मानव मात्र का धर्मशास्त्र यथार्थ गीता जिस दिन घर घर हो जाएगी भगवान की राह प्रशस्त होगी,तत्वदर्शी महापुरुष ही शिव स्वरूप होते हैं--पूज्य स्वामी अड़गड़ानंद जी महाराज

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मानव मात्र का धर्मशास्त्र यथार्थ गीता जिस दिन घर घर हो जाएगी भगवान की राह प्रशस्त होगी,तत्वदर्शी महापुरुष ही शिव स्वरूप होते हैं--पूज्य स्वामी अड़गड़ानंद जी महाराज



मानव मात्र का धर्मशास्त्र यथार्थ गीता जिस दिन घर घर हो जाएगी भगवान की राह प्रशस्त होगी,तत्वदर्शी महापुरुष ही शिव स्वरूप होते हैं--पूज्य स्वामी अड़गड़ानंद जी महाराज


 पूज्य स्वामी जी सत्संग के दौरान महाशिवरात्रि के विषय में उपस्तिथ भक्तों को बताएं कि हर जीव मोह की रात्रि में है धीरे-धीरे जब संत महापुरुष का शरण मिलता है तब शिवरात्रि अर्थात कल्याण वाली रात्रि कल्याण स्वरूप एक महापुरुष होते हैं उनके बताए हुए मार्ग का अनुसरण वह करने लगता है भगवान श्री कृष्ण  गीता में बताए हैं कि या निशा सर्व भूतानाम तस्याम जागर्ति संयमी कि जगत रूपी रात्रि में पूरे संसार के लोग अचेत पड़े हुए हैं लेकिन जब जब हम संत महापुरुष का शरण सानिध्य मिलता है तो धीरे-धीरे भगवान की तरफ बढ़ने का मार्गदर्शन प्राप्त होता है तब वह कल्याणकारी रात्रि में प्रवेश करता है हृदय से भगवान राह बताने लगते हैं उठाने बैठाने और चलाने लगते हैं प्रकृति से प्रेम कराने लगते हैं तब धीरे-धीरे जीव का कल्याण होता है तत्वदर्शी महापुरुष ही शिव स्वरूप होते हैं उनके द्वारा ही हर जीव का कल्याण होता है पूज्य स्वामी अड़गड़ानंद जी महाराज ने  बताये की प्राप्ति वाले महापुरुष की काया ही काशी है और काशी में परम पद मिलता है आकर 4 जीव जगह है काशी मरद परम पद लहही कि जीव की जो श्रृंखला है अंडज पिंडज सवेदज उद्भिज इसमें से कोई भी काशी में शरीर का त्याग करता है उसे परम पद की प्राप्ति होती है अर्थात महापुरुष की काया ही काशी है ज्यो ज्यो महापुरुष का दर्शन लोग करते हैं उन्हीं से कल्याण होता है और एक न एक दिन उसे परम पद मिल जाता है महाराज जी ने आगे बताएं कि काशी त्रिशूल पर टिकी हुई है अर्थात जो महापुरुष होते हैं वह तीनो गुणों से ऊपराम होते हैं और ऐसे महापुरुष के दर्शन से हर जीव को परम पद की प्राप्ति एक न एक दिन हो जाती है पूज्य महाराज जी के सत्संग के पूर्व आश्रम के संत श्री वरिष्ठ आनंद श्री सूरज बाबा श्री लाले महाराज श्री राजाराम महाराज इत्यादि संतो ने भी सत्संग के माध्यम से  भगवान की  चर्चा कर भक्तों को आशीर्वचन प्रदान किए इस दौरान आश्रम के अन्य संत भी मंच मे विराजमान रहे जिनमे  श्री नारद महाराज जी, श्री संतोष महाराज जी,श्री आशीष महाराज जी,श्री लाले महाराज जी,श्री सोहम महाराज जी,श्री राकेश महाराज जी श्री सूरज महाराज जी सहित आश्रम के अन्य संतो के साथ हजारों भक्तगण उपस्तिथ थे।
(कुसमी-सीधी मध्यप्रदेश से संतोष तिवारी)

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