जब मां की अर्थी को बेटी ने कंधे में उठाई तो देखने वालों की आंखे हो हो गईं नम, रिश्तेदारों ने..
कोरोना वायरस के डर से जहां मानवीय संवेदनाएं दरकिनार होती जा रही हैं वहीं परंपराओं को तोड़कर नए नियम बनते जा रहे है कोरोना का भय इस कदर हो गया है लोग अब अपने परिवार को तक नहीं छूते, कुछ खबर तो ऐसे भी आती है कि अपने माता पिता की अर्थी को तक लोग हाथ नहीं उठाते, बुधवार को वाराणसी में ऐसा ही एक नजारा नजर आया. कबीरचौरा अस्पताल से एक मां की अर्थी उठी तो बेटी ने कंधा दिया. बेटी के कंधे पर मां की अर्थी देख हर आंख छलक उठी, कलेजा दहल उठा।
गाजीपुर के जखनिया इलाके के एक छोटे से गांव बुखरा के रहने वाले रामचंद्र शर्मा अपनी पत्नी अनिता को बीते सात मई को कबीरचौरा स्थित शिव प्रसाद गुप्त अस्पताल इलाज के लिए लाए थे। अनिता को सांस लेने में तकलीफ की वजह से डॉक्टरों ने उन्हें भर्ती करने की सलाह दी थी।
रामचंद्र ने पत्नी की देखभाल के लिए बड़ी बेटी पूजा (17) को भी बुला लिया।
कक्षा 12 की छात्रा पूजा ने मां की देखभाल की। इस दौरान मंगलवार की शाम अनिता की तबियत बिगड़ने लगी तो पूजा ने पिता और स्थानीय रिश्तेदारों को फोन कर इसकी सूचना दी। बुधवार की सुबह इलाज के दौरान अनिता ने दम तोड़ दिया।
रामचंद्र मजदूरी करके अपनी दो बेटियों पूजा और छोटी बेटी प्रीति का लालन पालन करते हैं। घर की आर्थिक स्थिति भी सही न होने से उन्होंने अपने रिश्तेदारों का सहयोग मांगा। इस बीच उनके दूर के रिश्तेदार अभिषेक ने समाज सेवी अमन कबीर की मदद से शव की अंत्येष्टि कराई।
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