मध्यप्रदेश अजब - गजब : शुद्ध ऑक्सीजन पाने के लिए पीपल के पेड़ में बुजुर्ग युवक ने खाट रखकर जमा लिए डेरा

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मध्यप्रदेश अजब - गजब : शुद्ध ऑक्सीजन पाने के लिए पीपल के पेड़ में बुजुर्ग युवक ने खाट रखकर जमा लिए डेरा



मध्यप्रदेश अजब - गजब: शुद्ध ऑक्सीजन पाने के लिए पीपल के पेड़ में बुजुर्ग युवक ने खाट रखकर जमा लिए डेरा




मध्यप्रदेश में भी कोरोना का प्रोकप बहुत तेजी से बढ़ रहा था जिसको लेकर सरकार सख्त कदम उठाया और लॉक डाउन कर दिया जिससे अब कोरोना केस में कमी आई है। कोरोना के बढ़ते मरीज से ऑक्सीजन की भी किल्लत हुई थी जिससे कई मरीजों ने तो ऑक्सीजन की कमी से दम तोड़ दिए, हालांकि अब राहत मिली है।
ऑक्सीजन संकट के बीच मध्यप्रदेश के सबसे हॉटस्पॉट शहर इंदौर में एक बुजुर्ग प्राणवायु ऑक्सीजन के जरिए जिंदगी बचाए रखने की अनूठी सीख दे रहे हैं। रंगवासा के 67 वर्षीय राजेंद्र पाटीदार रोज शुद्ध ऑक्सीजन की आपूर्ति के लिए उन्होंने पीपल के पेड़ पर ही अपना डेरा डाल रखा है। लिहाजा सुबह से लेकर शाम में उन्हें जब भी मौका मिलता है वह शरीर में ऑक्सीजन की कमी को दूर करने के लिए और शरीर को स्वस्थ रखने के लिए शुद्ध ऑक्सिजन के लिए पीपल के पेड़ पर चढ़ जाते हैं। इसके लिए उन्होंने पेड़ पर बैठने के लिए कुर्सी का मचान बना रखा है। इतना ही नहीं पीपल के पेड़ पर जितने फर्राटेदार तरीके से ऊपर चढ़ते है, देखने वाले अचंभित रह जाते हैं।

पेड़ पर योगा:-


राजेंद्र पाटीदार बिल्कुल स्वस्थ है। उन्हें कोई बीमारी नहीं है इसका सबसे बड़ी वजह बताया शुद्ब ऑक्सीजन पर्यावरण से प्रेम कपाल भारती, प्राणायाम, अनुलोम-विलोम भी पेड़ के ऊपर ही कर लेते है। जबसे ऑक्सीजन की किल्लत हुई तभी से वो पेड़ पर चढ़कर ऑक्सिजन ले रहे है। बुजुर्ग पाटीदार की इस पहल को देखकर ग्रामीण भी खासे खुश हैं और उनकी अनूठी पहल की सराहना कर रहे है।

राजेंद्र पाटीदार पीपल के पेड़ के फायदे महत्व बता रहे हैं, अब स्थिति यह है कि उनके परिवार के जो पहले सदस्य विरोध कर रहे थे, अब उनका पेड़ पर चढ़ने से लेकर सभी साधन पेड़ पर ही मुहैया कराने से पीछे नहीं हटते। इस दौरान यदि कोई उनसे संवाद करना चाहता है तो पाटीदार पेड़ के ऊपर से ही बात करते हैं।

उनका दावा है, जो लोग पीपल के पेड़ और प्रकृति का महत्व समझते हैं। उससे प्रेम करते है, उसे संजो कर रखते है, उन्हें ना तो कोरोना हो सकता है नाही कोई दूसरी बीमारी, ऑक्सीजन लेवल घटने का तो सवाल ही नहीं उठता। उन्होंने बताया उनके इस अनूठे प्रयास के बाद अब गांव के कई बुजुर्ग भी इस तरह के प्रयास से प्रेरित हो रहे हैं।

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