लोक अदालत में जजों ने कराई पारिवारिक सुलह, दो वर्ष बाद मिले पति- पत्नी
शहडोल।
न्याय सबके लिए की अवधारणा को साकार रूप प्रदान करने के लिए नेशनल लोक अदालत का आयोजन किया गया।नेशनल लोक अदालत में प्रकरणों के निराकरण के लिए 24 खंडपीठों का गठन किया गया था। जिसमें से 9 जिला न्यायालय शहडोल में, 4 खंडपीठ तहसील न्यायालय ब्यौहारी में, 6 खंडपीठ तहसील न्यायालय बुढार, जयसिंह नगर में 4 तथा एक खंडपीठ लोकोपयोगी लोक अदालत की शहडोल में गठित की गई। मोटर दुर्घटना दावा प्रकरणों में से कुल 380 प्रकरण लोक अदालत में रेफर किए गए थे जिसमें से 92 प्रकरणों में कुल मिलाकर 2 करोड़ 61 लाख 86 हजार 022 रुपये एवं एवार्ड पारित किया गया। धारा 138 के अंतर्गत 376 रेफर प्रकरणों में 23 प्रकरण निराकृत हुए तथा 39 लाख 58 हजार 311 रुपये की राशि के एवार्ड पारित किए गए। न्यायालय में लंबित अपराधिक समनीय मामलों में 234 प्रकरण रखे गए जिसमें से 17 का निराकरण राजीनामा के आधार पर हुआ। वैवाहिक प्रकरणों के निराकरण के लिए 194 प्रकरण रखे गए जिसमें से 10 प्रकरण राजीनामा के आधार पर निराकृत हुए और 18 लोग लाभान्वित हुई। कुल मिलाकर न्यायालय में लंबित प्रकरणों में 1672 प्रकरण रखे गए जिसमें से 234 प्रकरण निराकृत किए गए। नेशनल लोक अदालत सफल रही और न्यायालयों में लंबित प्रकरणों में कमी आई। परिवार न्यायालय में किरण बैगा बनाम नान भाई बैगा पति-पत्नी के मध्य विवाद को निपटाते हुए दोनों को 2 वर्ष बाद मिलाया और दोनों खुशी- खुशी साथ रहने के लिए तैयार हुए न्यायालय से उन्हें एक साथ विदा किया गया। नेशनल लोक अदालत में कुटुंब न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश डॉ रमेश साहू, सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण अनूप कुमार त्रिपाठी, प्रथम अतिरिक्त जिला न्यायाधीश अमोल आर्य, द्वितीय के के मिश्रा, अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट जेएन सिंह, दंडाधिकारी सतीश शर्मा , न्यायिक दंडाधिकारी सुश्री विजयश्री सूर्यवंशी ,सुश्री साक्षी प्रसाद, न्यायिक दंडाधिकारी संजीव रंगहाडाले, संदीप कुमार नामदेव, सुश्री पल्लवी सिंह, सुश्री प्रीति प्रसाद एवं पैरालीगल वालंटियर की भूमिका रही।
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