प्राइवेट स्कूलों की मनमानी: शिक्षकों को नहीं मिल रहा वेतन, फिर भी की जा रही फीस वसूली
अधिकतर स्कूल वेतन देने से हाथ किये खड़ा, कुछ ने दिखाया लालीपाप
सीधी।
जिले के प्रायवेट स्कूलों में इन दिनों स्कूलें बंद होने के कारण शिक्षको को वेतन नहीं दिया जा रहा है। हालांकि पहली से आठवीं तक की कक्षाएं बंद होने के कारण कई विद्यालयों ने विद्यार्थियों के लिए शुल्क में भी काफी कमी किये हैं। इसके बावजूद भी प्रायवेट विद्यालय में अध्यापन कार्य कराने वाले शिक्षको को वेतन न मिलने की भी शिकायतें सर्वाधिक सुनने को मिल रही है।
लाकडाउन के बाद स्कूलों की शैक्षणिक व्यवस्था पूरी तरह से चौपट हो चुकी है। शासन के गाइडलाइन के तहत दिसम्बर में 9वीं से 12वीं तक की कक्षाएं शुरू करने का आदेश दिया गया लेकिन पहली से आठवीं तक की कक्षाएं यथावत बंद ही हैं। विद्यालयों द्वारा इस मामले को हाईकोर्ट में भी अपील दायर किये थे। वहां से आदेश जारी किया गया कि ट्यूशन शुल्क के अलावा अन्य शुल्क विद्यालयों द्वारा न लिया जाए साथ ही प्रायवेट विद्यालयों में अध्यापन कार्य कराने वाले शिक्षको को 20 फीसदी कटौती के अलावा अन्य वेतन भी भुगतान किया जाये। लेकिन स्थिति यह है कि जिले के विद्यालयों में शिक्षको का वेतन भुगतान नहीं किया जा रहा है जबकि छात्रों से शुल्क की वसूली पहले की तरह यथावत की जा रही है। यह भले कि पहली से पांचवी तक शुल्क छूट का अलग रूल है इसके अलावा छठवी से आठवी तक शुल्क के लिए छूट का रूल कम दिया गया है। लेकिन 9वीं से 12वीं तक अध्ययनरत छात्रों के लिए कोई शुल्क छूट बतौर नहीं दिया गया है। ऐसी स्थिति में विद्यालय में शिक्षको को वेतन न मिलना भी कही न कहीं नियम के विपरीत माना जा सकता है।
परिवार का भरण पोषण के लिए मजबूर शिक्षक:-
प्रायवेट विद्यालय में अध्यापन कार्य करने वाले शिक्षक इन दिनों परिवार का भरण पोषण करने को मजबूर हैं। स्थिति यह है कि अधिकतर निजी स्कूल के विद्यालयों द्वारा उन्हे हटा दिया गया है। जो हटाए भी नहीं हैं तो उनमे अधिकतर शिक्षको को वेतन नहीं दे रहे हैं। सबसे ज्यादा विसंगति पहली से आठवी तक के कक्षाओं में शिक्षको को लेकर बिड़म्बना बनी हुई है। नामी स्कूल भी शिक्षको के वेतन के देने के लिए कंजूसी बरत रही है जबकि छात्रों से दवाब देकर शुल्क की वसूली बराबर हो रही है।
ट्यूशन फीस के बहाने बनाया जा रहा दवाब:-
निजी विद्यालयों में अभिभावकों से फीस वसूली को लेकर काफी दवाब बनाया जा रहा है। शासन एवं उच्च न्यायालय के आदेश के तहत ट्यूशन फीस के अलावा अतिरिक्त शुल्क न लेने का प्रावधान है। उसी बहाने अब कहीं छमाही तो कहीं वार्षिक परीक्षा के नाम पर पहली से आठवी तक की छात्रों से वसूली का नया हथकंडा अपनाया गया है। यह भले कि इन छात्रों को कई विद्यालयों द्वारा शुल्क में छूट भी दिया गया है लेकिन शिक्षको को वेतन न मिलना भी कही न कहीं न्याय के खिलाफ माना जा सकता है।
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