जिले में हर्षोल्लास से मनाया होली का पर्व
शहडोल।
शहडोल जिले में होली का पर्व पूरे हर्ष व उल्लास के साथ मनाया गया। होली जलाने के लिए युवाओं ने 28 मार्च को कंडे लकड़ी इकट्ठी की थीं। रात को तय मुहूर्त के हिसाब से महिलाओं ने पहले होलिका का पूजन किया और इसके बाद होली जलाई गई। जिला मुख्यालय के कल्याणपुर में अटल गोसेवा संस्थान के सदस्यों ने नईदुनिया की आओ जलाएं कंडो की होली अभियान का समर्थन करते हुए दस हजार कंडों से बनाई गई होली का दहन किया। जिले के ब्यौहारी, जयसिंहनगर, रसमोहनी, अमझोर, गोहपारू, ब़ुढार, धनपुरी, केशवाही, खैरहा, बंगवार, अमलाई, बुड़वा, घुनघुटी में भी रंगों का त्योहार होली धूमधाम से मनाया गया। बुड़वा के बस स्टेंड चौक में सरपंच प्रेम बाई सोनी की मौजूदगी में फाग का कार्यक्रम किया गया। इस बार होली पर कोरोना का असर देखा गया। इसके कारण कई जगह तो होली जली ही नहीं लेकिन कई जगह पहली बार होली जलाकर इस पर्व का आगाज हुआ। कालोनियों में परिवारों ने मिलकर छोटी होली जलाने की परंपरा की शुरूआत की। होली जलाते समय लोगों ने दो गज की दूरी का पालन जितना हो सकता था उतना किया। वहीं इस बार रंगों की जगह गुलाल की होली ज्यादा खेली गई। होली के दूसरे यानी 29 मार्च को परेबा के दिन युवाओं की टीम ने जमकर धमाल किया। आठ से दस की संख्या में युवा रंग गुलाल लेकर आपस में होली मनाते हुए दिखे। वहीं महिलाओं की टीम भी घूमती हुई नजर आई। अर्चना तिवारी का कहना था कि होली साल भर में आती है इसलिए कोरोना का खयाल रखते हुए हमने होली खेली। पूजा राजपूत के आवास पर महिलाओं ने इकट्ठा होकर फाग का गायन किया। इस बार कोरोना के कारण नगरपालिका का टैगोर पार्क में होने वाला उत्सव कैंसिल रहा। पिछले साल भी यह उत्सव नहीं मनाया गया था। लोगों का कहना है कि दूरी का पालन करते हुए स्टेडियम में यह उत्सव मनाया जा सकता था क्योंकि यहां काफी बड़ा मैदान है पर इस परंपरा को पिछले सालों से जानबूझकर तोड़ा गया है।
30 मार्च को भाईदूज के दिन बहनों ने अपने अपने घरों में ही रहकर भाई के माथे पर मंगल टीका लगाया। सुबह पहले महिलाओं ने पूजा की और इसके बाद बहनों ने गुलाल का टीका अपने भाई के माथे पर लगाकर उसके लंबी आयु की कामना की। इस बार कोरोना का असर साफ साफ नजर आया। लोगों ने मिठाई कम ही खरीदी। वहीं घरों में गुजिया जो होली का प्रसिद्ध व्यंजन माना जाता है वह जरूर बनाई गई।
0 टिप्पणियाँ