कई तालाब अतिक्रमण की चपेट में, तालाबों का अस्तित्व बचाने के लिये कारगर पहल जरूरी
शहडोल।
जिला मुख्यालय के तालाबों का अस्तित्व समाप्त होने की कगार पर है। यहां के अधिकांश तालाब प्रशासन की अनदेखी का शिकार हो रहे हैं। कुछ तालाबों को छोड़ दें तो अधिकांश तालाब दुर्दशा का शिकार हो गए हैं। शहर के जो अति प्राचीन तालाब हैं जिनमें मोहन राम तालाब, पांडव नगर स्थित बड़ा तालाब, पौनांग तालाब व बड़ी भीट तालाब इनको छोड़कर अन्य तालाबों पर प्रशासन की नजर नहीं पड़ रही है। इन तालाबों में भी मोहनराम तालाब को छोड़ दें तो बाकी सब अतिक्रमण की चपेट में हैं साथ ही गंदगी की वजह से इन तालाबों का पानी किसी योग्य नहीं बचा है। हालात यह हैं कि किसी तालाब में मछली मारी जा रही हैं तो किसी में लोग कचरा और मलवा फें ककर उसे पाटने की जुगत में हैं. जिला मुख्यालय स्थित तकरीबन डेढ़ सौ साल पुराने मोहनराम मंदिर तालाब में इन दिनों शहर के कुछ अराजक तत्व आकर जुआ खेलते हैं शाम होते ही शराब पीते हैं और मछलियां मारने का भी काम कर रहे हैं। यहां के पुजारी लवकुश शास्त्री ने बताया कि इनको जब यहां ऐसा न करने से मना किया जाता है तो विवाद करने लगते हैं। इसके साथ ही धमकी भी देते हैं। चौपाटी के पास स्थित सिटी टैंक की बात करें तो इस तालाब में भी आसपास के लोग कचरा फेंककर इसे गंदा कर रहे हैं। सिटी टैंक के आसपास नाई की दुकानें हैं जिससे ये लोग बाल काटकर इसी तालाब में डाल रहे हैं। इसके अलावा कुछ चाट फुल्की वाले भी यहां कचरा फेंककर चले जाते हैं। शहर के लोग भी हवन सामग्री आदि लाकर डालते हैं जिससे तालाब का स्वरूप बिगड़ रहा है। पांडवनगर के बड़ा तालाब की बात करें तो इसके मेड़ पर लोगों ने कब्जा कर मकान बनाकर रखा है। इसके अलावा इस पूरे तालाब में लोग सिंघाड़े का उत्पादन करते हैं जिसके वजह से इस पूरे तालाब को गंदा कर दिया गया है। किसी जमाने में यहां का सौंदर्य देखते बनता था पर अब हालत बदतर हो गई है। तालाब किनारे स्थित शिव मंदिर भी जीर्ण शीर्ण हालत में आ गया है।
शहडोल निवासी प्रतिष्ठित समाजसेवी कैलाश तिवारी, डॉ बाल्मीक गौतम, शिवकुमार मिश्रा, धीरेन्द्र द्विवेदी, धर्मेन्द्र द्विवेदी, श्रीमती पुष्पा सिंह, ऊषा सिसोदिया, युवा नेता संजीव श्रीवास्तव, ग्राम बरतरा निवासी तेज तर्राट सामाजिक कार्यकर्ता कमलेश मिश्रा आदि का कहना है कि शहडोल में तालाबों का अस्तित्व बचाने के लिये तत्परतापूर्ण पहल की जरूरत है.
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