चुनावी रैली में क्यों नहीं जाता कोरोना:जनता के लिए कोरोना गाइड लाइन जारी, नेताओं का क्यों है चुनाव प्रचार जारी
चुनावी रैली में क्यों नहीं जाता कोरोना,क्या चुनाव का नाम सुनकर डर जाता है कोरोना
नई दिल्ली।
पूरे देश में कोरोना संक्रमण के मामले फिर से बढ़ रहे हैं. कई राज्यों में तो स्वास्थ्य सुविधाएं चरमरा रही हैं. लेकिन, चुनावी राज्यों की रैलियों में कोरोना महामारी डर के मारे नहीं जा रहा है कोरोना भी बहुत समझदार हो गया है जहां चुनाव होंगे हम उस जगह में नहीं जाएंगे कोरोना का लोंगो में रत्ती भर डर भी नही है. कोरोना का डर इन रैलियों और रोड शो में हजारों-लाखों की संख्या में आने वाले लोगों के न दिल में आ रहा है और न समझ में. ये बात कोरोना को भी अंदर ही अंदर खाए जा रही है. मतलब, बेचारा कोरोना ने एक साल में जितना देश को परेशान किया , "ई चुनाव सुसरा मिलके सब मिट्टी पलीद किए दे रहे हैं. कौनो डर ही नही रह गया है". वैसे, इतनी भारी भीड़ देखकर कोरोना भी दहशत में आ ही जाता होगा. रैली में पहुंचने के बाद भीड़ में से किसी ने कोरोना को देख लिया, तो लोगों में भगदड़ मच सकती है. भगदड़ के बाद कितने पैरों के नीचे कुचला जाएगा, इसका हिसाब कौन रखता है, चुनावी रैली में इतनी भीड़ रहती है कि कोरोना डर के मारे दूसरे राज्य में भाग जाता है जहाँ चुनाव नहीं होते।
कोरोना गाइड लाइन का नहीं हो रहा पालन
पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव हो रहे हैं, भाजपा, कांग्रेस तथा अन्य विपक्षी दल के लोग लाखों की भीड़ इकट्ठा कर रहे हैं न तो वहां कोई नियम का पालन कर रहा है और न किसी पार्टी के बड़े नेता ने ये कहा कि आप नियमों का पालन करें, इस सत्ताधारी की कुर्सी की इतनी भूख लगी कि लोंगो के जीवन की परवाह तक नहीं है, इस रैली में प्रधानमंत्री , गृहमंत्री से लेकर सभी दलों के नेता रैली में शामिल हो रहे हैं,लेकिन आज तक कोई भी नेता ये नहीं बोला कि आओ हमारे रैली शामिल न हो घर मे बैठकर वर्चुअल वीडियो के माध्यम शामिल हों जाएं, नेता सत्ता के नशे में चूर हो गए हैं, उन्हें नहीं दिखता की देश मे क्या हो रहा है, इस महामारी से कितने लोग प्रभावित हो रहे हैं, कितनी मौतें हो रही हैं। रैली को देखकर अब ऐसी स्थिति में कोरोना क्या करे वह पतली गली से निकलना ही ठीक समझ रहा है।
आम जनता के लिए कोरोना कर्फ्यू:-
देश मे कोरोना महामारी विकराल रूप धारण कर लिया है, आये दिन संक्रमित व्यक्तयों की संख्या बढ़ रही है 2 लाख के पार आकंड़ा जा रहा है, लेकिन जहां चुनाव हो रहे हैं, वहां तो कोरोना डर के मारे जा ही नहीं रहा है, केवल वह वहीं जाएगा जहां चुनाव नहीं है, आम जनता इस महामारी से परेशान हो रही है, अब तो सोसल मीडिया में कर्फ्यू का विरोध भी कर रहे हैं करें क्यों न क्योंकि वह चुनावी सभा मे नहीं जाता, लोग बेरोजगार हो रहे हैं शादी पार्टी में सीमित संख्या कर दी गई है लेकिन चुनावी रैली में कोई लिमिट नहीं है 3 से 5 लाख लोग एक साथ इकट्ठा हो रहे हैं। न तो वहां कोई नियम है न कोई मना करने वाला है। चुनाव आयोग भी इस पर कोई टिप्पणी नहीं कर रहा है।
अन्य राज्यों के नेता जाकर कर रहे प्रचार:-
पश्चिम बंगाल में चुनाव प्रचार करने के लिए लोग दूसरे राज्य से भी जाकर प्रचार प्रसार कर रहे हैं उन्हें भी कोरोना डर के मारे नही छू रहा है। न तो उनके लिए कोई नियम और न कोई रोकने टोकने वाला। सभी नियम क़ानून तो आम जनता के लिए बना है ।
कोरोना बहुत समझदार हो गया है:-
भारत में आने के बाद कोरोना में कई बदलाव हुए हैं. कोरोना वेरिएंट या डबल म्यूटेंट वाले बदलाव नहीं, असली वाले बदलाव. कोरोना, भारत के नेताओं की तरह ही बहुत समझदार हो गया है. चुनावी राज्यों में वो इस वजह से भी नहीं बढ़ रहा है कि पता चला, चुनाव ही निरस्त हो गए. चुनाव नहीं होंगे, तो इतनी भीड़ एक साथ कहां ढूढने जाएगा. इसलिए चुनावी राज्यों में आखिरी के मतदान चरण का इंतजार कर रहा है. एक वायरस का इतना समझदार हो जाना निश्चित तौर पर चिंता का विषय है. चिंता से याद आया कि लोग बढ़ते हुए कोरोना संक्रमण के लिए राजनीतिक दलों और नेताओं पर भी दोष मढ़ रहे हैं. अब इससे अच्छा आपदा में अवसर क्या होगा? जिन्हें कोरोना से डर लग रहा है, बचाव के लिए वो भी इन चुनावी रैलियों में जा सकते हैं. कुछ तो बात होगी ही कि रैलियों में आने वाली भीड़ मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का पालन नहीं कर रही है।लाखों की भीड़ इकट्ठा हो रही है।
कोरोना नियमों का पाठ पढ़ाने वाले नियमों की धज्जियां उड़ा रहे हैं उन्हें को ख़ौफ़ नहीं है , किसी की माँ मर रही या बाप खुलेआम लाखों की भीड़ इकट्ठा कर रहे हैं। किसी भी नेता को शर्म नहीं आती की दूसरे को पाठ पढ़ा रहे खुद नियमों पालन नहीं करते। जनता के लिए कोरोना गाइड लाइन तो जारी कर दिया गया लेकिन सियासत दान है ओ चुनाव प्रचार में व्यस्त हैं। न उन्हें कोई डर न जनता की कोई फिक्र।
सबसे बड़ा सवाल?
क्या कोरोना चुनाव देखकर डर जाता है। और अन्य राज्यों में चला जाता है।
क्या कोरोना गाइड लाइन आम जनता के लिए बनाया गया है।
क्या देश के नेताओं को देखकर भाग जाता था कोरोना।
0 टिप्पणियाँ