इन राज्यों में मिले ब्लैक फंगस से कोरोना पीड़ित मरीज, जानिए कितना खतरनाक है यह नया रोग
कोरोना महामारी के बीच नए रोग ब्लैक फंगस यानी म्यूकोरमायकॉसिस अब लोगों की जान का दुश्मन बन गया है. महराष्ट्र और दिल्ली के बाद मेरठ में ब्लैक फंगस से पीड़ित तीन कोविड मरीज मिले हैं. बता दें कि इन मरीजों की हालत गंभीर है. इनमें एक मूल रूप से मुजफ्फरनगर का है, जिसकी किडनी ट्रांसप्लांट हुई थी. जबकि दूसरा मरीज बिजनौर का रहने वाला है और वह डायबिटिज से पीड़ित हैं. हालांकि तीसरा मरीज सामान्य हैं. ये मरीज रेफर होकर मेरठ पहुंच हैं. तीनों मरीजों का इलाज मेरठ के एक निजी अस्पताल में चल रहा है. निजी अस्पताल के डॉक्टर संदीप गर्ग ने इसकी पुष्टि की है.
डॉक्टरों ने बताया कि ब्लैक फंगस यानी म्यूकरमाइकोसिस नामक बीमारी नान कोविड में मिलती रही है, लेकिन कोविड में पहली बार ये बीमारी दिखी है. यह बीमारी म्यूकर नामक फंगस से होती है, जो वातावरण में रहते हैं. नाक और आंख से होता हुआ संक्रमण दिमाग तक पहुंचता है. इसमें मरीज के दिमाग का अगला हिस्सा अंदर से सूज जाता है. आंखें काली पड़ जाती हैं. डॉक्टरों का कहना है कि यह फंगस कई मरीजों के साइनस में रहता है, लेकिन एक्टिव नहीं हो पाता है. नाक में एक विशेष उपकरण डालकर साइनस को साफ भी करते हैं. कोरोना में प्रतिरोधक क्षमता कम होने पर बाद में यह फंगस दूसरे अंगों तक पहुंच जाता है.
गौरतलब है कि कोरोना संक्रमित मरीजों में ब्लैक फंगस के मामले दिखने को मिल रहे हैं, जो जानलेवा है. डॉक्टरों के मुताबिक इससे संक्रमित मरीजों की मौत हो रही है. अब इसका मेरठ में मिलना स्वास्थ्य विभाग के लिए एक बड़ी चुनौती है.
जानिए क्या है ब्लैक फंगस
लखनऊ के किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के रेस्पिरेटरी विभाग के प्रमुख डॉ. सूर्यकांत ने बताया कि कोरोना संक्रमण के बाद पहले नौ दिन बहुत अहम हैं. संक्रमण के साथ अगर मरीज में ब्लैक फंगस की शिकायत हुई तो उसकी जान पर खतरा बढ़ सकता है. यह फंगस त्वचाके साथ नाक, फेफड़ों और मस्तिष्क तक को नुकसान पहुंचा सकता है. डॉ सूर्यकांत ने बताया कि ब्लैक फंगस पहले से ही हवा और जमीन में मौजूद है. जैसे ही कोई कमजोर इम्युनिटी वाला व्यक्ति इसके संपर्क में आता है, तो उसके चपेट में आने की संभावना ज्यादा रहती है. डॉ सूर्यकांत के मुताबिक जो मरीज जितने लंबे समय तक अस्पताल में रहेगा उसमें खतरा ज्यादा रहेगा. उन्होंने बताया कि फंगस पहले नाक से शरीर में प्रवेश करता है और फिर फेफड़ों से रक्त के साथ मस्तिष्क में पहुंच जाता है. संक्रमण जितना ज्यादा होगा, लक्षण भी उतना ही गंभीर होगा.
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