प्रदेश में गिद्धों की गणना का अंतिम चरण आज से होगा शुरू, जानिए कितने प्रकार की पाई जाती हैं गिद्ध

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प्रदेश में गिद्धों की गणना का अंतिम चरण आज से होगा शुरू, जानिए कितने प्रकार की पाई जाती हैं गिद्ध



प्रदेश में गिद्धों की गणना का अंतिम चरण आज से होगा शुरू, जानिए कितने प्रकार की पाई जाती हैं गिद्ध


भोपाल।
प्रदेश-व्यापी गिद्ध गणना का अंतिम चरण रविवार को सूर्योदय से प्रारंभ होकर सुबह 3 बजे तक होगा। प्रदेश के सभी 16 वृत्त और 8 संरक्षित क्षेत्रों में गिद्ध गणना कार्य वन विभाग के अधिकारी-कर्मचारी, डब्ल्यू.डब्ल्यू.एफ., डब्ल्यू.डब्ल्यू.आई. के प्रतिभागियों के अलावा स्वयं-सेवक और फोटोग्राफर द्वारा संयुक्त रूप से किया जायेगा। गणना के बाद डाटा संकलन का कार्य वन विहार राष्ट्रीय उद्यान, भोपाल में होगा।

मुख्य वन प्राणी अभिरक्षक एवं प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्य-प्राणी) श्री आलोक कुमार ने बताया कि प्रदेश-व्यापी गिद्धों की गणना की शुरूआत वर्ष 2018 से की गई थी। इसमें 7 हजार 28 गिद्धों का आंकलन किया गया था। वर्ष 2019 में यह संख्या 8 हजार 398 पायी गयी। गिद्ध गणना का कार्य दो चरणों में किया जाता है। पहला चरण अक्टूबर-नवम्बर माह में और द्वितीय चरण जनवरी-फरवरी माह में आयोजित किया जाता है।

कुल 7 प्रजातियों में पाये जाते हैं गिद्ध:-

मध्यप्रदेश में कुल 7 प्रजातियों में गिद्ध पाये जाते हैं। इनमें से 4 प्रजाति स्थानीय और 3 प्रजाति प्रवासी हैं, जो शीत काल समाप्त होते ही वापस चली जाती है।

गणना इस प्रकार की जाती है:-

गिद्धों की गणना प्रथम चरण में तब की जाती है, जब सभी प्रजाति के गिद्ध घोंसले बनाकर अपने अंडे दे चुके होते हैं या देने की तैयारी में होते हैं।

इसी प्रकार से फरवरी माह आने तक इन घोंसलों में अंडों से नवजात गिद्ध निकल जाते हैं और वे उड़ने की तैयारी में रहते हैं। इसलिये गिद्धों की गणना करने के लिये शीत ऋतु का अंतिम समय ठीक माना जाता है, ताकि स्थानीय और प्रवासी गिद्धों की समुचित गणना हो जाये।

गणना के दौरान इन बातों का रखा जाता है ख्याल:-

गणनाकर्मी और स्वयं-सेवक सूर्योदय के तुरंत बाद प्रथम चरण में चयनित गिद्धों के घोंसलों के निकट पहुँच जाते हैं और घोंसलों के आसपास बैठे गिद्धों एवं उनके नवजातों की गणना करते हैं। इसमें इस बात का विशेष ख्याल रखा जाता है कि आवास-स्थलों पर बैठे हुए गिद्धों को ही गणना में लिया जाये। उड़ते गिद्धों को गणना में नहीं लिया जाता।

अंतिम चरण में वन विभाग के इस वर्ष कर्मियों के साथ-साथ पूरे प्रदेश के विभिन्न स्थानों में पक्षी विशेषज्ञ, छात्र, फोटोग्राफर और स्थानीय नागरिक इस गणना में सक्रिय भूमिका निभायेंगे।

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