समयमान वेतनमान को लेकर हाईकोर्ट ने पारित किया आदेश
जबलपुर।
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने एक याचिका का इस निर्देश के साथ पटाक्षेप कर दिया कि याचिकाकर्ता को तीन माह के भीतर समयमान वेतनमान का लाभ प्रदान किया जाए। यदि ऐसा नहीं किया गया तो आठ फीसद वार्षिक की दर से ब्याज सहित राशि भुगतान करनी होगी।
न्यायमूर्ति संजय दि्वेदी की एकलपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। इस दौरान याचिकाकर्ता रायसेन निवासी एएसआई अमरनाथ सिंह की ओर से अधिवक्ता मोहनलाल शर्मा ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि सुप्रीम कोर्ट व हाई कोर्ट के पूर्व न्यायदृष्टांतों की रोशनी में याचिकाकर्ता समयमान वेतनमान का हकदार है। इसके बावजूद संयुक्त संचालक, कोषालय, होशंगाबाद ने मनमाना आदेश जारी कर समयमान वेतनमान पर रोक लगा दी। इसके पीछे दो प्रमोशन मिल चुकने को आधार बनाया गया। नियमानुसार यह आधार बेमानी है। एक अप्रैल, 2006 से याचिकाकर्ता दि्वतीय समयमान वेतनमान का हकदार है। इस संबंध में मध्य प्रदेश शासन की नीति भी मार्गदर्शी है। लिहाजा, 2018 में संयुक्त संचालक कोषालय द्वारा जारी अनुचित आदेश निरस्त किए जाने योग्य है। हाई कोर्ट ने तर्क से सहमत होकर याचिकाकर्ता के हक में आदेश पारित कर दिया। साथ ही यह भी व्यवस्था दी कि निर्धारित तीन माह की अवधि में लाभ न देने पर ब्याज सहित भुगतान करना होगा। राज्य शासन के विधि विधायी कार्य विभाग और उच्च न्यायालय के आदेशानुसार मंडला में कुटुम्ब न्यायालय परिवार परामर्श केंद्र का उद्घाटन किया गया। इस दौरान प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश रमाशंकर शर्मा मुख्य अतिथि रहे। राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण के निर्देशानुसार जिला व तहसील न्यायालयों में आगामी 11 सितंबर को नेशनल लोक अदालत का आयोजन किया जाएगा। इसे लेकर पूर्व तैयारियां जारी हैं। मध्य प्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण ने जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की सहायता से अधिक से अधिक मामले समझौते से निपटाने पर बल दिया है।
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