परियोजना में ठेकेदारों को बिना काम के भुगतान होने पर अधिकारियों पर होगी कार्यवाही
जल-संसाधन विभाग की समीक्षा बैठक सम्पन्न
भोपाल।
जल-संसाधन मंत्री तुलसीराम मंत्री श्री सिलावट ने कहा कि विभाग अंतर्गत निर्माणाधीन नहर, तालाब और बांधों का निरीक्षण अधीक्षण यंत्री और कार्यपालन यंत्री अनिवार्य रूप से करें। किसी भी परियोजना में तकनीकी, प्रशासकीय स्वीकृति और डिजायन मंजूर होने के बाद ही कार्य शुरू किया जाये। बिना काम शुरू हुए किसी भी ठेकेदार को यदि भुगतान किया जाता है तो संबंधित अधिकारी-कर्मचारी के विरूद्ध विभागीय कार्यवाही की जायेगी। मंत्री श्री सिलावट आज मंत्रालय में अधिकारियों के साथ विभागीय समीक्षा कर रहे थे।
मंत्री श्री सिलावट ने कहा की जलसंसाधन विभाग का मुख्य कार्य किसानों को सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध करवाना है। किसानों की आय को दोगुना करने में विभाग की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण है। समय पर फसलों को पर्याप्त पानी उपलब्ध होने से किसानों को बेहतर उपज मिलेगी। इसके लिए सभी हितग्राही किसानों के साथ वे स्वयं संवाद करेंगे। सिंचाई परियोजना का फीडबैक भी लेंगे। बैठक में अपर मुख्य सचिव श्री एस एन मिश्रा, ईएनसी श्री डावर, अधीक्षण और कार्यपालन यंत्री भी उपस्थित थे।
मंत्री श्री सिलावट ने कहा कि केन्द्रीय बजट के बाद विभाग की भूमिका और महत्वपूर्ण हो जाती है। बजट के अनुसार कार्य-योजना बनाकर लंबित योजनाओं के निराकरण की कार्रवाई करें, जिससे वित्त विभाग से राशि प्राप्त की जा सके।
मंत्री श्री सिलावट ने कहा कि सभी अधिकारी फील्ड में जाकर निरीक्षण कर किये कार्य की डायरी का संधारण भी करें। बाँध और नहरों के निर्माण में गुणवत्तापूर्ण और समय पर कार्य पूरा हो, इसके लिए निर्माणाधीन परियोजनाओं का निरीक्षण निरन्तर जारी रखा जाये। उन्होंने कहा कि सभी अधिकारी अपनी कार्य क्षमता के अनुसार काम करें और सिंचाई योजना का लाभ अधिक से अधिक किसानों को दिलवायें। पानी की उपलब्धता और उसके वितरण की व्यवस्था सुदृढ़ करते हुए सिंचाई का रकबा भी बढ़ाया जाये।
विभाग के बाँध और तालाब में जल संवर्धन की क्षमता बढ़ाने के निर्देश अधिकारियों को दिये गये। इसके लिये गर्मी के मौसम में किसानों को मिट्टी निकलने की भी अनुमति दी जाये, जिससे किसानों के खेतो में उपजाऊ मिट्टी डाली जा सके और उपज में भी वृद्धि हो सके। मंत्री श्री सिलावट ने कहा कि माइक्रो सिंचाई परियोजना के लिए सर्वे कार्य शुरू कराया जाए, जिससे छोटे और सीमांत किसानों को योजना का लाभ दिया जा सके। उन्होंने कहा कि प्रदेश के 89 आदिवासी ब्लॉक में वन क्षेत्रों में वन और राजस्व विभाग के अधिकारियों के साथ समन्वय कर योजना बनाए, आदिवासी क्षेत्रों में भी सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध कराया जा सकेगा।
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