संविधान के आलोक में संचालित होती है देश की न्यायिक व्यवस्था: रंजन गोगोई
वाराणसी। देश के पूर्व प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई ने कहा है कि देश की न्यायिक व्यवस्था भारतीय संविधान के आलोक में संचालित होती है. किसी के प्रति पूर्वाग्रह या दुराग्रह का अदालती फैसलों में कोई रोल नहीं रहता। अयोध्या में राम मंदिर का फैसला तथ्यों के आधार पर ही हुआ था. जस्टिस रंजन गोगोई ने यह बात वाराणसी के केदारघाट स्थित श्री करपात्री धाम में युवा चेतना के द्वारा राष्ट्र निर्माण में युवाओं की भूमिका विषय पर आयोजित संवाद में व्याख्यान देते हुए अपने प्रेरक और विद्वतापूर्ण उदबोधन में कही । पूर्व सीजेआई और राज्यसभा सांसद रंजन गोगोई ने कहा कि न्यायिक प्रक्रिया धर्म पर नहीं चलती। जस्टिस कांस्टिट्यूशन से ही मिलता है। आयोजकों ने तो जस्टिस गोगोई यहां तक कह दिया कि उनका अवतार ही राम मंदिर निर्माण के लिए हुआ था। इस पर मुख्य अतिथि पूर्व मुख्य न्यायधीश रंजन गोगोई ने कहा कि राम मंदिर का निर्णय केवल फैक्ट्स के बल पर हुआ। उन्होंने आगे कहा कि युवा वर्ग के मेहनत पर ही देश का विकास हो सकता है। हर दौर के युवाओं ने हिंदोस्तान का मान बढ़ाया है।
जस्टिस रंजन गोगोई ने आदिगुरु शंकराचार्य, स्वामी करपात्री जी और स्वामी सदानंद सरस्वती वेदांती के चित्र पर पुष्पांजलि कर उन्हें प्रणाम किया।
जस्टिस रंजन गोगोई ने आदिगुरु शंकराचार्य, स्वामी करपात्री जी और स्वामी सदानंद सरस्वती वेदांती के चित्र पर पुष्पांजलि कर उन्हें प्रणाम किया।
कार्यक्रम में युवा चेतना के राष्ट्रीय संयोजक रोहित कुमार सिंह ने 51 किलो की माला से सुप्रीम कोर्ट आफ इंडिया के पूर्व मुख्य न्यायधीश का अभिनंदन किया। जस्टिस रंजन गोगोई ने भी आदिगुरु शंकराचार्य, स्वामी करपात्री जी और स्वामी सदानंद सरस्वती वेदांती के चित्र पर पुष्पांजलि कर उन्हें प्रणाम किया।
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