सरपँच पति खाद्यान्न का कर रहे कालाबजारी: परेशान उपभोक्ता पहुंचे एसडीएम कार्यालय,दोषियों पर कार्यवाही की किये मांग
मझौली।
उपखंड मझौली अंतर्गत शासकीय उचित मूल्य दुकान में खाद्यान्न न मिलने की शिकायत लगातार प्राप्त हो रही है किंतु कोई कार्यवाही न होने से उपभोक्ताओं पर मायूसी देखी जा रही है। बता दें कि कोरोना कॉल माह अप्रैल 2020 से नवंबर 2020 तक कोरोना कोटा के नाम पर पात्र हितग्राहियों को डबल खाद्यान्न वितरण के लिए शासकीय उचित मूल्य दुकानों में उपलब्ध कराया गया था जहां पर उक्त खाद्यान्न का भारी पैमाने पर कालाबाजारी किए जाने का मामला प्रकाश में आया है किंतु प्रशासनिक तौर पर कोई समुचित कार्यवाही या जांच न होने के कारण विक्रेताओं के हौसले बुलंद होते जा रहे हैं भले ही चाहे बड़े अधिकारियों को चढ़ोत्तरी ना चलाने वाले राजनीति से प्रेरित विक्रेता के ऊपर कार्यवाही की गई हो पर अन्य मामलों में कार्यवाही शायद कमीशन उगाही तक सिमट कर रह जाती है ऐसे में जाहिर है कि भ्रष्टाचार एवं कालाबाजारी को बड़वा मिलेगा ना कि कम किया जा सकेगा ऐसा ही ताजा मामला शासकीय उचित मूल्य दुकान पांड से सामने आया है जहां सरपंच पति शिवराज सिंह गरीबों का खाद्यान्न कालाबाजारी कर मौज मस्ती कर रहा है वही पत्नी गुलाबकली जो सरपंच पद पर आसीन हैं पंचायत के शासकीय खजाने को चूसने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रही है। जहां के गरीब उपभोक्ता आज 19 फरवरी को तहसील कार्यालय मझौली पहुंचकर अनुविभागीय अधिकारी को आवेदन पत्र के माध्यम से कार्यवाही की मांग किए हैं दिए गए आवेदन पत्र में उल्लेखित किया गया है कि तीन-चार माह से हम लोगों को खाद्यान्न नहीं मिल रहा है साथ ही यह भी बताया गया कि पूर्व में भी खाद्यान्न में कटौती कर दिया जाता था । जिसमें अनुविभागीय अधिकारी द्वारा आश्वासन दिया गया है कि यदि आप बयान दर्ज कराते हैं तो इसे छोड़ेंगे नहीं फिर भी लोग संतुष्ट नहीं हैं लोगों की माने तो बयान केवल चार छ लोगों के लिए जाते हैं जो विक्रेता द्वारा खरीद-फरोख्त कर लिया जाएगा और कार्यवाही के नाम पर लीपापोती कर दी जाएगी ऐसा कई बार हो चुका है पर अब देखना होगा कि कार्यवाही के नाम पर तेजतर्रार माने जाने वाले अनुविभागीय अधिकारी राजस्व मझौली आनंद सिंह राजावत कहां तक सफल हो पाते हैं।
समाचार को प्राथमिकता न देना गरीबों को कर रहा परेशान------
कोरोना काल के समय कई विक्रेताओं द्वारा खाद्यान्न का भारी पैमाने पर कालाबाजारी किया जा रहा था जिसका कवरेज कर समाचार पत्रो में वास्तविकता के आधार पर कई वार समय-समय पर खबर प्रकाशन कर जानकारी दी गई किंतु जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा खबर को नजरअंदाज किया जाता रहा जिससे भ्रष्टाचारियों के हौसले बुलंद होते गए और गरीब उपभोक्ताओं को अपना अमूल्य समय गवा कर गांव से चलकर तहसील कार्यालय आना पड़ा।समय रहते यदि खबर पर संज्ञान लेते हुए जिम्मेदार अधिकारी यहां पहुंच कर कार्यवाही किए होते। विदित हो कि लॉकडाउन समय अवधि 16 सितंबर 2020 को पांड विक्रेता द्वारा खाद्यान्न का कालाबाजारी किया जा रहा था जहां अनजान व्यक्तियों से मोटरसाइकिल में खाद्यान्न लगाकर व्यापारियों के घर पहुंचाया जा रहा था जो मीडिया के नजरों से बच नहीं सका ,किंतु उस समय तत्काल विक्रेता एवं व्यापारी खाद्यान्न लेकर चले जाने में सफल रहे जिसकी जानकारी संबंधित अधिकारी को वीडियो के साथ उपलब्ध कराई गई थी किंतु कोई कार्यवाही नहीं की गई जिसका खामियाजा आज गरीब उपभोक्ता भुगत रहे हैं।
अधिकांश दुकानों में अभी भी पर्याप्त खाद्यान्न--
मीडिया द्वारा कई शासकीय उचित मूल्य दुकानों का जायजा लिया गया जहां पर अधिकांश दुकानों में अभी भी पर्याप्त खाद्यान्न है तथा उपभोक्ताओं को समुचित ढंग से उपलब्ध कराया जा रहा है । परंतु जिन विक्रेताओं द्वारा भारी पैमाने पर कालाबाजारी किया गया है, वही इस तरह का मामला प्रकाश में आता है कई विक्रेताओं का कहना है कि इस समय खाद्यान्न आवंटन में काफी कटौती की जा रही है जिसकी वजह पीडीएफ मशीन है जिसमें गड़बड़ी होने के कारण इस तरह की नौबत आ रही है किंतु अभी इतनी जटिल समस्या नहीं है पूर्व के शेष खाद्यान्न से वितरण किया जा रहा है।
राजनीतिक घराने से आते हैं विक्रेता----
यदि शासकीय उचित मूल्य दुकान पांड के विक्रेता पर गौर किया जाए तो यह राजनैतिक घराने से आते हैं तथा वर्तमान में इनकी पत्नी भी सरपंच पद पर आसीन हैं जब से पूर्व पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री कमलेश्वर पटेल इनके यहां खंड प्रशासन के साथ रात्रिभोज किए हैं। तब संबंधित विक्रेता के हौसले और बुलंद हो गए जो पंचायत में अपने मनपसंद सचिव रखकर भ्रष्टाचार की मिसाल रच रहे हैं।वही गरीबों का हक में द करने में भी कोई कोर कसर बाकी नहीं रख रहे हैं।
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