नहीं हो रही भ्रष्टाचार व गरीब श्रमिकों - किसानों का शोषण करने वालों पर कार्यवाही
कौन बांध रखा अधिकारियों की कलम
कमीशन की राशि या राजनैतिक दबाव
मझौली।
मामला सीधी जिला अंतर्गत उपखंड मझौली का है जहां पर भ्रष्टाचार एवं गरीब मजदूर किसानों का जमकर शोषण विभागीय अधिकारियों कर्मचारियों द्वारा किया जा रहा है किंतु जिम्मेदार प्रशासनिक अमला के जू तक नहीं हिल रहे हैं। आखिर इन अधिकारियों के कलम किसने बाध रखे हैं। भ्रष्टाचार व शोषण के राशि के कमीशन से या राजनैतिक दबाव से। विदित हो कि मझौली उपखंड अंतर्गत कई वर्षों से अवैध उत्खनन, अतिक्रमण, के साथ क्षेत्र के गरीब मजदूर एवं किसानों का जमकर शोषण किया जा रहा है जिसके खिलाफ कई बार समाचार पत्र के माध्यम से गरीब मजदूर किसान कार्यवाही की गुहार लगा चुके हैं। लेकिन प्रशासन के जिम्मेदार अधिकारी कार्यवाही की बजाए शायद उन्हीं गरीब मजदूरों को डरा धमका कर शोषण कराने में तुले हुए हैं। जिससे अब मीडिया के सामने बयान देने या कुछ बोलने से दूर भागने लगे हैं इनका कहना होता है कि कारवाही कुछ नहीं होती ऊपर से डांट भी हमको खानी पड़ती है। जिससे ज्यादातर गरीब मजदूर किसान शासन के भ्रष्टाचारी व राजनीति में अपनी पकड़ मजबूत बनाने वाले अधिकारियों के शोषण के शिकार हो रहे हैं।इससे भी नहीं नकारा जा सकता कि प्रशासन निष्क्रिय है बल्कि यह प्रतीत हो रहा है कि प्रशासन पर राजनैतिक दबाव किसी न किसी रूप में सायद प्रभाव डाल रहा है जिससे प्रशासनिक अधिकारी कर्मचारी चाह कर भी कार्यवाही करने की हिम्मत नहीं जुटा पाते। वर्तमान में कई ऐसे ताजे मामले सामने आए हैं जिसमें धान उपार्जन केंद्रों में जमकर किसानों से लूटपाट या शोषण किया गया है जहां पर मजदूरों का काम किसानों से कराया गया है तथा तौल में भी अधिक धान ली गई है।एंव ज्यादा तर ब्यापारियों से साठ गाँठ कर समिति कर्मचारियों द्वारा काफी मुनाफा कमाया गया है।वही ग्रामीण स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग मझौली द्वारा गरीब निम्न वर्गीय विभागीय श्रमिकों से ठेकेदारी का काम कराया जा रहा है जबकि मझौली क्षेत्र अंतर्गत 2400 हैंड पम्पो के संधारण व संचालन की जिम्मेदारी दो लाख दस हजार रुपए वार्षिक पर संविदाकार को दी गई है जहां एक ऑटो के सहारे विभागीय श्रमिकों से कार्य करा कर लगभग दो लाख प्रति माह के दर से बंदर बाट की जा रही है। जिसकी खबर कई वार समाचार पत्रों में प्रकाशित करते हुए खण्ड अधिकारी को अवगत कराया गया। तथा करोना कॉल के खाद्यान्न में जमकर कालाबाजारी किए जाने का मामला प्रकाश में आया है ।शायद इसी आवंटन के शेष रहने के कारण लगातार खाद्यान्न आवंटन में कटौती की जा रही है जिसका खामियाजा लगातार गरीब उपभोक्ताओं को भुगतना पड़ रहा है । लेकिन प्रशासनिक अमले द्वारा किसी प्रकार की कार्यवाही ना होने से शोषित गरीब मजदूरों किसानों एवं उपभोक्ताओं मैं मायूसी की झलक दिखाई दे रहे है। समाचार पत्र के माध्यम से मझौली उपखंड अंतर्गत जारी भ्रष्टाचार , एवं गरीब मजदूरों -किसानों का हो रहे शोषण के कार्यवाही के लिए जिला प्रशासन का ध्यान आकृष्ट कराया गया है।अब देखना यह होगा कि जिला प्रशासन इसको संज्ञान में लेते हुए क्या कुछ कार्यवाही करता है ।
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