अतिक्रमण हटाने में वन विभाग का दोहरा रवैया: गरीबों का गिरा दी गई दुकानें, मीडिया को देख भागी वन विभाग की टीम

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अतिक्रमण हटाने में वन विभाग का दोहरा रवैया: गरीबों का गिरा दी गई दुकानें, मीडिया को देख भागी वन विभाग की टीम



अतिक्रमण हटाने में वन विभाग का दोहरा रवैया: गरीबों का गिरा दी गई दुकानें, मीडिया को देख भागी वन विभाग की टीम



रवि  शुक्ला, मझौली।
वन परिक्षेत्र मझौली अंतर्गत चमराडोल बैरियर के पास जारी अतिक्रमण में जहां वन भूमि में अतिक्रमण कर वर्षो से मकान बनाकर दुकानें संचालित की जा रही हैं उन  रसूक दारो पर कार्यवाही में रहम दिखाया गया वहीं झुग्गी झोपड़ी व ठेले में छोटी-छोटी दुकानों के माध्यम से जीवको पार्जन कर रहे गरीबों के झोपड़ी को वन विभाग द्वारा गिरा कर अतिक्रमण हटाने की द्वेष पूर्ण कार्यवाही  की गई है इस प्रकार विभाग के दौहरे रवैया से क्षेत्र के लोगों में भारी असंतोष व आक्रोश व्याप्त  है बुद्धिजीवियों द्वारा इस कार्यवाही की कड़ी निंदा की जा रही है।
 पीड़ितों द्वारा बताया गया कि गत शुक्रवार 27 अगस्त को देर शाम  वन विभाग टीम के द्वारा अतिक्रमण हटाने की कार्यवाही की गई जिसमें  सड़क के किनारे ग्रामीणों द्वारा करीब दर्जनभर झुग्गी झोपड़ी बनाकर व ठेले लगाकर छोटी मोटी दुकान जैसे पान ठेला, सब्जी एवं चाय पान की दुकान लगाकर अपना व परिवार का जीविकोपार्जन कर रहे थे वन विभाग के द्वारा  उनके झोपड़ियों को गिरा दिया गया है वहीं आला सान मकानों पर किसी प्रकार की कार्यवाही नही किया गया। वन विभाग का यह रवौया ठीक नही है । कार्यवाही सभी पर होनी चाहिए। आज पुनः दोपहर में वन अमला पहुच कर झूँगी झोपड़ी व ठेले वालो को डरा धमका कर हटवाया जा रहा था जिसकी सूचना मीडिया को दी गई ।मीडिया के पहुचते ही टीम वहां से रफू चक्कर हो गई।
इस संपूर्ण मामले में सबसे महत्वपूर्ण पहलू तो यह है कि  वन विभाग के द्वारा संबंधितों को न तो किसी तरह की सूचना दी गई और न ही  नोटिस दी गई और  अचानक रात्रि में पहुंचकर  उनकी झोपड़ियों को गिराने की कार्यवाही किया जाना  लोगों के समझ से परे है  जबकि विभाग को कार्यवाही करने के पूर्व संबंधितों को नोटिस देना चाहिए था।

इनका है कहना-

 1-लगभग 20 वर्षों से इसी स्थान पर झोपड़ी बनाकर चाय की दुकान संचालित कर अपने परिवार का भरण पोषण करता था अब जीवकोपार्जन का जरिया छिन गया जिससे परिवार के ऊपर भुखमरी की स्थिति पैदा हो गई।
रामराज केवट निवासी परसिली 

2--20 वर्ष पूर्व से मेरे पिताजी इसी स्थान पर झोपड़ी में चाय पान की दुकान चलाते थे अब उनके न रहने पर 10 वर्षों से मैं भी उसी दुकान को चलाता हूं जिसे बिना सूचना दिए कल वन विभाग वाले आए और झोपड़ी गिरा दिए जिससे मेरा सामान भी नष्ट हो गया।अब जीविका का सहारा छिन गया।
ओम प्रकाश शुक्ला
 निवासी चमराडोल

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