मध्यप्रदेश के इन स्टेशनों के बीच चेलगी मेमू ट्रेन, रहेगी ये सुविधाएं
(सुधांशु द्विवेदी)भोपाल ।
महानगरों की तर्ज पर रेलवे सभी मंडलों में मेमू ट्रेनें चलाने जा रहा है। इनमें यात्रियों की सुरक्षा के लिए सीसीटीवी कैमरे लगे होंगे। रेलवे बोर्ड ने पश्चिम-मध्य रेलवे को 20 स्टेशनों के बीच मेमू ट्रेन चलाने की सहमति दे दी है। दो नए मेमू रैक भी दिए गए हैं, जिनका भोपाल रेल मंडल ने ट्रायल किया है, जो सफल रहा है। चार रैक और मिलने हैं। इन रैक में शामिल सभी कोचों में सीसीटीवी कैमरे लगे हैं, जो चोरी, लूट या ट्रेन में होने वाली अन्य घटनाओं को अंजाम देने वालों की पहचान करने में मदद करेंगे। गौरतलब है कि अभी शताब्दी और राजधानी श्रेणी की कई ट्रेनों में सीसीटीवी कैमरे नहीं लगे हैं। वहीं मेमू ट्रेनों के कोचों में लगे हुए आ रहे हैं। इनका कंट्रोल रूम ट्रेन के दोनों छोर पर लगे इंजनों में होगा। पायलट भी ट्रेनों के अंदर कोच में होने वाली गतिविधियों पर सीधे नजर रख सकेंगे। अप्रिय स्थिति में कंट्रोल रूम को सूचना दे सकेंगे। यह ट्रेनें पश्चिम-मध्य रेलवे जबलपुर जोन के कोटा मंडल में सबसे पहले चलेंगी। इनका किराया पूर्व से चलने वाली पैसेंजर ट्रेनों के बराबर होगा। रेलवे मेमू ट्रेनों का संचालन पैसेंजर श्रेणी की ट्रेनों की जगह करने जा रहा है। इसके साथ ही सभी कोच कुर्सीयान श्रेणी के होंगे। कोच में खड़े रहकर सफर करने वाले यात्रियों के लिए ऊपर पकड़ने के लिए सपोर्ट हैंडल लगे होंगे। बता दें कि मेमू ट्रेनों को विद्युत ऊर्जा द्वारा ओवरहेड इलेक्ट्रिक लाइन से संचालित किया जाता है। इसलिए इन्हें मेनलाइन इलेक्ट्रिक मल्टीपल यूनिट (मेमू) ट्रेन कहते हैं। ऐसी ट्रेनों के कोचों में दोनों छोर पर ट्रैक्शन मोटर युक्त इंजन लगे होते हैं, जो तेज गति से दौड़ने में सक्षम होते हैं। ये ट्रेनें कम समय में नियंत्रित होती हैं इसलिए इन्हें बार-बार छोटे स्टेशनों पर आसानी से रोका जा सकता है। इन ट्रेनों को रोकने के बाद कम समय में अधिक गति से चलाया जा सकता है। भोपाल : भोपाल-इटारसी, रूठियाई-मक्सी और गुना-ग्वालियर के बीच। जबलपुर : जबलपुर-कटनी, कटनी मुडवारा-जबलपुर, कटनी-सतना, कटनी-माणिकपुर, सतना-रीवा, न्यू कटनी जंक्शन-सिंगरौली के बीच। कोटा : कोटा-चित्तौड़गढ़ के बीच मेमू ट्रेनें चलेंगी। इससे यह फायदा होगा कि पैसेंजर श्रेणी की ट्रेनों के मेंटेनेंस में अधिक खर्च आता है। मेमू में कम खर्च आएगा। पैसेंजर ट्रेनों में बार-बार इंजन बदलने पढ़ते हैं। इस तरह एक बार एक इंजन लगाने व निकालने के लिए न्यूनतम 15 और अधिकतम 20 मिनट ऑपरेटिंग समय लगता है। तब तक रेलवे ट्रैक पर अन्य ट्रेनों का आवागमन प्रभावित होता है।
इनका कहना है-
भोपाल मंडल के बीना स्टेशन पर मेमू शेड बनाकर तैयार कर दिया है। इसी शेड में आसपास के मंडलों की मेमू ट्रेनों का मेंटेनेंस करेंगे। ये ट्रेनें पैसेंजर श्रेणी की ट्रेनों की जगह लेंगी। भोपाल मंडल में इनका संचालन जल्द शुरू करेंगे।
उदय बोरवणकर, डीआरएम, भोपाल रेल मंडल
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