शिक्षकों के साथ कक्षाओं को व्यवस्थित कराने में जुटे प्राचार्य
शहडोल।
जिले में कक्षा 6वीं से 8वीं तक के स्कूल की कक्षाएं आज एक सितंबर से शुरू होने जा रही हैं। इसके लिए ट्राइवल विभाग और शिक्षा विभाग ने अपने अपने ढंग से पहले ही आदेश जारी कर दिए थे। मंगलवार 31 अगस्त को माध्यमिक स्कूल के प्रबंधक अपने अपने स्कूल की कक्षाओं को व्यवस्थित करने में जुटे रहे। जहां सरकारी स्कूलों में कक्षाओं की साफ सफाई के साथ साथ उनको सेनेटाइज करने में जुटे नजर आए तो वहीं प्राईवेट स्कूल संचालक पहले से ही अपनी तैयारी किए हुए बैठे दिखे। इस बीच अभिभावकों का जो रूझान सामने आ रहा है उसके मुताबिक वे अभी बच्चों को भेजने के मूड में नजर नहीं आ रहे हैं। वहीं बच्चों से बात की गई तो उनका कहना था कि जब सबकुछ ओपन हो गया है तो स्कूल की कक्षाएं भी लगनी चाहिए। जिला मुख्यालय से लगे गांव कोटमा में संचालित शासकीय माध्यमिक स्कूल में प्राचार्य अपने शिक्षकों के साथ कक्षाओं को व्यवस्थित कराने में जुटे नजर आए। इनसे जब बात की गई तो इनका कहना था कि हमने बच्चों तक मैसेज भेज दिया है कि कक्षा छठवीं से आठवीं तक के स्कूल एक सितंबर से शुरू हो रहे हैं इसलिए वे स्कूल आने की तैयारी करें। इसी तरह शहर के निजी स्कूलों में भी तैयारियों पूरी हो गई हैं। पांडवनगर स्थित एक निजी स्कूल के प्राचार्य का कहना था कि उन्होंने तो अपने स्कूल कभी बंद ही नहीं किए। आदेश का इंतजार कर रहे थे अब छठवीं से आठवीं तक की कक्षाओं को संचालित करने का आदेश आ गया है तो हमने पूरी व्यवस्था कर ली है। शहर के अलावा जिले के शासकीय स्कूलों में जो कक्षाएं लंबे समय से बंद पड़ी थी उनको खोलकर साफ सफाई कराई गई और इनको सेनेटाइज्ड भी किया गया। जिले के कई सरकारी स्कूलों में अभी कल बच्चों के आने के बाद तैयारियों को पूरा किया जाएगा। शिक्षकों का मानना है कि अभिभावक अभी अपने बच्चों को स्कूल भेजने को तैयार नहीं है। अब यह तो एक सितंबर के बाद ही पता चलेगा कि रूझान क्या है। जिले में संचालित स्कूलों में कक्षा छठवीं में 22 हजार बच्चे दर्ज हैं जबकि सातवीं कक्षा में 19 हजार बच्चों का रजिस्ट्रेशन है तो वहीं आठवीं कक्षा की बात करें तो जिले में 20 हजार 500 बच्चे दर्ज हैं। इनमें निजी और सरकारी दोनों तरह के स्कूलों के बच्चों की संख्या शामिल है। इस तरह से देखा जाए तो जिले में कक्षा 6वीं से 8वीं तक कुल 61 हजार 500 बच्चे स्कूल जाने की तैयारी में हैं लेकिन देखना यह है कि कितने बच्चे अब कक्षाओं में पहुंचते हैं। यह सब अभिभावकों पर ही निर्भर होगा।
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