कक्षा 8,पाठ 1 Class 8th Science Solutions Chapter 1 फसल उत्पादन एवं प्रबंध
MP Board Class 8th Science Chapter 1 पाठ के अन्तर्गत के प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
मैं जानना चाहता हूँ कि हम इन औजारों का उपयोग कहाँ और कैसे करते हैं?
उत्तर:
हम इन औजारों का उपयोग कृषि से सम्बन्धित विभिन्न कार्यों में करते हैं; जैसे-मिट्टी तैयार करना, जुताई करना, बुआई करना, कटाई करना इत्यादि।
प्रश्न 2.
हरे पौधे अपना भोजन किस प्रकार संश्लेषित करते हैं?
उत्तर:
हरे पौधे अपना भोजन सूर्य के प्रकाश, वायु और मिट्टी से प्राप्त नमी द्वारा संश्लेषित करते हैं।
प्रश्न 3.
जन्तुओं के भोजन का स्त्रोत क्या है?
उत्तर:
जन्तुओं के भोजन का स्रोत हरे पेड़-पौधे और अन्य जन्तु हैं।
प्रश्न 4.
हम भोजन ग्रहण ही क्यों करते हैं?
उत्तर:
हम शारीरिक क्रियाओं हेतु ऊर्जा प्राप्त करने के लिए भोजन ग्रहण करते हैं। प्राप्त ऊर्जा का उपयोग विभिन्न जैविक प्रक्रमों, जैसे-पाचन, श्वसन एवं उत्सर्जन के सम्पादन में करते हैं।
प्रश्न उत्तर
प्रश्न 1.
उचित शब्द छाँटकर रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए –
तैरने, जल, फसल, पोषक, तैयारी।
(1)एक स्थान पर एक ही प्रकार की बड़ी मात्रा में उगाए गए पौधों को ……….. कहते हैं।
(2)फसल उगाने से पहले प्रथम चरण मिट्टी की ……….. होती है।
(3)क्षतिग्रस्त बीज जल की सतह पर ……….. लगेंगे।
(4)फसल उगाने के लिए पर्याप्त सूर्य का प्रकाश एवं मिट्टी से ………. तथा ……….. आवश्यक है।
उत्तर:
(1)फसल।
(2)तैयारी।
(3)तैरने।
(4)जल, पोषक।
प्रश्न 2.
‘कॉलम A’ में दिए गए शब्दों का मिलान ‘कॉलम B’ से कीजिए।
उत्तर:
(1)→ (e)
(2)→ (d)
(3)→ (b)
(4)→ (c)
प्रश्न 3.
निम्न के दो-दो उदाहरण दीजिए –
(1)खरीफ फसल।
(2)रबी फसल।
उत्तर:
(1)खरीफ फसल-कपास, मक्का।
(2)रबी फसल-गेहूँ, चना।
प्रश्न 4.
निम्न पर अपने शब्दों में एक-एक पैराग्राफ लिखिए
(1)मिट्टी तैयार करना।
(2)बुआई।
(3)निराई।
(4)शिंग।
उत्तर:
1. मिट्टी तैयार करना:
फसल उगाने से पहले यह प्रथम चरण है। इस प्रक्रिया में प्रथम कार्य मिट्टी को पलटना तथा इसे पोला बनाना है। इससे जड़ें भूमि में गहराई तक चली जाती हैं। पोली मिट्टी में जड़ें सरलता से श्वसन कर सकती हैं। पोली मिट्टी में केंचुओं और सूक्ष्मजीवों की वृद्धि होती है जो मिट्टी को ओर पलटकर पोला करते हैं तथा ह्यूमस बनाते हैं। मिट्टी को उलटने-पलटने एवं पोला करने की प्रक्रिया जुताई कहलाती है। खेतों में हल चलाकर जुताई की जाती है। इसके बाद बुआई हेतु खेत को पाटल की सहायता से समतल किया जाता है।
2. बुआई:
यह खेतों में बीज डालने की विधि है। इसके लिए अच्छी गुणवत्ता वाले बीजों का चयन किया जाता है। अच्छी गुणवत्ता वाले बीज अच्छी किस्म के साफ एवं स्वस्थ बीज होते हैं। ये बीज अधिक उपज देते हैं। बीजों की बोआई के लिए परम्परागत औजार को उपयोग में लाते हैं। यह कीप के आकार का होता है। इसमें होकर बीज दो-तीन नुकले सिरे वाले पाइपों से होकर गुजरते हैं। ये सिरे मिट्टी को भेदकर बीज को स्थापित कर देते हैं। आजकल बोआई ट्रैक्टर द्वारा संचालित सीड-ड्रिल से की जाती हैं। इससे बीज समान दूरी और गहराई पर रहते हैं तथा मिट्टी द्वारा ढ़क जाते हैं।
3. निराई:
खेतों में फसल के साथ कई अवांछित पौधे प्राकृतिक रूप से उग आते हैं। ये अवांछित पौधे खरपतवार कहलाते हैं। खरपतवार हटाने को निराई कहते हैं। निराई न करने से फसल की वृद्धि पर प्रभाव पड़ता है। खरपतवार के होने से
फसल को जल, जगह, पोषक तत्व तथा प्रकाश पूर्ण रूप से नहीं मिल पाता। ये कटाई में भी बाधा डालते हैं। कुछ खरपतवार मनुष्य एवं पशुओं के लिए विषैले भी हो सकते हैं। फसल को उगाने से पहले खेत जोतने से खरपतवार आसानी से हट जाते हैं। ये सूखकर मिट्टी में मिल जाते हैं। खरपतवार हटाने का उचित समय पुष्पन एवं बीज बनने से पहले का होता है। खरपतवार पौधों को हाथ से जड़ सहित उखाड़कर अथवा भूमि के निकट से काटकर किया जाता है। इस कार्य को खुरपी या हैरो की सहायता से किया जाता है।
4. श्रेशिंग:
जब फसल पक जाती है तो उसे काटा जाता है। फसल को काटना कटाई कहलाता है। काटी गई फसल से बीजों/दानों को अलग किया जाता है। इसे श्रेशिंग कहते हैं। थ्रेशिंग का कार्य कॉम्बाइन मशीन द्वारा किया जाता है, जो वास्तव में हार्वेस्टर और थ्रेशर का संयुक्त रूप है।
प्रश्न 5.
स्पष्ट कीजिए कि उर्वरक खाद से किस प्रकार भिन्न है?
उत्तर:
उर्वरक और खाद में भिन्नता –
प्रश्न 6.
सिंचाई किसे कहते हैं? जल संरक्षित करने वाली सिंचाई की दो विधियों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
उचित समय एवं विभिन्न अन्तराल पर खेत में जल देना सिंचाई कहलाता है। जल संरक्षित करने वाली सिंचाई की दो विधियाँ हैं –
(1) छिड़काव तन्त्र:
इस विधि का उपयोग असमतल भूमि, जहाँ जल कम मात्रा में उपलब्ध हो, किया जाता है। इस विधि में पाइपों के ऊपर घूमने वाले नोजल लगे होते हैं। ये पाइप निश्चित दूरी पर मुख्य पाइप से जुड़े रहते हैं। जब पम्प द्वारा जल को मुख्य पाइप में भेजा जाता है, तो यह घूमते हुए नोजल से बाहर
निकल कर पौधों पर वर्षा की भाँति छिड़काव करता है। बलुई । मिट्टी के लिए यह विधि अत्यन्त उपयोगी है।
(2) ड्रिप तन्त्र:
इस विधि में जल बूंद-बूंद करके पौधों पर गिरता है। इस विधि का उपयोग करने से जल व्यर्थ नहीं जाता। यह विधि फलदार पौधों, बगीचों एवं वृक्षों को पानी देने के लिए सर्वोत्तम विधि है। यह जल की कमी वाले क्षेत्रों के लिए अधिक उपयुक्त है।
प्रश्न 7.
यदि गेहूँ को खरीफ ऋतु में उगाया जाए तो क्या होगा? चर्चा कीजिए।
उत्तर:
गेहूँ रबी की फसल है। इसे शीत ऋतु में उगाया जाता है। खरीफ की फसल जून से सितम्बर तक होती है। इस समय वर्षा काफी अधिक मात्रा में होती है। यदि गेहूँ को इस समय उगाया जाये तो गेहूँ के पौधे अधिक मात्रा में पानी मिलने की वजह से सडकर खराब हो जायेंगे और फसल नष्ट हो जाएगी
प्रश्न 8.
खेत में लगातार फसल उगाने से मिट्टी पर क्या प्रभाव पड़ता है? व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
खेत में लगातार फसल उगाने से मिट्टी में पोषक तत्वों की कमी हो जाती है। इस कमी को पूरा करने के लिए किसान खेतों में खाद तथा उर्वरक डालते हैं। इससे किसान एक फसल के बाद दूसरी किस्म की फसल उगाते हैं। खेत में अपर्याप्त खाद होने से पौधे कमजोर हो जाते हैं।
प्रश्न 9.
खरपतवार क्या है? हम उनका नियन्त्रण कैसे कर सकते हैं?
उत्तर:
खेत में फसल के साथ कुछ अवांछित पौधे उग आते हैं, इन पौधों को खरपतवार कहते हैं। इनको हटाना आवश्यक होता है अन्यथा ये फसल की वृद्धि में बाधा डालते हैं। पशुओं और मनुष्यों के लिए ये विषैले/हानिकार भी हो सकते हैं। इनका नियन्त्रण निम्न प्रकार किया जा सकता है –
(1)फसल उगाने से पहले खेत जोतकर इन्हें नष्ट किया जा सकता है। खेत जोतने पर ये सूखकर नष्ट हो जाते हैं।
(2)पुष्पन एवं बीज बनने से पहले इन्हें हाथ से, खुरपी से या हैरो की सहायता से हटाया जा सकता है।
(3)खेतों में खरपतवारनाशी रसायनों का उपयोग करके इन पर नियन्त्रण किया जा सकता है।
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