हिंदी व भाषा विज्ञान विभाग ने किया राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन

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हिंदी व भाषा विज्ञान विभाग ने किया राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन



हिंदी व भाषा विज्ञान विभाग ने किया राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन 


जबलपुर।
 नई शिक्षा नीति की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसमें कला-संस्कृति और भाषा के माध्यम से मनुष्य की सृजनात्मक क्षमता को जागृत करने पर बल दिया गया है। इसमें भारतीय भाषाओं, कला और संस्कृति के संवर्धन के संबंध में पूरा खाका पेश किया गया है। इसके अध्ययन से यह स्पष्ट हो जाता है कि भारतीयता को आगे रखकर यह शिक्षा नीति बनी है। जिसमें भाषा की शिक्षा पर बल दिया गया है। शिक्षा नीति की सिफारिशों को स्वीकार करने और बहुभाषी शिक्षा के लिए धन और संसाधन उपलब्ध कराना, ये ऐसी बातें हैं जिससे बच्चों के सीखने के नतीजाें पर सबसे अधिक असर पड़ेगा। ये बात रादुविवि कुलपति प्रो. कपिलदेव मिश्र ने कही।
अवसर था रादुविवि के हिंदी व भाषा विज्ञान विभाग द्वारा राष्ट्रीय वेबिनार के आयोजन का। जहां नई शिक्षा नीति व हिंदी भाषा विषय पर बात की गई। विषय प्रवर्तन करते हुए संयोजक व विभागाध्यक्ष प्रो. धीरेंद्र पाठक ने बताया कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के ित्रभाषा सूत्र को भाषा-नीति और अनुवाद-नीति के साथ-साथ भाषा प्रोद्योगिकी की द्ष्ट से भी देखने की जरूरत है। शिक्षण, शोध, अनुसंधान, काम-काज और संप्रेषण की भाषा के विकल्प के रूप में हिंदी को मजबूत करने का कार्य भाषा-प्रोद्याेगिकी द्वारा होगा। उल्लेखनीय है कि वर्तमान नीति,भाषा के साथ कला की बात कर रही है। इसमें भाषा द्वारा कला और सांस्कृति संवर्धन का लक्ष्य है। मुख्य अतिथि कुलपति सांची यूनिवर्सिटी ऑफ बौद्ध-इंडिक स्टडीज, प्रो. नीरजा ए गुप्ता ने बताया कि शिक्षा नीति की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसमें कला,संस्कृति और भाषा के माध्यम से मनुष्य की सृजनात्मक क्षमता को जागृत करने पर बल दिया गया है। इसमें सभी शास्त्रीय भाषाओं के संस्थानों और विश्वविद्यालयों का विस्तार करने, पांडुलिपि संरक्षण, अनुवाद व अध्ययन को मजबूत बनाने के प्रयास की जरूरत पर भी बल दिया गया है। वेबिनार में विशिष्ट अतिथि डॉ. संदीप अवस्थी अध्यक्ष राष्ट्रीय विद्या अध्ययन केंद्र अजमेर ने कहा कि शिक्षा नीति की सिफारिशों के क्रियान्वयन के लिए सबसे जरूरी है शिक्षकों को सही तरीके से प्रशिक्षित करना और नियुक्ति करना। आनलाइन राष्ट्रीय वेबिनार का संचालन, आयोजन संहसंयोजक रखी चतुर्वेदी ने किया। अतिथि परिचय डॉ. नीलम दुबे व आभार प्रदर्शन डॉ.विपुला सिंह ने किया। इस अवसर पर प्रो. अलकेश चतुर्वेदी, डॉ. आशा रानी, प्रो. स्मृति शुक्ला, डॉ.लक्ष्मी पांडे, डॉ. बारेलाल जैन व अन्य सदस्य मौजूद रहे।

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