बरचर आश्रम में हजारों भक्तों ने स्वामी अड़गड़ानंद महाराज के किए दर्शन
सीधी।
गुरु पूर्णिमा के अवसर पर परमहंस बरचर आश्रम में ओम श्री सद्गुरुदेव भगवान की जय,समेत विभिन्न धार्मिक उद्घोषों के साथ भक्तों ने सुबह से ही स्वामी अड़गड़ानंद महाराज का दर्शन एवं पूजा अर्चना कर भंडारे का प्रसाद ग्रहण किया। ज्ञात हो इस वर्ष गुरु पूर्णिमा के अवसर पर स्वामी अड़गड़ानंद महाराज के सानिध्य में परमहंस बरचर आश्रम में भंडारे का आयोजन सम्पन्न हुआ, जहां 50 हजार से भी ज्यादा भक्तगणों ने भण्डारे का प्रसाद ग्रहण किया एवं सत्संग के माध्यम से प्रवचन का भी रसपान किया।
इस दौरान स्वामी अड़गड़ानंद महाराज ने सत्संग के माध्यम से भक्त जन समूह को संबोधित करते हुए कहा कि अधोपान्त सम्पूर्ण योग, साधन,नाम, ध्यान,आहार, ब्रम्हविद्या का चिंतन,यम नियमों की जानकारी, उनका अनुष्ठान अनुभव जागृति के बिना व्यर्थ है किंतु अनुभव की सर्वज्ञ सद्गुरु के बिना नहीं होती। अनुभव वो विशेष जागृति है जिसमें परमात्मा की आपकी चाह है। सत्य ही धर्म है और यही सनातन है आनन्द भाव से भगवान का स्मरण करने वाला कभी भी परेशान नहीं रहता, जैसा कि भगवत गीता में भगवान श्री कृष्ण ने कहा है।
स्वामी अड़गड़ानंद महाराज जी ने कहा कि मोह- माया समाज व देश के लिए बाधक रहा है। आत्मा शांति के लिए यथार्थ गीता का दो-चार श्लोक अध्ययन करना चाहिए। मन इंद्रियों को समेटकर आत्मा का चिंतन करना पड़ता है जब आत्मा जागृत हुई तब कर्म कहलाता है।
इस दौरान सत्संग कार्यक्रम में प्रवचन बितरागानन्द महाराज, गिरियानंद महाराज, तुलसी महाराज, राजाराम महाराज, भावानन्द महाराज, गुलाब महाराज,शिवानन्द महाराज, नारद महारा,अनुभवानंद महाराज सहित अन्य सन्तो के मुखारबिन्दु से सुबह से लेकर देर शाम तक प्रवचन का कार्यक्रम चलता रहा।
0 टिप्पणियाँ