विद्यासागर महाराज ने दिये प्रवचन

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विद्यासागर महाराज ने दिये प्रवचन



विद्यासागर महाराज ने दिये प्रवचन


 
जबलपुर।
 हर क्षेत्र में विश्वास बहुत बड़ी वस्तु होता है, विश्वास हो तो सब संभव है विश्वास के अभाव में श्वास भी होती है तो भी मृत्यु हो सकती है और विश्वास हो तो सांस कितनी भी बची हो अंतिम क्षण तक मुस्कान के साथ जिंदगी पूरी होती है। हर क्षेत्र में विश्वास आवश्यक है तो मोक्ष मार्ग की राह में भी विश्वास ही आवश्यक है। उक्‍ताशय के उद्गार मंगलवार को दयोदय तीर्थ तिलवारा में चातुर्मास कर रहे आचार्यश्री विद्यासागर महाराज ने प्रवचन में व्‍यक्‍त किए। उन्‍होंने कहा कि पूरी दुनिया एक तरफ है लेकिन विश्वास की दुनिया एक तरफ, कद छोटा हो या भगवान बाहुबली के बराबर विशाल, भगवान बाहुबली ने ऐसा कौन सा कार्य किया था जो तपस्या में एक वर्ष तक निर्जला उपवास किया। उन्हें विश्वास था कि उन्हें कुछ नहीं होगा, उनकी निरोगी काया रही यहां तक की विषधर जीव भी उनके शरीर पर रहते थे लेकिन उन्हें नुकसान नहीं पहुंचा पाए। इसके पीछे मुख्य कारण था चक्रवर्ती बाहुबली भगवान ने अपने जीवन काल में औषधी दान का संकल्प लिया था, साधु- संतों सामान्य जनता सभी के लिए औषधि की व्यवस्थाएं थी और निश्‍शुल्क दान किया था। आज भी जो अचूक दवा हैं उन्हें रामबाण दवा कहा जाता है यह विश्वास है कि राम के नाम की औषधि रोगों से मुक्त करेगी कभी भी किसी भी औषधि को रावण बाण नहीं कहा जा सकता। विश्वास के साथ यदि मन से मंत्र उच्चारण कर दिया जाए तब जहर भी उतर जाता है। भगवान बाहुबली ने तीनों ऋतु को महसूस किया, भीषण ठंड गर्मियों बारिश में अडिग रहे अंदर से कर्मों की निर्जला करते रहे। आचार्य श्री कहते है पवित्र भाव से की गई चिकित्सा ही रोगी को निरोग करती है। कोई मांगेगा तब हम दान करेंगे इस भाव से पुण्य नहीं मिलता। पुण्य मिलता है जब बिना मांगे, आवश्यकता महसूस कर दान दिया जाए। हम केरल की आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति की बात करते हैं हमें विश्वास होना चाहिए की पूर्णायु की आयुर्वेदिक चिकित्सा के लिए केरल के लोग आकर यहां चिकित्सा कराएंगे। बस विश्वास होना चाहिए बिना विश्वास रोगी ठीक नहीं हो सकते।

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