धूल खा रही संग्रहालय की प्रतिमाएं,जिम्मेवार कर रहे अनदेखी
शहडोल।
संभागीय मुख्यालय के तीर्थंकर महावीर संग्रहालय में इन दिनों सन्नाटा पसरा रहता है। इस संग्रहालय में कल्चुरी कालीन प्रतिमाओं का संग्रह है लेकिन इन प्रतिमाओं को देखने वालों की संख्या बेहद कम है इसकेपीछे का कारण यह है कि संग्रहालय को अभी भी लोग उस हिसाब से नहीं पहचानते हैं जिस ढंग से इसकी पहचान होना चाहिए। बीते वर्ष 2020 में यहां सिर्फ 19 लोगों ने प्रतिमाओं का दर्शन किया है। इस तरह से देखा जाए तो कोरोना संकट के समय इस तरह लोग अपने घरों में कैद रहे कि किसी ने भी संग्रहालय की ओर रूख ही नहीं किया। संग्रहालय की बात करें तो यहां प्रतिमाओं का रखरखाव ठीक से नहीं किया जा रहा है। यहां पर चौकीदारों के भरोसे ही संग्रहालय की देखरेख कराई जा रही है। एक बाबू यहां तैनात है जिसको कागजी कार्यवाही के सिवाय दूसरा कोई काम नहीं है। दिन में भी संग्रहालय पूरी तरह से सूना पड़ा रहता है और हालत यह है कि जो लोग यहां आते हैं उनको यहां सिर्फ चौकीदार ही मिलता है। समझाने वाला मार्गदर्शक भी नहीं है। प्रतिमाओं की हालत यह है कि वे धूल खा रही हैं और अनदेखी का शिकार हो रही हैं। बताया गया है कि 2014 के बाद से यहां पर मार्गदर्शक नहीं है जिसके चलते जो लोग यहां संग्रहालय देखने आते हैं उनको इन प्रतिमाओं का इतिहास समझाने वाला कोई नहीं है। सात साल पहले यहां पर वरिष्ठ मार्गदर्शक के रूप में आर एस परमार की नियुक्ति थी लेकिन उनके जाने के बाद से यहां पर सिर्फ बाबू के भरोसे ही काम चल रहा है। दिन में महिला चौकीदार और रात में पुरूष चौकीदार के भरोसे यह संग्रहालय किसी तरह से नाम के लिए ही चल रहा है। संग्रहालय परिसर में हर तरफ कचरे के ढेर लगे हुए है। यहां तैनात कर्मचारी किसी जिम्मेदार अधिकारी के न होने के कारण काम के प्रति लापरवाही बरत रहे हैं और पूरे परिसर में जहां देखो वहां कचरे का अंबार लगा हुआ है। साफ सफाई की अनदेखी की जा रही है और समस्या यह है कि स्वच्छता का किसी तरह से खयाल नहीं रखा जा रहा है। यहां परिसर के अंदर एक बगीचा भी है जिसका रखरखाव भी ढंग से नहीं हो पा रहा है। एक करोड़ की लागत से संग्रहालय परिसर में ही एक नया भवन बनाया गया ह ै लेकिन यह बिल्डिंग किसी भी तरह से सुरिक्षत नहीं है। इस बिल्डिंग में जगह जगह दरार पड़ गई हैं। दरार पड़ जाने से बिल्डिंग कहीं से नहीं लग रही है कि गुणवत्तायुक्त है। नए भवन का किसी भी तरह से उपयोग हो नहीं पा रहा है। इस संग्रहालय की सारी व्यवस्थाएं इन दिनों चौपट हैं और समस्या यह है कि यदि कोई यहां आता है तो उसे समझाने वाला कोई नहीं है जिसके चलते यहां लोग पहुंचते ही नहीं हैं।
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