साहित्य, संगोष्ठी व विमोचन समारोह का हुआ आयोजन
जबलपुर।
नारी सृजन की शक्ति है। साक्षर और जागृत नारी से समाज और राष्ट्र के सुसंस्कृत पक्ष का सृजन होता है। यदि नारी सशक्त है तो वह अपने साथ-साथ अपनी आने वाली कई पीढि़यों को सशक्त बना सकती है। डा. सलपनाथ यादव द्वारा हिन्दी, भोजपुरी, अवधि बोली में सृजित उपन्यास 'गांव की बेटी' में नारी शक्ति के सृजनात्मक-रचनात्मक पक्ष को इसी सार्थकता के साथ प्रस्तुत किया है। ये बातें मंथन, पाथेय व अखिल भारतीय साहित्य समिति द्वारा आयोजित साहित्य, संगोष्ठी व विमोचन समारोह में अतिथियों ने कही। समारोह की मुख्य अतिथि पिंकी पटेल थीं। अध्यक्षता सरिता संतोष नेमा ने की। विशिष्ट अतिथि उमा यादव व सुशीला यादव थीं। मातृशक्ति की उपस्थिति में उन्हीं को समर्पित भव्य आयोजन में सरस्वती वंदना सभी महिलाओं ने सस्वर प्रस्तुत की। अतिथियों ने कहा गांव की बेटी उपन्यास में जो संदेश निहित है वह आज के दौर में सभी महिलाओं के लिए अनुकरणीय है। उपन्यास में जहां ढोंगी बाबाओं से बच कर रहने का आह्वान किया है, वहीं विधवा विवाह पर भी जोर दिया गया है। उपन्यास की ग्रामीण पृष्ठभूमि में ग्रामीण महिलाओं की विभिन्न सामाजिक समस्याओं की ओर भी इशारा किया गया है। महिलाओं को अपने जीवन में अपनाने वाली कई सावधानियों के साथ ही उनके जीवन की कई घटनाओं को उपन्यास में शामिल किया गया है। राजेश पाठक प्रवीण ने कृति पर शुभकामनाएं दीं। संचालन संतोष नेमा संतोष व आभार नमिता यादव ने व्यक्त किया। इस अवसर पर बड़ी संख्या में महिलाओं की उपस्थिति रही। जिनमें रत्ना, रानू, सुशीला, किरण, ममता, श्रद्धा, रंजीता, रानी, मनीषा, रोशनी, शैली, आभा, सोनल, दीपमाला व आशा यादव व अन्य सदस्य शामिल रहीं।
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