पेट्रोलियम मूल्यबृद्धि पर जिले के समस्त पेट्रोल पंपों पर सीधी कांग्रेस ने दिया धरना

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पेट्रोलियम मूल्यबृद्धि पर जिले के समस्त पेट्रोल पंपों पर सीधी कांग्रेस ने दिया धरना



पेट्रोलियम मूल्यबृद्धि पर जिले के समस्त पेट्रोल पंपों पर सीधी कांग्रेस ने दिया धरना


   आज पूरे मध्यप्रदेश में जगह जगह पेट्रोल पंप पर कांग्रेस पदाधिकारियों ने डीजल पेट्रोल की कमर तोड़ मूल्य वृद्धि के विरोध में कोविड-19 की गाइडलाइन का पालन करते हुए सांकेतिक धरना दिया इसी तारतम्य में मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के आव्हान पर सीधी जिले के संपूर्ण पेट्रोल पंपों पर कांग्रेस पदाधिकारियों ने निर्धारित संख्याबल में उपस्थिति होकर केंद्र और राज्य की सरकारों के विरुद्ध आक्रोश ब्यक्त किया एक तरफ महामारी ने देश की जनता का सांस छीन ली और सरकार चुनाव में बिजी थी अब खाली हुई तो जनता को महंगाई से मार रही है केंद्र सरकार ने इस तरह मूल्य बढ़ाकर 307 फीसदी कमाई की है ऐसे में बार-बार सवाल यही उठता है कि कच्चे तेल का मूल्य अंतराष्ट्रीय बाजार में सस्ता है तो फिर पेट्रोल इतना महंगा क्यों है? खास बात यह है कि पिछले छह सालों में यानी साल 2014 के बाद से अब तक पेट्रोलियम पदार्थों पर केंद्रीय उत्पाद शुल्क में दोगुने से भी ज्यादा का इजाफा हुआ है क्योंकि वर्ष 2014 में पेट्रोल 63 रुपये और डीजल 50 रुपये था विरोधस्वरूप कांग्रेस ने पूरे देश मे आज पेट्रोल पंपों में उपस्थित होकर धरना दिया मध्यप्रदेश में हर पेट्रोल पंपों पर कांग्रेस के प्रदेश पदाधिकारियों ने धरना प्रदर्शन किया सीधी में जिला कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष रुद्रप्रताप सिंह बाबा सफल नेतृत्व में समस्त कांग्रेस पदाधिकारी जिसमें जिले से प्रदेश पदाधिकारी सहित वर्तमान और पूर्व पदाधिकारी,समस्त अनुसांगिक संगठनों के पदाधिकारी,समस्त निर्वाचित अथवा पूर्व निर्वाचित पदाधिकारियों ने जिले के हर गांव कस्बों के पेट्रोल पम्पो पर एकत्रित हुए और हांथों में तख्ती झंडा लेकर सरकार विरोधी नारे लगाए इस प्रकार जगह-जगह प्रदर्शन हुआ क्योंकि कमर तोड़ महंगाई से देश प्रदेश की जनता का दम घुट रहा है जनता असहाय महसूस करने लगी है।

  ऐसे हो रहा है पेट्रोल डीजल में मूल्यबृद्धि पर खेल:-

आज कच्चा तेल ब्रेंट क्रूड 63.57 डॉलर प्रति बैरल के आसपास है और पेट्रोल का मूल्य 105 रुपए प्रति लीटर है. जबकि यूपीए के दूसरे कार्यकाल में 2009 से लेकर मई 2014 तक क्रूड की कीमत 70 से लेकर 110 डॉलर प्रति बैरल तक थी. लेकिन तब भी पेट्रोल की कीमत 55 से 72 रुपए के बीच ही रही, क्योंकि उस वक्त टैक्स का बोझ कम था सरकारें जनता का दर्द समझतीं थीं लेकिन आज चौतरफा मार झेल रही है जनता और केंद्र की सरकार फिर राज्यों की चुनावी तैयारी में जुट गई है।

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