मुख्यमंत्री का फर्जी ओएसडी बनकर 2 करोड़ की उगाही करने वाले 4 आरोपी गिरफ्तार,जानिए कैसे हुआ खुलासा
उत्तर प्रदेश के स्पेशल टास्क फोर्स की टीम ने मुख्यमंत्री योगी का विशेष कार्य अधिकारी बनकर शासन के अलग-अलग विभागों के अधिकारी के तौर पर फर्जी जांच प्रकरण की धमकी देने वाले और ठगी करने वाले एक गिरोह का भंडाफोड़ किया है. यूपी एसटीएफ ने पूर्व सहायक समीक्षा अधिकारी (सचिवालय) समेत 4 सदस्यों को गिरफ्तार किया है.
आरोपी पहले अधिकारियों से मुलाकात करते फिर फर्जी जांच का धौंस जमाकर ठगी करते थे. आरोपियों पर जबरन धन उगाही का भी इल्जाम लगा है. पुलिस ने इस सिलसिले में 4 लोगों को धर दबोचा है. आरोपियों के नाम प्रमोद कुमार, अतुल शर्मा, प्रदीप कुमार श्रीवास्तव और राधेश्याम कश्यप हैं. ये आरोपी बीते कई दिनों से यूपी के अलग-अलग जनपदों के अधिकारियों को सीएम योगी का फर्जी विशेष अधिकारी बताकर ठगी करते थे. गिरफ्तार आरोपियों में अतुल शर्मा भी शामिल है, जो बर्खास्त समीक्षा अधिकारी है. पता चला है कि अतुल शर्मा ठगी के आरोप में पहले भी जेल जा चुका है. जेल से छूटने पर उसने गिरोह बनाकर फिर ठगी शुरू कर दी.
एज न्यूज वेबसाइट में छपी खबर के अनुसार,
एसटीएफ ने आरोपियों के पास से 14 मोबाइल फोन, सचिवालय अफसरों के फर्जी परिचय पत्र बरामद किए हैं
यही नहीं विभिन्न विभागों के अधिकारियों, कर्मचारियों की लिस्ट भी बरामद की है. पता चला है कि जिन अफसरों के खिलाफ शिकायत होती थी, उनका पता लगाकर ये उन्हें निशाना बनाते थे और इसे बाद उगाही का खेल शुरू होता था.
दरअसल कुछ अफसरों ने अपर मुख्य सचिव गृह से शिकायत की थी. इसके बाद से जांच में एसटीएफ को लगाया गया था. पता चला कि अतुल शर्मा 2007 और 2010 में भी जेल जा चुका है. वह पुराना ठग है. पता चला कि इस गिरोह ने सीएम का फर्जी ओएसडी बनकर बरेली के फरीदपुर स्थित डायट के प्राचार्य मुन्ने अली से एक लाख रुपए की मांग की थी. यही नहीं एक जेल को इन्होंने फोन किया और जांच के नाम पर डराया.
जांच में पता चला कि इनके फोन से जो अफसर झांसे में आ जाता था, उसे ये सचिवालय के पास बुलाते थे. यहां प्रदीप और राधेश्याम के माध्यम से वसूली होती थी. यही नहीं ये लोग फर्जी जांच का आदेश भी अपने पास रखते थे. इनके पास से इनके परिवारवालों के बैंक खातों में जमा 15 लाख रुपए की पर्चिंयां भी बरामद हुई हैं।
इन अफसरों को फोन कर वसूली मांगी
इस गिरोह ने बरेली के फरीदपुर स्थित डायट के प्राचार्य मुन्ने अली से एक लाख रुपये की मांग की थी। एटा के जेलर कुलदीप सिंह भदौरिया को मुख्यमंत्री का ओएसडी बनकर फोन किया और जांच के नाम पर डराया। इस मामले में एटा में आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई।
जेल से छूटने के बाद फिर ठगी
एसटीएफ के इंस्पेक्टर ज्ञानेन्द्र राय ने बताया कि अतुल शर्मा सचिवालय के न्याय विभाग में सहायक समीक्षा अधिकारी था। वर्ष 2007 और वर्ष 2010 में सरकारी अधिकारियों को जांच के नाम पर वसूली करने के आरोप में पकड़ा गया था। उसे निलम्बित कर जेल भेज दिया गया था।
जेल से छूटने के बाद वह फिर से ठगी करने लगा। धमकाने के दौरान जो अफसर या कर्मचारी झांसे में आ जाता था, उसे ये लोग सचिवालय के पास बुलाते थे। फिर अतुल वहां नहीं रहता था और वह अपने दो साथियों प्रदीप व राधेश्याम को उनके पास रुपये लेने के लिये भेजता था। ये लोग फर्जी जांच का आदेश भी अपने पास रखते थे। वर्ष 2007 में जेल जाने के बाद जब ये छूटे तो वर्ष 2010 में चित्रकूट के तत्कालीन डिप्टी एसपी अखिलेश्वर पाण्डेय को इसी तरह धमकाकर रुपयों की मांग की थी।
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