बंधन और मुक्ति का कारण यह मन है: स्वामी अड़गड़ानंद महाराज

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बंधन और मुक्ति का कारण यह मन है: स्वामी अड़गड़ानंद महाराज



बंधन और मुक्ति का कारण यह मन है: स्वामी अड़गड़ानंद महाराज

सीधी।
सीधी जिले के बरचर आश्रम में सत्संग के द्वारा स्वामी अड़गड़ानंद महाराज ने कहा की मनुष्य के बंधन और मुक्ति का कारण यह मन है, मन के द्वारा हर मनुष्य संसार के बंधन में बंधा हुआ है और इसी मन के द्वारा बंधन से छुटकारा भी मिलता है, इसलिए मन सहित इंद्रियों का संयम ही भगवान के पथ पर सहायक होता है। ज्यों ज्यों संयम ढलता जाएगा तो मन जो विषय भोगों में अशक्त  है वो भजन में लगता जाएगा, एक अवस्था ऐसी आ जाएगी की पूर्ण रूप से वैराग्य हो जाएगा और अहरनिश चिन्तन होने लगेगा।
महाराज जी ने कहा कि ॐ या राम का जाप करना चाहिए तभी हृदय निर्मल होता पाएगा और भगवान का रास्ता प्रशस्त होगा। अंत में महाराज ने बताया की मानव मात्र का धर्म शास्त्र यथार्थ गीता है सबको पाठ करना चाहिए ज्यों-ज्यों गीता के अनुसार चलेंगे तो सामाजिक भ्रांतियों में जो समाज उलझ रहा है ऊंच नीच भेद भाव छुआछूत की जो दरारें पड़ी है उनसे छूटकारा मिलता जाएगा यथार्थ गीता घर घर होनी चाहिए।
सत्संग के दौरान स्वामी जी के साथ साथ बितरागा नंद महाराज, चौधरी महाराज,संतोष महाराज,लाले महाराज,गोबिंद महाराज,दीपक महाराज, गिरी महाराज,बिनय महाराज,कौशल महाराज, महानंद महाराज,शिवा नंद महाराज इत्यादि संत विराजमान थे।

प्रतिदिन हो रहा सत्संग

परमहंस बरचर आश्रम में स्वामी अड़गड़ानंद महाराज का हर दिन सत्संग हो रहा है जहाँ सामाजिक समस्याओं का समाधान भक्तजन सत्संग के द्वारा प्राप्त कर रहे हैं। स्वामी जी के अतरिक्त गिरियानंद महाराज एवं लाले महाराज का अधिकतर सत्संग होता रहता है दोनों संतो के द्वारा भक्तजन आशीर्वाद प्राप्त कर रहे हैं।

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