खूंखार कुत्तों से जान बचाकर गांव में पहुंचा चीतल

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खूंखार कुत्तों से जान बचाकर गांव में पहुंचा चीतल



खूंखार कुत्तों से जान बचाकर गांव में पहुंचा चीतल


वन अमले की तत्परता से बची चिंकारा की जान

सीधी।

मंगलवार की सुबह करीब 6 बजे ग्रामीणों से वन विभाग सीधी टीम को सूचना प्राप्त हुई कि हिरण प्रजाति के 2 चिंकारा को कुत्तों द्वारा खदेड़ा जा रहा है। टीम के द्वारा सूचना प्राप्त होते ही तत्परता दिखाते हुए 1 चिंकारा को सुरक्षित बचा लिया गया है वहीं दूसरे की तलास जारी है। 
वन्य प्राणियों के सुरक्षा दल को फोन माध्यम से जमोड़ी बाईपास के ग्रामीणों द्वारा सूचना दी गयी कि मझौली से सीधी मार्ग में स्थित ग्राम बंजारी, गठौली क्षेत्र से सभंवत: 2 चिंकारा सीधी आ पहुॅचें हैं, जिनका जीवन संकट में है। कुत्तों के झुंड के द्वारा चिंकारा पर हमला किया जा रहा है, जिसके चलते वे जख्मी हालत में हैं। 
घटना की सूचना मिलते ही वन विभाग की टीम रेंज के डिप्टी रेंजर राधे साकेत के नेतृत्व में  टीम के द्वारा वन्य प्राणी की जान बचाने हेतु योजना वद्ध तरीके से अलग अलग स्थलों पर निगरानी एवं निरीक्षण करते हुए अंतत: सफलता हाथ लगी और वन विभाग की टीम को जमोड़ी बायपास रोड के पास घायल हो कर गिरा हुआ चिंकारा मिल गया। वन विभाग की टीम द्वारा जख्मी चिंकारा को पकड़कर जमोड़ी में प्राथमिक उपचार के बाद पशु औषधालय लाया गया, जहॉ उपचार के बाद ईको सेंटर में रखा गया है। 
दरअसल सीधी के जंगली इलाके खाम घाटी में चीतल प्रजाति के हिरन बहुतायत में पाए जाते हैं। यह चीतल हिरन भी इसी इलाके से भटक कर जिले के जमोड़ी क्षेत्र में आ गया था। 

*चीतल प्रजाति का है हिरन:-

वन्यजीवों में दुर्लभ प्रजाति का माना जाता है और इसे वन्य जीव के शेड्यूल-1 में रखा गया है। इसकी खासियत है कि ये काफी तेज गति से दौड़ता है और इसकी स्पीड 120 से 150 किलोमीटर प्रति घंटा होती है। इसके खुर काफी नुकीले होते हैं जिसकी वजह से यह जमीन पर पकड़ बनाने में माहिर होता है लेकिन कभी-कभी इसकी जान का दुश्मन भी बन जाती है। जमीन गीली होने की वजह से यह हिरन तेज नहीं दौड़ पाता क्योंकि नुकीले खुर होने की वजह से इसके पैर जमीन में धंसने लगते हैं। ऐसे में जब आवारा कुत्तों की नजर इस हिरन पर पड़ती है तो वे इसका शिकार करना चाहते हैं। ये हिरन अपनी जान बचाकर भागता है लेकिन जमीन गीली होने की वजह से तेज गति से दौड़ नहीं पाता और अक्सर इसी वजह से यह कुत्तों का शिकार बन जाता है। ये चीतल इस बार खुशनसीब निकला और आवारा कुत्तों से बचते हुए गांव की तरफ आ गया।
उक्त आपरेशन को सफल बनाने में राधे साकेत डिप्टी रेंजर, रक्षक पंकज मिश्रा एवं बृजेश तिवारी वन रक्षक, राजन गौतम, पंकज सिंह बघेल, बृजेंद्र सिंह परिहार का योगदान सराहनीय रहा।

इनका कहना है:-

जो चीतल रास्ता भटक कर शहरी सीमा मे आया था उसको आवारा कुत्तों के द्वारा काटने की सूचना प्राप्त हुई थी। रेसक्यू टीम के द्वारा उक्त चीतल को पकड़ कर जमोड़ी में प्राथमिक उपचार के बाद चिकित्सकों के देख रेख में सुरक्षित रखा गया है। फिलहाल वर्तमान में चीतल का स्वस्थ्य होना बताया जा रहा है। 


मनोज कटारिया
एस.डी.ओ.
पश्चिम रेंज, सीधी

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