विसंगति पूर्ण परीक्षा निरस्त कराने शासकीय अध्यापक संगठन ने की मांग

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विसंगति पूर्ण परीक्षा निरस्त कराने शासकीय अध्यापक संगठन ने की मांग



विसंगति पूर्ण परीक्षा निरस्त कराने शासकीय अध्यापक संगठन ने की मांग


 सीधी।
पूर्ववर्ती सरकार के समय से लागू शिक्षकों को बर्खास्त करने वाली व अपमानित करने वाली 3 व 4 जनवरी 21 को सम्पन्न हुई बैठक में म.प्र. शासकीय अध्यापक संगठन ने विसंगति पूर्ण परीक्षा को निरस्त करने की मांग की है।संगठन के प्रांतीय प्रवक्ता अभयराज योगी, जिलाध्यक्ष सुरेश पाण्डेय और सचिव राकेश द्विवेदी ने सयुंक्त विज्ञप्ति जारी कर परीक्षा को निरस्त करने की मांग प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान से की है।
संगठन ने निर्णय लिया है कि इस हेतु शीघ्र ही एक प्रतिनिधि मंडल मुख्यमंत्री से मिलकर परीक्षा की विसंगतियों से अवगत कराएगा।  जारी विज्ञप्ति में बताया गया है कि 40% से कम परीक्षा परिणाम आने पर उसकी विस्तृत समीक्षा की जाना चाहिए सिर्फ शिक्षक को दोषी मानकर दण्डित करना इस समस्या का समाधान नहीं है। शालाओं में शिक्षकों की कमी,सभी विषय के अतिथि शिक्षकों की उपलब्धता न होना, शिक्षा में नवाचार के नाम पर बार बार शिक्षा के पैटर्न को बदलना आदि कई कारण हैं। इन पर भी विचार किया जाना चाहिए।
जिलाध्यक्ष सुरेश पाण्डेय ने बताया कि 3 व 4 जनवरी को सम्पन्न हुई परीक्षा में भी कई विसंगतिया है। पूर्व वर्ष में 30% से कम का मापदंड इस वर्ष 40% कर दिया गया, परीक्षा लेकर असफल शिक्षकों को सेवा से पृथक करना उचित नहीं है। शिक्षकों को प्रशिक्षित करना भी एक बेहतर विकल्प है जिस शाला का परीक्षा परिणाम कम आया है उस स्कूल के प्राचार्य को भी परीक्षा में शामिल किया जाना चाहिए। वर्तमान परीक्षा में ऐसा नहीं किया गया है जिस विषय की परीक्षा बोर्ड द्वारा आयोजित ही नहीं कि गई उस विषय के शिक्षकों की परीक्षा लेना भी विसंगति पूर्ण है। कई शिक्षकों को अपने विषय के विरुद्ध परीक्षा देना पड़ा जो उचित नहीं है, जिस शिक्षक की जिस विषय के लिए नियुक्ति हो उसी विषय हेतु उसे जबाबदार माना जाना चाहिए अन्य विषय हेतु नहीं। कैचमेंट शालाओं के रूप में माध्यमिक शालाओं को परीक्षा से मुक्त रखा जाना चाहिए। इस प्रकार आयोजित परीक्षा में अनेक विसंगतियां है अतः म.प्र. शासकीय अध्यापक संगठन मांग करता है कि परीक्षा निरस्त की जाय एवं शिक्षकों की दक्षता बढ़ाने हेतु कमजोर रिजल्ट की शालाओं के शिक्षकों को प्रशिक्षण देकर प्रशिक्षित किया जावे।

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