रेमडेसिविर मामले में सख्त कार्रवाई की मांग
कानपुर।
मृत मरीजों को रेमडेसिवीर इंजेक्शन लगाने के मामले में हैलट की निष्कासित २३ स्टाफ नर्सों ने बुधवार को हैलट परिसर में नारेबाजी की। कहा कि हमारी मांग है कि कार्रवाई से पूर्व हम सभी को अपना पक्ष रखने का मौका दिया जाए। मैट्रन से भी साक्ष्य लिया जाए क्योंकि हम लोग उनकी बिना अनुमति के रोगियों को दवा और इंजेक्शन नहीं लगाते थे। इन सभी नर्सिंग स्टाफ को मंगलवार शाम को निलंबित किया गया था, जिसके बाद इन लोगों ने जिलाधिकारी को भी पूरे मामले के पत्र लिख कर अवगत कराया, साथ ही डीएम से यह गुहार लगाई उनके ऊपर कोई कार्यवाही नहीं की जानी चाहिए थी। इससे पहले कॉलेज प्रशासन ने तीन अन्य लोगों का भी निलंबन किया था। कुल मिलाकर अब तक २६ लोगों को निलंबित कर चूका है हैलट प्रशासन।
नर्सिंग स्टाफ मैत्री ने बताया कि, अप्रैल और मई के बीच ऑन ड्यूटी डॉक्टर समस्त जूनियर डॉक्टर, सीनियर डॉक्टर, न्यूरो साइंस के प्रभारी अधिकारी को २४ घंटे मरीजों की जानकारी होती थी। इसके बाद भी सिर्फ नर्सिंग स्टाफ को ही दोषी क्यों माना गया, जबकि इसके जिम्मेदार डॉक्टर हैं। उन्होंने सारे फ्लोर के व्हाट्सएप ग्रुपों को चेक कराने, जिन डॉक्टर के हस्ताक्षर से रेमडेसिवीर न्यूरोसाइंस में आता था। उससे पूछताछ की जाने की मांग की है।
न्यूरो साइंस विभाग में तैनात नर्सिंग स्टाफ रागिनी ने बताया कि, मरीज की भर्ती की फाइल फोटो, डेथ सर्टिफिकेट ऑन ड्यूटी डॉक्टर जिसके द्वारा सीनियर डॉक्टर और न्यूरो साइंस के प्रभारी को दे दिया जाता था। मामले में ऑन ड्यूटी डॉक्टर भी जिम्मेदार होता है और इसमें नर्सों की कोई भूमिका नहीं होती। पूरे मामले में नोडल अधिकारी, प्रभारी, फार्मासिस्ट, सिस्टर इंचार्ज और परमानेंट नर्सिंग स्टाफ को क्लीन चिट दे दी गई है। जबकि आउटसोर्सिंग नर्सिंग स्टाफ को निष्कासित कर दिया गया है।
उधर इस रेमडेसिविर मामले में सख्त कार्रवाई की मांग जोर पकड़ रही है. कानपुर निवासी एक जागरुक महिला का कहना है कि स्टॉफ नर्सों को सिर्फ निलंबित किया जाना पर्याप्त नहीं है. उन पर एफआईआर भी दर्ज होनी चाहिए। पूरा मामला पुलिस को सौंपकर डॉक्टर्स को भी कार्रवाई के दायरे में लाकर शिकंजा कसा जाना चाहिए। इसमें ऑन ड्यूटी डॉक्टर, समस्त जूनियर डॉक्टर, सीनियर डॉक्टर, न्यूरो साइंस के प्रभारी अधिकारी सभी के कारनामों की जांचकर उन पर विधिसम्मत कड़ी कार्रवाई होनी चाहिये।
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