स्वामी अड़गड़ानन्द जी महराज ने पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को दी सीख,कहा-जिंदगी की बेहतरी के लिए परिवारिक एकता जरूरी
(धर्मशास्त्रों में भी सात पीढ़ी के असर का उल्लेख,पूर्व मुख्यमंत्री ने स्वामी जी का दर्शन कर किया आरती वंदन
इतिहास के पन्ने कभी कभी वर्तमान के पन्ने बन जाते हैं। ऐसा ही वाकया लगभग साढ़े चार सौ साल बाद शुक्रवार 26/2 को सक्तेशगढ़ आश्रम में ताजा हो गया जब संत स्वामी अड़गड़ानन्द जी महराज के समक्ष यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव हाजिर हुए तो वहां न राजनीति दिखाई पड़ी और न लम्बाचौड़ा प्रवचन ही हुआ । हुआ भी तो पारिवारिक एकता की महत्ता पर चिंतन और चर्चा।
प्राचीन संत कुंभनदास की फिर दिखी कथा------------
आधुनिक 'संत' हमेशा 'सीकरी' में ही डोलते -मंडराते देखे जाते हैं । जबकि मुग़ल सम्राट अकबर ने महाप्रभु वल्लभाचार्य के शिष्य कवि कुंभनदास को जब अपनी राजधानी फतेहपुर सीकरी में आमंत्रित किया तब कवि की आत्मा कह उठी-
''संतन को कहा सीकरी सो काम,
आवत जात पनहियाँ टूटी,
बिसरि गयो हरि नाम !
जिनको मुख देखे दुःख उपजत,
तिनको करिबे परी सलाम !!''
(अर्थ यह कि संतों को 'सीकरी' से यानी राजधानी से भला क्या काम ? वहां आते-जाते 'पनहियाँ ' यानी चप्पलें टूट गयी और मैं हरि का नाम लेना भूल गया ! वहां तो जिन लोगों का मुखड़ा देखकर दुःख उपजने लगता है, हमें उनको भी सलाम करना पड़ता है।)
परिवार की एकता की बड़ी महत्ता----------------
-पूर्व मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव जब स्वामी अड़गड़ानन्दजी महराज के आश्रम में पहुंचे तो महराज कमरे के अंदर थे। वे भोजन कर रहे थे। पूर्व मुख्यमंत्री श्री यादव को बगल के कमरे में बैठाया गया । उनके साथ जौनपुर के सिर्फ बाबा दुबे ही थे। तकरीबन आधा घण्टा बाद जब महराज भोजन करके निकले तो पूर्व मुख्यमंत्री ने उन्हें प्रणाम और दूर से चरण-स्पर्श किया। महराज ने अखिलेश यादव से परिवार के सदस्यों के बारे में जानकारी ली।
सीढ़ी और पीढ़ी:-
आश्रम में सात सीढ़ी चढ़कर आठवीं सीढ़ी पर महराज के कमरे तक गए अखिलेश यादव से महराज ने उनकी ऊपर की पीढ़ी में पिता श्री मुलायम सिंह यादव के बारे में जानकारी ली। इसी क्रम में चाचा श्री शिवपाल यादव का भी नाम आया। महराज ने जिंदगी में हर मोर्चे पर बेहतरी के लिए प्रथमतः परिवार की एकता को सबसे बड़ा मंत्र बताया। यथार्थ गीता के भाष्यकार स्वामी जी महाभारत-युद्ध की चर्चा जब भी करते हैं तब विजातीयता यानी आपसी फूट, नफरत, क्रोध आदि से बचने का उद्बोधन करते रहते हैं लिहाजा परिवार में द्वंद्व से बचने की भी सलाह देते हैं। अखिलेश यादव के सामने आते ही स्वामी जी ने उनके माध्यम से बड़े जनसमूह को युद्ध से बचने के लिए एकता का सन्देश देना बेहतर समझा।
पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश ने की आरती --------
गीता की संक्षिप्त-चर्चा के बाद अखिलेश यादव और बाबा दुबे के लिए उसी कमरे में भोजन की व्यवस्था की गई जिसमें वे मुख्यमंत्री पद पर रहते भोजन कर चुके है। भोजनोपरांत श्री यादव ने स्वामी अड़गड़ानंद महराज जी की आरती की इच्छा जताई तो महराज के पास फिर से गए।
साथ लाये थे चांदी की आरतीदानी ----
लखनऊ से चलते ही अखिलेश यादव महराज जी की आरती का संकल्प लेकर चले थे। लिहाजा अपने साथ लाई चांदी की आरती एवं सामग्री का प्रयोग उन्होंने किया। इस प्रकार अखिलेश यादव लगभग दो घण्टे आश्रम में रहे।
बाहर निकलते अनुशासन घुटने टेक बैठा : अनियंत्रित हुआ जनसमूह
आश्रम के भीतर तो बड़ा अनुशासित माहौल था। अंदर नारद महराज, रामप्रसाद पांडेय (बाबा पांडेय) एवं हरिमोर सिंह साथ में रहे लेकिन जब वे बाहर निकले तो सपा तथा जनसमूह उनकी ओर दौड़ पड़ा। फिर तो अनुशासन दिखाते हुए पुर्व मुख्यमंत्री ने घुटने टेक बैठ गए।
एकता और सर्वसम्मति मे रहने का दिया संदेश---------
स्वामी महाराज जी का दर्शन करने गए उत्तरप्रदेश के बाद पूर्व मुख्यमंत्री को पूज्य स्वामी जी ने एकता और सर्वसम्मति मे रहने का संदेश देते हुए कहा कि समाज को एकता के सूत्र में बांधने का प्रयत्न करना चाहिए उसके लिए एक परमात्मा में आस्था के साथ ॐ नाम का जाप होना चाहिए तभी कल्याण हो सकता है स्वामी जी ने कहा कि यथार्थ गीता ही एक सम्बल है जिसके द्वारा सामाजिक भ्रांतियां मिट सकती है और ऊंच-नीच भेदभाव से उप्राम होकर भगवान भक्त बना जा सकता है उसके लिए यथार्थ गीता का अध्ययन करना चाहिए और लोगों को वितरित करना चाहिए इस दौरान पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के अलावा हजारों लोगो ने पूज्य स्वामी जी का दर्शन करते हुए भोजन प्रसाद के साथ यथार्थ गीता प्राप्त किये उपस्थित सभी लोगों को स्वामी जी रचित निःशुल्क यथार्थ गीता प्रदान किया गया इस दौरान आश्रम के अन्य संतो मे पूज्य नारद महाराज जी,सोहम बाबा जी ,कौशल महाराज,लाले महाराज,अनुभवानंद महाराज,अंकुश बाबा ,श्री राम रक्छा नंन्द बाबा सहित अन्य संत विराजमान थे।
(संतोष तिवारी कुसमी -सीधी मध्यप्रदेश )
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