मैकेनिकल इंजीनियर ने नोकरी छोड़ करने लगे गौ सेवा

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मैकेनिकल इंजीनियर ने नोकरी छोड़ करने लगे गौ सेवा



मैकेनिकल इंजीनियर ने नोकरी छोड़ करने लगे गौ सेवा



शहडोल। 
शहडोल जिले के युवक गौरव मिश्रा राल्ही को गोसेवा का ऐसा जुनून सवार हुआ कि उन्होंने अपनी अच्छी-खासी नौकरी छोड़ दी। गोवंश से प्रेम इस हद तक बढ़ा कि गौरव ने उनकी देखभाल व रेस्क्यू के लिए संगठन अटल गोसेवा संस्थान बना लिया और इसका अच्छा नेटवर्क भी खड़ा कर लिया। अब नेटवर्क शहडोल के अलावा कई शहरों तक पहुंच गया है। इसमें गोवंश के प्रति समर्पित लोग, संगठन जुड़े हुए हैं। इन्हें केवल सूचना मिलने की देर होती है कि कहीं गोवंश असहाय है, मुसीबत में है, इस नेटवर्क के लोग उन्हें बचाने दौड़ पड़ते हैं। गौरव ओडिशा में सीएमसी पावर जनरेशन कंपनी में मैकेनिकल इंजीनियर के पद पर कार्यरत थे। उस दौरान उन्होंने क्रांतिकारी शहीद मंगल पांडे का गोसेवा के प्रति प्रेम के बारे में लेख पढ़ा। इससे वे बहुत प्रभावित हुए और नौकरी छोड़कर अपने शहर लौट आए। गोवंश को बचाने संगठन बनाया। अब उनके नेटवर्क में सवा सौ सदस्यों की टीम है। गौरव का कहना है कि वे तीन सालों में तीन हजार गोवंश की जान बचा चुके हैं। इस पर अब तक 16 लाख रुपये से अधिक खर्च हो चुके हैं। 
यह काम टीम के सदस्यों और शहडोल के समाजसेवियों की मदद से संभव हो रहा है। वे शहडोल में ही 15 हजार मासिक वेतन पर नौकरी करते हैं और पूरा वेतन गोसेवा के लिए दे देते हैं। गोवंश की देखभाल के लिए गोशाला भी बनाई गई है। किसी गोवंश के घायल या बीमार मिलने पर उसका पूरा इलाज गोशाला में होता है। गाय के पूरी तरह स्वस्थ होने तक उसके चारा, दवाई-इलाज का इंतजाम गौरव व इनकी टीम करती है। गाय यदि किसी कुएं, सेप्टिक टैंक, नदी या तालाब में गिरकर फंस जाती है तो उसका रेस्क्यू भी इनकी टीम खुद करती है। बचाव में जितना भी धन खर्च होता है वह टीम वहन करती है। पिछले तीन सालों में संस्थान की शाखाएं शहडोल के अलावा अनूपपुर, उमरिया, रीवा, सिंगरौली, इंदौर, धार, उज्जैन और नीमच में भी खुल गई हैं। गौरव का कहना है कि संस्थान का लक्ष्य है कि 2022 तक शहडोल शहर की जितनी बेसहारा गाय हैं, उनके लिए एक भव्य गोशाला का निर्माण करना है। जिसमें उनके आहार की व्यवस्था हो। फिलहाल शहर से सटे कल्याणपुर में गोसेवा संस्थान गोशाला और गो-अस्पताल है। इसमें अभी 52 गोवंश का इलाज किया जा रहा है। संस्थान में गोवंश की देखरेख के लिए पांच कर्मचारी तैनात किए गए हैं। कर्मचारियों को संस्थान से परिश्रमिक भी दिया जाता है। इनकी टीम ने मोबाइल नंबर और वाट्सएप नंबर भी प्रचारित कर रखे हैं, इनके जरिये लोग इनसे संपर्क कर सकते हैं।

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