सीएमओ की अकर्मण्यता से डेंगू मरीजों की हो रही मौत
कानपुर।
शहर में दो दिन हुई बारिश के बाद मौसम में हुआ बदलाव के बाद भी डेंगू और वायरल बुखार में कमी नहीं आई है। अभी भी लगातार मरीज हैलट, उर्सला कांशीराम के अलावा निजी अस्पतालों में पहुंच रहे हैं। शुक्रवार को बुखार से एक बच्ची समेत तीन लोगों की मौत हो गई। शुक्रवार दोपहर हैलट के मेडिसिन वार्ड में वायरल निमोनिया और डायरिया के चलते नीलाम्बर 62 वर्षीय की मौत हो गई। ऐरायां के रहने वाले नीलाम्बर को परिजनों ने दो दिन पहले ही हैलट में भर्ती कराया था, उसकी डेंगू रिपोर्ट भी पॉजिटिव थी। वहीं फतेहपुर निवासी राम सुमेर 58 वर्षीय की भी मौत हो गई, राम सुमेर को गुरुवार को ही फतेहपुर सीएचसी से हैलट रेफेर किया गया था।
हैलट के मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर डॉ एसके गौतम ने बताया, वायरल में देर से आ रहे मरीजों की किडनी फेल हो रही है। यहाँ जितने भी मरीज आ रहे है वह पहले तो किसी झोलाछाप डॉक्टर से अपना इलाज करते है फिर उसके बाद जब केस बिगड़ जाता है तब हैलट आते है। तब तक दवाइयों की वजह से इन्फेक्शन किडनी को फेल कर देता है।
जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज की उप प्राचार्य प्रो.रिचा गिरि ने भी माना कि इस समय वायरल के गंभीर रोगियों में किडनी फेल की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं। अब सात मरीज दो दिन में भर्ती हो चुके हैं। इसी तरह शिवराजपुर की रहने वाली अंशिका (11) की भी रावतपुर के नर्सिंग होम में मौत हो गई। परिजन पहले उसे हैलट ले गए थे लेकिन डेंगू की पुष्टि होने के बाद उसे रावतपुर के नर्सिंग होम में भर्ती कराया गया। भाई अनिकेत सिंह का कहना है कि बहन को 15 दिन से बुखार आ रहा था। पांच दिन पहले डेंगू की पॉजिटवि रिपोर्ट आने के बाद कानपुर लाए थे लेकिन उसने दमतोड़ दिया।
विश्वस्त सूत्रों ने बताया कि मौत डेंगू से हो रही है लेकिन सरकारी आकड़ों में इन मौतों का कोई हिसाब नहीं है। सीएमओ डॉ नेपाल सिंह की माने तो शहर में इस समय डेंगू के सिर्फ 38 एक्टिव मामले ही है। वहीं शहर के अस्पतालों की बात करे तो लगभग 468 डेंगू पॉजिटिव मरीजों का इलाज शहर के अलग अलग अस्पतालों में चल रहा है। जिन मरीजों की मौत हो रही है उनकी रिपोर्ट तो डेंगू पॉजिटिव आरही है लेकिन शहर के सीएमओ का मानना वह सब मौतें अनजान बुखार से हुई है। इस बारे में उन्नाव निवासी एक युवक का कहना है कि कानपुर शहर में लगातार हो रही इन मौतों के लिये सीएमओ ही जिम्मेदार हैं. अपनी लचर स्वास्थ्य व्यवस्थाओं के कारण हमेशा ही सुर्खियों में रहने वाले हैलेट अस्पताल की व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने के लिये सीएमओ ने अब तक क्या किया है. हैलेट अस्पताल में कई बार मरीजों और उनके परिजनों से मारपीट तक हो जाती है, ऐसे में डीएम और अन्य जिम्मेदार अधिकारी क्या सोते रहते हैं. शहर के जन प्रतिनिधियों का काम क्या सिर्फ वेतन- भत्ता लेने का है. हैलेट सहित अन्य अस्पतालों की व्यवस्थाएं दुरुस्त करने के लिये आवाज क्यों नहीं उठाते।
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