सीधी: निर्वाचक नामावली के शुद्धीकरण के लिए निर्देश जारी,जानिए पूरा नियम
सीधी।
कलेक्टर एवं जिला निर्वाचन अधिकारी रवींद्र कुमार चौधरी द्वारा समस्त रजिस्ट्रीकरण एवं सहायक रजिस्ट्रीकरण अधिकारियों को निर्देशित किया गया है कि भारत निर्वाचन आयोग की अपेक्षा अनुसार निर्वाचक नामावली के शुद्धीकरण, निर्वाचक नामावली में कन्ट्रोल टेबिल्स में पोस्ट ऑफिस के जानकारी अद्यतन करने एवं विशेष संक्षिप्त पुनरीक्षण 2022 के संदर्भ में घोषित कार्यक्रमानुसार तत्काल कार्यवाही करें तथा की गई कार्यवाही से आयोग को अवगत कराना सुनिश्चित करें। इसके साथ ही इस निर्देश से आम नागरिकों एवं मतदाताओं को भी अवगत करायें।
कलेक्टर एवं जिला निर्वाचन अधिकारी ने बताया कि लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1950 और निर्वाचक पंजीयन नियम 1960 निर्वाचक नामावली को तैयार करने के लिए विस्तृत प्रावधान वर्णित करते है। वैधानिक प्रावधानों व पूर्ति के लिए आयोग समय-समय पर पूरक निर्देश जारी करता है जो उपरोक्त संदर्भित पत्रों में भी शामिल है। इन सक्षम प्रावधानों के अंतर्गत निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण अधिकारी, शैक्षणिक संस्थानों और पंजीयक जन्म एवं मृत्यु कार्यालय से सहयोग लेकर नामावली को तैयार अद्यतन करते हैं। निर्वाचक पंजीयन नियम 1960 के नियम 9 के अनुसार निर्वाचक नामावली को तैयार करने के लिए अथवा किसी दावे अथवा आपत्ति पर निर्णय लेने के लिए कोई भी पंजीयक अधिकारी या उसके द्वारा नियुक्त व्यक्ति को जन्म और मृत्यु की पंजी और किसी भी शैक्षणिक संस्थान की प्रवेश पंजी देखने का अधिकार है और ऐसा प्रत्येक व्यक्ति जो कि इस प्रकार की पंजी का प्रभारी है उसका यह कर्तव्य है कि वह उक्त अधिकारी अथवा व्यक्ति को ऐसी सूचना या जानकारी जो कि वह पंजी से चाहते है, प्रदान करें।
लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1950 की धारा 22 निर्वाचक पंजीयन नियम 1960 के नियम 18 के साथ पढ़े जाने पर शुद्धि की प्रक्रिया प्रावधानित है इस संबंध में धारा 22- निर्वाचक नामावली में शुद्धि प्रविष्ठियां- किसी एक विधानसभा क्षेत्र के निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण अधिकारी को आवेदन से प्राप्त हुई अथवा स्वयं के विवेक से की हुई पूछताछ के पश्चात यदि वह संतुष्ट है और उचित समझते है कि विधानसभा क्षेत्र की निर्वाचक नामावली में कोई प्रविष्टि इस आधार पर निरसित की जा सकती है कि संबंधित निर्वाचक की मृत्यु हो गई है अथवा वह निर्वाचक उस विधानसभा क्षेत्र में सामान्य रुप से निवासरत नहीं है अथवा उस निर्वाचक नामावली में पंजीयन कराने का पात्र नहीं है, ऐसी स्थिति में ईआरओ विशेष अथवा सामान्य निर्देशों को दृष्टिगत रखते हुए जो कि इस विषय में निर्वाचन आयोग ने जारी किए है, उस प्रविष्टि को विलोपित कर सकता है। जैसा की ऊपर उल्लेखित धारा में निहित प्रावधानों से स्पष्ट है कि नियम 18 एवं 22, निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण अधिकारी, औपचारिक आवेदन के माध्यम से या स्व-प्रेरण से अपनी संतुष्टि के अधीन (औपचारिक आवेदन के बिना) मतदाता सूची से किसी नाम को हटा सकता है।
प्रावधान की स्थिति को और अधिक स्पष्ट करने और निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण अधिकारी के भविष्य के मार्गदर्शन के लिये आयोग ने सभी मौजदा निर्देशों का अधिक्रमण करते हुये मृत्यु मामले में विलोपन के लिये निम्नलिखित एस.ओ.पी. जारी की है- स्व. प्रेरणा से निरसन करने में एस.ओ.पी. का पालन किया जावेगा। यदि मृत्यु प्रमाण पत्र के संदर्भ में या क्षेत्र सत्यापन के बाद पहचान स्थापित की जाती तो मृत मतदाता के नाम को स्वतः (बिना प्ररूप-7,बिना पूछताछ के हटाया जा सकता है)। बीएलओ द्वारा प्राप्त या परिवार के सदस्यों द्वारा प्रस्तुत सक्षम प्राधिकारी से मृत्यु प्रमाण पत्र, जन्म और मृत्यु रजिस्ट्रार के डेटाबेस से एकत्रित मत मतदाताओं की सूची से। निरसन के लिए सामान्य प्रक्रिया में स्वयं के संज्ञान के अतिरिक्त-संबंधित बीएलओ की रिपोर्ट के आधार पर जिसके साथ फार्म-7 किसी परिवार के सदस्य अथवा एक स्थानीय निर्वाचक अथवा संबंधित मतदान केन्द्र के बीएलओं द्वारा जमा किया गया हो। यह फार्म निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण अधिकारी के सूचना पटल पर निर्धारित 7 दिवस की सूचना अवधि तक प्रदर्शित किया जाएगा और फार्म 7 में उठाई गई आपत्ति से यदि निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण अधिकारी सहमत होंगे तब वह 7 दिवस की सूचना की अवधि समाप्त होने के बाद बिना और किसी जांच के आपत्ति को सही ठहराते हुए निरसन कर सकते हैं। यदि वह आपत्ति से संतुष्ट नहीं है तब वह आपत्तिकर्ता को सुनवाई के लिए नोटिस दे सकते है, यह नोटिस संबंधित व्यक्ति को व्यक्तिगत रूप से अथवा रजिस्टर्ड डाक से अथवा उस व्यक्ति के निवास पर चस्पा करके दिया जा सकता है। आपत्ति के संबंध में किए जाने वाली जांच के पश्चात ईआरओ फार्म 7 में इस प्रकरण का निराकरण नियम प्रक्रिया का पालन करते हुए करेंगे। निर्वाचन वर्ष में स्व-प्रेरणा से निरसन नहीं किया जाएगा, जब उक्त सदन की अवधि की समाप्ति की तारीख को समाप्त होने वाली 6 माह की अवधि के दौरान संबंधित राज्य में राज्य विधानसभा, लोकसभा का आम चुनाव होना है। हालांकि विशेष परिस्थितियों में आयोग की स्वीकृति प्राप्त करने के उपरान्त स्व-प्रेरणा से निरसन का कार्य किया जा सकता है। निरसन से संबंधित सभी प्रकार के रिकार्ड, पत्र व्यवहार और जवाब आदि फाइल में (भौतिक के साथ-साथ ईआरओ नेट में) ऐसे प्रत्येक निर्वाचक के लिए, जिनका नाम विलोपित किया गया है, संधारित किए जाएंगे और ईआरओ नेट में भविष्य में संदर्भ के लिए 3 साल तक अपलोड रहेंगे। इसके लिए भारत निर्वाचन आयोग द्वारा ईआरओ नेट में इसका प्रावधान किया जा रहा है। उस व्यक्ति के लिये उपलब्ध विकल्पों के बारे में व्यापक प्रचार किया जाए, जिसका नाम गलत तरीके से मतदाता सूची से हटा दिया गया है। यह विकल्प है कि या तो वह लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 24 के तहत निर्धारित अवधि के भीतर जिला निर्वाचन अधिकारी को अपना नाम हटाने के खिलाफ अपील दायर कर सकते हैं या निर्वाचक नामावली के विशेष संक्षिप्त पुनरीक्षण या निरंतर अद्यतन के दौरान किसी भी समय मतदाता सूची में अपना नाम शामिल करने के लिये निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण अधिकारी के समक्ष प्ररूप-6 जमा कर सकता है।
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