मध्यप्रदेश को अमेरिका से मिली मदद, रिटायर्ड दंपत्ति ने की एक हजार डॉलर की मदद की
भोपाल।
'अपि स्वर्णमयी लङ्का न मे लक्ष्मण रोचते।
जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी ॥'
(अनुवाद : ' लक्ष्मण! यद्यपि यह लंका सोने की बनी है, फिर भी इसमें मेरी कोई रुचि नहीं है। (क्योंकि) जननी और जन्मभूमि स्वर्ग से भी महान हैं।)
मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम द्वारा लक्ष्मण को कहे गए ये वचन अमेरिका में रह रहे शाजापुर निवासी सक्सेना दंपत्ति ने वर्तमान में प्रासंगिक सिद्ध कर दिए। नि:स्वार्थ समर्पण का भाव लिए श्री आर.सी. सक्सेना (दद्दा) और श्रीमती इंदु सक्सेना ने कोरोना संकट के दौरान अमेरिका से एक हज़ार डॉलर (लगभग 73 हजार रुपए) की मदद शुजालपुर में 'अपनों के लिए-अपना कोविड केयर सेंटर' को देकर एक अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत किया। सक्सेना दंपत्ति ने यह राशि शुजालपुर के वरिष्ठ शिक्षक श्री दिनेश भारद्वाज के माध्यम से स्कूल शिक्षा (स्वतंत्र प्रभार) और सामान्य प्रशासन राज्य मंत्री श्री इंदर सिंह परमार को भेंट की।
शुजालपुर निवासी श्री सक्सेना सेवानिवृत्त प्रोफेसर एवं श्रीमती सक्सेना सेवानिवृत्त प्राचार्य हैं, जो कि वर्तमान में अपने बेटों के साथ अमेरिका में रहते है। सक्सेना दंपत्ति ने शुजालपुर के कई लोगों को मार्गदर्शन दिया है और शिक्षा का पाठ पढ़ाया है। विदेश में रहने के बाद भी अपनी मिट्टी अपने वतन से उनका आत्मीय स्नेह है।
श्री Inder Singh Parmar से ऑनलाइन वीडियो कॉल पर चर्चा कें दौरान सक्सेना दंपत्ति ने मंत्री श्री परमार को बताया कि शुजालपुर में कोरोना वायरस के प्रकोप से वह चिंतित रहते थे। सोशल मीडिया के माध्यम से जब उन्हें समाज के सहयोग से संचालित 'अपनो के लिए-अपना कोविड केयर सेंटर' की जानकारी मिली तो उन्होंने इसे काफी सराहा और अपनी बचत पूंजी में से यथा-शक्ति मदद करने का निर्णय लिया। सक्सेना दंपत्ति ने अपने समय के शुजालपुर की याद को ताजा करते हुए राज्यमंत्री श्री परमार की पहल की प्रशंसा की एवं उन्हें आशीर्वाद भी दिया।
श्री परमार ने सक्सेना दंपत्ति के इस अनुकरणीय योगदान के लिए आभार और धन्यवाद व्यक्त किया है। उन्होंने कहा कि आपके द्वारा जो मार्गदर्शन शुजालपुर में रहते हुए हम लोगो को मिला है, यह सब उसी का परिणाम है। आपने हमे शिक्षा के साथ आज जो मानवता का पाठ पढ़ाया है वो भविष्य में हमारा मार्गदर्शन करता रहेगा।
0 टिप्पणियाँ