शुवेन्दू अधिकारी के पिता एवं भाई को Y+ श्रेणी की दी गई सुरक्षा,गृह मंत्रालय ने दिया आदेश
विधान सभा चुनाव के बाद पश्चिम बंगाल में हुई हिंसा के मद्देनजर बीजेपी अपने नेताओं की सुरक्षा के लिए अलर्ट हो गई है. केंद्र सरकार ने सीएम ममता बनर्जी को विधान सभा चुनाव में नंदीग्राम सीट से हराने वाले शुवेंदु अधिकारी के भाई और पिता को Y+ श्रेणी की सुरक्षा दे दी है.
गृह मंत्रालय ने लोक सभा सांसद शिशिर कुमार अधिकारी और दिव्येंदु अधिकारी को Y+ श्रेणी की सुरक्षा दी है. केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल को दोनों की सुरक्षा की जिम्मेदारी दी गई है.
गौरतलब है कि विधान सभा चुनाव खत्म होने के बाद पश्चिम बंगाल में हिंसा की घटनाएं अचानक बढ़ गई थीं. कई जगह बीजेपी कार्यकर्ताओं पर हमले हुए थे, जिसका आरोप सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस (TMC) पर लगा था.
सूत्रों ने बताया कि उन्हें पश्चिम बंगाल राज्य में 'वाई प्लस' केंद्रीय सुरक्षा मुहैया करायी गई है और केंद्रीय रिजर्व पुलिस (सीआरपीएफ) को इसकी जिम्मेदारी सौंपी है।
उन्होंने बताया कि राज्य में जब भी उनमें से कोई कहीं जाएगा तो करीब चार से पांच सशस्त्र कमांडो उनके साथ होंगे।
सीआरपीएफ शुभेंदु अधिकारी को 'जेड' श्रेणी की सुरक्षा भी देती है। शुभेंदु अधिकारी पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता हैं।
शुभेंदु अधिकारी ने टीएमसी से नाता तोड़ लिया था और भाजपा में शामिल हो गए थे। उन्होंने नंदीग्राम सीट से मुख्यमंत्री और टीएमसी सुप्रीमो ममता बनर्जी के खिलाफ 2021 का विधानसभा चुनाव लड़ा और जीत हासिल की।
वाई प्लस (Y+) कैटेगरी की सुरक्षा के तहत 11 सीआरपीएफ जवान शिफ्ट के हिसाब से सुरक्षा देते हैं. इसमें मोबाइल सिक्यॉरिटी के लिए दो गनमैन और एक आवास की सुरक्षा के लिए होते हैं. सुरक्षा की कैटेगरी खतरे के हिसाब से चुनी जाती है. इंटेलिजेंस ब्यूरो गृह मंत्रालय को खतरे की जानकारी देता है, जिसके बाद यह सुनिश्चित किया जाता है कि खतरा कितना बड़ा है उस हिसाब से सुरक्षा की कैटेगरी डिसाइड की जाती है.
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने 9 मार्च को लोकसभा में बताया था कि देश में 230 लोगों को सीआरपीएफ और सीआईएसएफ जैसे केंद्रीय अर्द्धसैनिक बलों की तरफ से 'जेड प्लस', 'जेड' और 'वाई' श्रेणियों के तहत सुरक्षा प्रदान की जा रही है. गृह मंत्रालय ने यह भी बताया था कि इन व्यक्तियों को सुरक्षा प्रदान करने में हुए व्यय का आकलन नहीं किया जा सकता है, क्योंकि उनके लिए सुरक्षा का प्रबंध करने में राज्य सरकारें और अलग-अलग एजेंसियां शामिल हैं.
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