देश की धरोहर है आजादी: सुधांशु द्विवेदी

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देश की धरोहर है आजादी: सुधांशु द्विवेदी



देश की धरोहर है आजादी: सुधांशु द्विवेदी


भोपाल।
 सुविख्यात चिंतक एवं अंतर्राष्ट्रीय पत्रकार सुधांशु द्विवेदी ने कहा है कि देश की आजादी बहुमूल्य धरोहर है इसलिए आजादी के अमृत महोत्सव के महत्वपूर्ण अवसर पर भारतीय लोकतंत्र के कायाकल्प में अपने स्वर्णिम योगदान का संकल्प सभी को लेना चाहिए। देश की आज़ादी के बाद के इस लंबे दौर में राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक, वैचारिक, न्यायिक,सैद्धांतिक, भौगोलिक, सामरिक सहित सभी मोर्चों पर देश की हुई स्वर्णिम प्रगति स्वाधीनता आंदोलन और इसे अंजाम देने वाले देश के महान सपूतों की जीवटता को रेखांकित करती है। वहीं देश में व्याप्त ज्वलंत समस्याएं भारतीय लोकतंत्र में जनमानस की समता, समानता और समरसतामूलक भागीदारी की आवश्यकता पर जोर देती हैं। देश में मौजूदा दौर में सुशासन की स्थापना और कायाकल्प एक बड़ा मुद्दा है। क्यों कि सुशासन और जवाबदेही पूर्ण शासन व्यवस्था ही वह सशक्त आधार है जो भारतीय लोकतंत्र में जन- जन की भागीदारी का मार्ग प्रशस्त कर सकता है। क्यों कि खासकर दक्षिण एशियाई देशों के मौजूदा हालात पर दृष्टिपात करें तो भारतीय लोकतंत्र व्यावहारिक और गुणवत्ता पूर्ण सफलता से युक्त है जबकि भारत के पड़ोसी देशों का लोकतंत्र सतही- विरोधाभाषपूर्ण या यूं कहें तो जोकतंत्र जैसा है। पाकिस्तान हो या चीन अथवा नेपाल, सभी को दुनिया के सामने अपने स्याह पक्ष को छिपाने के लिये बड़ी कवायदें करनी पड़ती हैं। जबकि भारत और भारतीय लोकतंत्र की गौरव गाथा का बखान तो हालात- परिस्थितियों से ही हो जाता है। देश में मौजूदा समय में सबसे अधिक जरूरत इस बात की है कि सार्वजनिक पदों पर आसीन लोग अपनी कार्य प्रणाली को ज्यादा जवाबदेह, परिणामदायक और उत्साहपूर्ण बनाएं। साथ- साथ नागरिक कर्तव्यों का पालन सभी को करना है। जिसमें सहस्त्राब्दी पुरुष महात्मा गांधी के राष्ट्रीयत्व और जवाहर लाल नेहरू के वैश्विक आभामंडल की झलक दिखाई दे। आजादी का अमृत महोत्सव सही मायने में उपलब्धिपूर्ण और रोमांचक है।

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