स्वामी जी के सानिध्य में 4 लाख से भी ज्यादा भक्तों ने किया प्रसाद ग्रहण, नही लगा मेला
सीधी।
परमहंस बरचर आश्रम मे आज गुरुवार को परम पूज्य स्वामी अड़गड़ानंद जी महाराज के सानिध्य में विशाल भंडारे का आयोजन सम्पन्न हुआ जहां 4 लाख से भी ज्यादा भक्तगणों ने भण्डारे का प्रसाद ग्रहण किया साथ ही भक्तो ने अपने स्वामी जी का दर्शन कर सत्संग के माध्यम से प्रवचन का भी रस पान किया स्वामी अड़गड़ानंद महाराज जी ने भण्डारे के दौरान सत्संग में परमहंस आश्रम में उमड़े जन समूह को संबोधित करते हुए कहा कि सत्य ही धर्म है और यही सनातन है आनन्द भाव से भगवान का स्मरण करने वाला कभी भी परेशान नही रहता जैसा कि भगवत गीता में भगवान श्री कृष्ण ने कहा है स्वामी जी ने कहा कि मोह माया समाज व देश के लिए बाधक रहा है माया के जाल में फंसकर राजा दशरथ ने अयोध्या को वीरान बना दिया वहीं महाभारत काल मे राजा ध्रतराष्ट्र ने पुत्र मोह में पड़कर पांडव व कौरव वंश का सर्वनाश कर दिया स्वामी जी ने कहा कि आनँदभाव से जो कोई भगवान को भजते हैं वे ईश्वर के व भगवान भक्त के हो जाते हैं जैसा कि गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने स्पष्ठ रूप से उल्लेख किया है यथार्थ गीता को जीवन का अध्यात्म व जीवंत रूप बताते हुए उन्होंहे गीता को हर घर मे पहुँचाने का आह्वान करते हुए कहा कि मनुष्य रूपी दुर्लभ तन को पवित्र बनाने में यह धर्म ग्रंथ सबसे ज्यादा कारगर है इसके पाठ से भौतिकवादी व स्वार्थपूर्ण सोच समाप्त हो जाएगी स्वामी जी ने कहा कि निष्काम कर्म योग से महान है जब कोई महापुरुष समाज मे आता है ईश्वर के आदेश से समाज को पथ दिखाता है भगवान श्रीकृष्ण भी एक सद्गुरु और महापुरुष थे सावधानी कर्म मे ही फल है गीता का ऐसा कर्म है योग चिंतन एवम आराधना है इंद्रियां जहां तक दौड़ती हैं ,मन कल्पना करता है जो यंत्र है कर्म करो,साधना करो लेकिन कामना मत करो कर्म करने में ही तेरा अधिकार है फल मे नही इंद्रियों का संयम गो रक्षा के बराबर है स्वामी जी ने भक्तों को बताया की यज्ञ की प्रक्रिया ही कर्म है अन्यत्र जो भी किया जाता है मनुष्य शरीर मे बांधने वाला कर्म गीता से इसका सम्बन्ध नही है बहुत से योगी दैवी संपत्ति को धारण करते हैं यह साधक का यज्ञ है जो सद्गुरु के स्वरूप का साधक धारण करता है नाम का जाप करता है वहीं से यज्ञ की शुरुआत होती है संयम ऐसे अग्नि है जो इंद्रियां रूपी अग्नि में हवन कर देता है इंद्रियों का संयम करना यज्ञ है योग विधि यज्ञ है और धारण करना कर्म है सद्गुरु सेवा से अनात्मिक तत्व दूर हो जाते हैं आत्मा शांति के लिए यथार्थ गीता का दो-चार श्लोक अध्ययन करना चाहिए मन इंद्रियों को समेटकर आत्मा का चिंतन करना पड़ता है जब आत्मा जागृत हुई तब कर्म कहलाता है इस दौरान सत्संग कार्यक्रम में प्रवचन बितरागानन्द महाराज जी,राजाराम महाराज जी,भावानन्द महाराज जी,लाले महाराज जी,गुलाब महाराज जी,शिवानन्द महाराज जी,नारद महाराज जी,महानन्द महाराज जी ,गिरी महाराज जी,दीपक महाराज जी ,अनुभवानंद महाराज जी सहित अन्य सन्तो के मुखारबिन्दु से सुबह से लेकर देर शाम तक प्रवचन का कार्यक्रम चलता रहा जिसमे भक्तों ने प्रवचन का रस पान किया ।
सुरक्षा के व्यापक इंतजाम,व्यापारियों ने आदेश को माना नही लगा मेला ---------
-भण्डारे को देखते हुए स्थानीय प्रशासन कुसमी एस डी एम आर के सिन्हा एवम 6 थानों के थाना प्रभारी पुलिस टीम के साथ सुबह से ही सुरक्षा व्यवस्था को लेकर पूरी तरह से पुलिस बल के साथ पोंड़ी,रामपुर से लेकर आश्रम तक मुस्तैद थे हलाकि छुटपुट व्यापारी सुबह से ही विशेष वाहनों से बाजार लगाने की तैयारी में बरचर आश्रम की ओर जा ही रहे थे कि पोंड़ी तिराहे मे अजाक थाना सीधी के पुलिस सिपाहियों ने वापस लौटा दिया वहीँ कुसमी थाना प्रभारी आर डी द्विवेदी,एवं पोंड़ी थाना प्रभारी तेजभान सिंह परिहार,कोतवाली निरीक्षक सीधी कल्याणी पांडेय टीम के साथ बरचर तिराहे मे पथरौला थाना के प्रभारी योगेश मिश्रा एवम भुईमाण थाना के प्रभारी संतोष चौरसिया बरचर नहर तिराहे पर कुसमी तहसीलदार रोहित सिंह मझौली थाना प्रभारी सतीश मिश्रा,मड़वास थाना प्रभारी केदार परौहा,कोतवाली सीधी निरीक्षक राजेश पांडेय ,यातायात सीधी के निरीक्षक भागवत प्रसाद पांडेय सहित पुलिस के जवान चप्पे चप्पे पर मोजूद रहे साथ ही सुरक्षा व्यवस्था के साथ भण्डारे मे पंगत व्यवस्था,प्रसाद वितरण को सहयोग देने में हजारो भक्तों का सराहनीय योगदान रहा जहाँ 4 लाख से ऊपर भक्तों ने भण्डारे का प्रसाद ग्रहण किया ।
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