जानिए कब आयेगी कोरोना की तीसरी लहर , बच्चों के लिए कितना है खतरनाक
दूसरी लहर का त्राहिमाम अभी रुका नहीं है लेकिन एक्सपर्ट महामारी की तीसरी लहर को लेकर हमें कुछ समय से लगातार आगाह कर रहे है.
एक्सपर्ट्स का मानना है कि तीसरी लहर कब आयेगी, इसके बारे में सटीक रूप से कुछ नहीं कह सकते. लेकिन उस दौरान बच्चों को सुरक्षित रखने के लिए क्या कुछ रणनीति बन रही है इस पर देश की पूर्व स्वास्थ्य सचिव सुजाता राव ने कुछ अहम सवालों का जवाब दिया है.
न्यूज़ एजेंसी भाषा ने उनसे जो अहम सवाल पूछे आइए आपको विस्तार से बताते हैं:-
पूर्व स्वास्थ्य अधिकारी से जब पूछा गया कि कुछ जानकारों का मानना है कि कोविड-19 की तीसरी लहर आयेगी तब बच्चे अधिक प्रभावित हो सकते हैं.
इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि फिलहाल ऐसी कोई भी रिपोर्ट नहीं आई है जिसमें वैज्ञानिक साक्ष्यों के आधार पर यह बात कही गई हो कि कोविड-19 का नया स्वरूप बच्चों के लिये अधिक हानिकारक होगा।
हालात से साफ है कि वायरस का बी.1.617 स्वरूप अधिक संक्रामक है. निगरानी, नियंत्रण, इलाज एवं जांच संबंधी बताए गए दिशा-निर्देशों का पालन करने से वायरस के प्रसार को रोका जा सकता है. हमें स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर और तैयारी रखने के साथ सावधानी बरतने की जरूरत है.
इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि हम यह सटीक रूप से नहीं कह सकते हैं कि तीसरी लहर कब आएगी और कितनी गंभीर होगी. अगर लोग कोरोना प्रोटोकॉल का सही से पालन करें और बड़ी संख्या में टीका लगा सकें तो तीसरी लहर कम गंभीर हो सकती है.
कोरोना का प्रसार रोकने यानी उसे खत्म करने के प्रमुख हथियार की बात करें तो ये काफी हद तक टीकाकरण की तेज रफ्तार पर निर्भर होगा. इस मोर्चे पर सरकार लक्ष्य से पीछे चल रही है. किफायती टीकाकरण के लिए केंद्र सरकार को भारतीय और विदेशी वैक्सीन निर्माताओं से टीकों की आपूर्ति सुनिश्चित करनी चाहिए.
पूर्व स्वास्थ्य सचिव से जब ये पूछा गया कि कोरोना वायरस के बदलते प्रारूप के बीच टीकाकरण की रणनीति कैसी होनी चाहिए तो उन्होंने कहा, ' देश अभी कोविड-19 की दूसरी लहर के बीच में है. दूसरी लहर का प्रभाव कम करने के लिए हमारे पास समय कम है. इसी दौरान
हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि हम 70 प्रतिशत आबादी का टीकाकरण कर दें. तीसरी लहर से पहले हमें ऐसा करना ही होगा'.
पूर्व अधिकारी ने कहा इसके लिये विकेंद्रीकरण महत्वपूर्ण सूत्र हैं. हमें जिला स्तर पर सूक्ष्म योजना तैयार करनी होगी और इस अभियान में नागरिक समाज, ग्राम पंचायतों एवं अन्य पक्षकारों को शामिल करना होगा. टीकाकरण में शिक्षकों, ड्राइवरों, घरों में सामान पहुंचाने वालों, औद्योगिक कर्मियों तथा कामकाज में नियमित सम्पर्क में रहने वालों को त्वरित रूप से टीका लगाना होगा. तभी हम वायरस से जीत पाएंगे.
कोरोना वायरस में हो रहा या होने वाला बदलाव कितना हानिकारक होता है. ऐसे में सामान्य लोगों को ऐसे में क्या सतर्कता बरतनी चाहिए. इसके जवाब में उन्होंने कहा हर वायरस शरीर में अपनी प्रति (कॉपी) बनाने के दौरान बदलाव करता है, लेकिन उसकी प्रतियों में खामियां होती हैं और वायरस की हर प्रति उसकी सटीक प्रति नहीं हो सकती हैं. कोई भी बदलाव 'म्यूटेशन' कहलाता है. हमें हमेशा कोविड-19 प्रोटोकाल के अनुरूप व्यवहार करना होगा. वायरस का हर बदलाव चिंताजनक नहीं होता है.
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