कोरोना से मौतें लापरवाही का नतीजा
सुधांशु द्विवेदी, पत्रकार पत्रकार एवं विश्लेषक
देश- दुनिया में जानलेवा बने कोरोना संक्रमण को लेकर जितनी लापरवाही, भ्रष्टाचार, संवेदनहीनता और अमानवीयता भारत में हो रही है, इतने शर्मनाक दृश्य विश्व के किसी देश में देखने को नहीं मिलेंगे। ऐसे कुछ चुनिंदा लोग सिस्टम में अवश्य हैं जो कोरोना के कहर को थामने और जनजीवन बचाने में अपनी अग्रणी भूमिका निभाने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन उनकी कोशिशों के अपेक्षित नतीजे इसलिए सामने नहीं आ पा रहे क्यों कि कोरोना संबंधी व्यवस्थाएं दुरुस्त करने और उन्हें प्रभावी और दायित्व पूर्ण ढंग से संचालित करने की जिम्मेदारी जिन पर है उन्होंने आपदा को ही अपने लिये लूट खसोट, कोरोना मरीजों के शोषण और जोर जुल्म का अवसर मान लिया है। आज हालात इतने विकट हैं कि कोरोना मरीजों को अस्पतालों में भर्ती कराने से लेकर उनकी मौत हो जाने के बाद उनके अंतिम संस्कार तक उनकी इतनी फजीहत होती है कि खून खौल उठता है। जिला चिकित्सालय शहडोल में कलेक्टर और सीएच एमओ की लापरवाही के कारण एक ही दिन में कोरोना के एक दर्जन से अधिक मरीजों की मौत हो गयी। सीएचएमओ का कहना है कि उसने जिला चिकित्सालय में कोरोना संबंधी व्यवस्थाओं की खामियों की जानकारी कलेक्टर को दे दी थी। कलेक्टर को समय रहते सभी व्यवस्थाएं दुरुस्त कराना चाहिए था लेकिन वह हाथ पर हाथ धरे बैठा रहकर आंकड़ों की बाजीगरी में अपनी ऊर्जा लगाता रहा। जिसका दुस्परिणाम यह हुआ कि एक दर्जन से अधिक कोरोना मरीज एक ही रात में काल के गाल में समा गए। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में आधा दर्जन कोरोना मरीजों की एक अस्पताल में जलकर मौत हो गयी। यह तो सिर्फ कुछ उदाहरण हैं। चौतरफा हालात ऐसे हैं कि अस्पतालों से लेकर शमशानों तक स्थिति विकट है। कोरोना मरीजों के इलाज और लोगों के वैक्सिनेशन के संदर्भ कोई स्पष्ट नीति नहीं है। सब कुछ अव्यवस्थित ढंग से संचालित हो रहा है और कोरोना से मौतों के आंकड़े लगातार बढ़ रहे हैं। ऐसी स्थिति में अब लोगों को ही अपनी जिम्मेदारी प्रभावी तरीके से निभानी होगी कि वह कोरोना से बचाव संबंधी उपायों, प्रयासों- गाइडलाइन के पालन में स्वस्फूर्त ढंग से अपनी भूमिका निभाएं और लोगों को कोरोना संक्रमण से बचाकर मानवता को मजबूत बनाने का पुण्य कमाएं।
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