कोरोना ने शादी से पहले इकलौते भाई को छीना, बहन ने दूल्हे के कपड़े को भी डाला चिता में
कोरोना ने एक बहन से उसके भाई को छीन लिया. ग्वालियर से शादी के लिए लखनऊ आए परिवार पर आफतों का पहाड़ टूट गया. कोरोना की वजह से घर का एक मात्र चिराग बुझ गया.
29 अप्रैल को थी शादी
दरअसल, मध्य प्रदेश के ग्वालियर निवासी त्रिभुवन शर्मा का परिवार 27 अप्रैल को लखनऊ आया था. उनको अपने बेटे की शादी 29 अप्रैल को राजधानी से करनी थी. त्रिभुवन शर्मा अपने परिवार के साथ इंदिरानगर के एक गेस्ट हाउस में रुके थे. कोरोना के कारण लागू पाबंदियों की वजह से बेटी दिव्या, पत्नी मंजू समेत कुछ रिश्तेदार ही शादी अटेंड करने आए थे.
लखनऊ पहुंचते ही उनके बेटे राहुल की तबीयत अचानक खराब होने लगी.
28 अप्रैल को राहुल का ऑक्सीजन लेवल काफी नीचे चला गया. कोरोना संक्रमित होने पर उसे किसी तरह चौक के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया. लड़की वालों को विवाह का कार्यक्रम कैंसल करने को कहा गया.
पिता बेटे की शादी के लिए जो पैसा लाए थे वह धीरे-धीरे इलाज में लगने लगा. इस दौरान लड़के की मां को रिश्तेदारों के साथ ग्वालियर भेज दिया गया. पिता और बेटी भाई की देखरेख के लिए लखनऊ में ही रुक गए. इलाज के दौरान दो दिन बाद बेटे की हालत में सुधार नजर आया. लेकिन अचानक उसकी तबीयत बिगड़ने लगी. ऑक्सीजन लगने के बाद भी उसकी हालत में सुधार नहीं आया. संक्रमण फेफड़े से किडनी तक पहुंच गया था. आखिर राहुल बीते रविवार की तड़के कोरोना से जिंदगी की जंग हार गया.
इसके बाद गुलालाघाट पर राहुल का अंतिम संस्कार हुआ. बहन दिव्या भी श्मशान घाट पर पहुंची थी. जब राहुल को मुखांग्नि दी गई तो बहन विवाह के लिए राहुल के जितने कपड़े बने थे, उनको जलाते हुए बोल रही थी 'भइया अब इसका हम लोग क्या करेंगे. यह सब तुम्हारे लिए था'. अपने हाथों से भाई की चिता पर पगड़ी, शेरवानी, कुर्ता-पायजामा जैसी चीजें रखती जा रही रही थी. आस-पास खड़े दो चार लोग उसे चिता से दूर खींचकर लाते. थोड़ी देर बाद वह फिर चिता के करीब पहुंच जाती.
पिता ने बताया कि राहुल बेंगलुरु में एक साफ्टवेयर कंपनी में काम करता था. जिस लड़की से उसका विवाह होना था वह भी उसके साथ नौकरी करती थी. यह कहते-कहते वह फफक कर रो पड़े. बोले 'बड़े अरमानों से यहां आए थे कि बहू लेकर जाएंगे. पर इसकी कल्पना तक नहीं की थी.'
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