सरकार और न्यायपालिका से किसानों का भरोसा टूट चुका है- अजय सिंह

Ticker

6/recent/ticker-posts

Header Ads Widget

सरकार और न्यायपालिका से किसानों का भरोसा टूट चुका है- अजय सिंह



सरकार और न्यायपालिका से किसानों का भरोसा टूट चुका है- अजय सिंह

अगले चुनाव बैलट पेपर पर मुहर लगाकर हों -अजय सिंह                                                             


सीधी
। पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजयसिंह ने आज सीधी में आयोजित विशाल किसान रैली में कहा कि जिन लोगों ने मिलकर षड्यंत्रपूर्वक किसान विरोधी काले कानून का ब्ल्यू प्रिंट बनाया था अब वे ही सुप्रीम कोर्ट द्वारा समीक्षा के लिए बनाई गई विशेषज्ञ समिति के सदस्य बना दिये गए हैं| ऐसे में उनसे क्या उम्मीद की जा सकती है? इसलिए किसानों ने कहा है कि अब सरकार के साथ- साथ न्याय पालिका से भी उनका भरोसा उठ गया है| वे सभी इस नकली समिति के सामने अपनी बात नहीं रखेंगे| सुप्रीम कोर्ट पर दबाव बना कर यह समिति बनाई गई है| 
अजयसिंह ने कहा कि पूरे देश के लिए आज का समय बहुत संवेदनशील है| विशेषज्ञ समिति के सदस्य काले क़ानूनों के पक्षधर हैं| एक सदस्य तो बड़े अखबार में कानून के पक्ष में संपादकीय भी लिख चुके हैं| उनकी रिपोर्ट वही होगी जो रंगा-बिल्ला चाहेंगे| एक समय था जब ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारत का शोषण किया| आज भी वही हालात हैं, फर्क सिर्फ इतना है कि यह काम अब हमारे देश की ही दस बारह कंपनियाँ करेंगी| किसानों की जीवन शैली पूरी तरह समाप्त करने की रूप रेखा बन चुकी है| शून्य डिग्री पर बरसते पानी में दिल्ली में किसान काले कृषि कानून के खिलाफ डटे हैं| केवल वे ही नहीं बल्कि पूरे देश के किसान आक्रोशित हैं, कहीं कम तो कहीं ज्यादा|
सिंह ने कहा कि अब किसानों के साथ साथ देश के मजदूरों और युवा बेरोजगारों को भी अपने लिए आवाज उठानी पड़ेगी| जो लोग बीस साल पहले कच्छ के भूकंप के समय स्कूटर पर भागते थे वे आज दिल्ली आकर एयर इंडिया को खरीद रहे हैं| कहाँ से आया इतना पैसा? लेकिन आप सभी जहां के तहां हैं| यह सब किस वजह से है, केवल अपने चुप रहने के कारण| इसलिए मैं केवल किसान ही नहीं, सभी से ज़ोरदार आवाज उठाने का आव्हान यहाँ से करता हूँ| आज केवल किसानों के साथ नाइंसाफी नहीं हो रही बल्कि सभी के साथ हो रही है| यह लड़ाई आपकी आजादी की भी लड़ाई है| 
अजयसिंह ने कहा कि जब तक फिर से बैलट पेपर पर ठप्पा लगाकर चुनाव नहीं होंगे तब तक कोई उम्मीद नहीं की जा सकती| भाजपा के लोग पहले ही तय कर लेते हैं कि चुनाव में कितनी सीट कबाड़ना है| फिर रिजल्ट आने पर उतनी ही मिलती है| यह कैसे संभव है? एक की महत्वाकांक्षा ने मध्यप्रदेश की सरकार गिरा दी और फिर वे राज्यसभा सदस्य बन गए| उपचुनाव में मैं 22 जगह प्रचार में गया| किसी क्षेत्र में भी नहीं लग रहा था कि भगोड़ा लोग जीतेंगे| ऐसा विरोध मैंने पहले कभी नहीं देखा| लेकिन धांधली कर वे जीत गए| रायसेन में मंत्री डा. प्रभुराम चौधरी गौरीशंकर शेजवार के पुत्र मुदित शेजवार को हराकर विधायक बने थे| वहाँ की पूरी भाजपा और उनके विधायक अंदर से खिलाफ काम कर रहे थे| लेकिन प्रभुराम 62 हजार मतों से जीत गए| यही हाल गोविंदसिंह राजपूत का था| पूरे सुरखी में सागर के भाजपा विधायक और कार्यकर्ताओं को मनाने के लिए राजपूत अंत तक सिर पटकते रहे लेकिन उनका आंतरिक विरोध जारी रहा| ऐसी परिस्थितियों में भी राजपूत 42 हजार वोटों से जीत गए| इन परिणामों से जीतने वाले दोनों लोग स्वयं सकते में हैं| इसलिए प्रदेश में दोबारा ऐसा न होने देने के लिए किसानों, मजदूरों और बेरोजगार नौजवानों को बड़ी लड़ाई लड़नी पड़ेगी|

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ