुनाव कराया जाना संभव ही नहीं था। आयोग ने मध्य प्रदेश पंचायत राज एवं ग्राम स्वराज अधिनियम 1993 की धारा 42 में दी गई शक्ति और मध्य प्रदेश पंचायत निर्वाचन नियम 1995 के नियम 18 के अंतर्गत प्राप्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए चुनाव कार्यक्रम और इससे संबंधित सभी कार्यवाहियों को निरस्त कर दिया।
तीन जनवरी को होगी ओबीसी आरक्षण पर सुनवाई
त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में ओबीसी आरक्षण पर रोक लगाए जाने के आदेश पर पुनर्विचार करने के लिए सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। इस पर तीन जनवरी को सुनवाई प्रस्तावित है। वहीं, सरकार द्वारा मध्य प्रदेश पंचायत राज एवं ग्राम स्वराज संशोधन अध्यादेश के माध्यम से 2019 के परिसीमन को निरस्त करने और पुराने आरक्षण के आधार पर चुनाव कराने के विरुद्ध जो याचिकाएं दायर हुई थीं, वे अगली सुनवाई में निराकृत हो जाएंगी।
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