उपार्जन केंद्र मझौली में कर्मचारियों एवं व्यापारियों का बोलबाला, नदारद रहते हैं समित प्रबंधक
किसानों का किया जा रहा परेशान एवं शोषण
मझौली।
एक ओर जहां सरकार किसानों को सुविधा मुहैया कराए जाने को लेकर तरह - तरह के नियम बना रही है ,हमारे किसान किसी तरह से परेशान ना हो साथ ही शोषण से बच सके, किंतु शासन के कर्मचारी शासन के मनसूबे में पानी फेर रहे हैं। जिसका जीता जागता मामला धान खरीदी केंद्र मझौली में देखने को मिला, जहां से समित प्रबंधक एवं गोदाम के के बड़े कर्मचारी पूर्ण रूप से दूरी बनाकर अपने छोटे कर्मचारियों से कार्य कराया जाता है। किसानों द्वारा मीडिया को बताया गया कि हम लोंगो को इतना परेशान किया जा रहा है कि हमें मजबूर होकर व्यापारियों के हाथों धान बिक्री करनी पड़ती है। खरीदी केंद्र में व्यापारी रहते हैं ,हम लोगों की धान कैंसिल कर दी जाती है। यदि वही धान व्यापारियों को दे दी जाती है, तो वही खरीद ली जाती है । जब इसकी तहकीकात मीडिया द्वारा की गई जो सही पाया गया मीडिया के कवरेज के दौरान पाया गया कि व्यापारियों की धान अवकाश दिनों में भी तौल कराई जाती है जबकि किसानों की 1 हफ्ते से रखी थी। वही दूसरे दिन समिति द्वारा प्रभारी बनाए गए सहायक समित प्रबंधक राजेश सिंह की धान सीधे गोदाम के अंदर जहां सिली बोरी रखी जाती है ट्रैक्टर से उतार कर सीधे गोदाम के अंदर पेंट की जा रही है जो मीडिया के शिकंजे में आ गया।
वही कमीशन देने वाले को तुरंत बोरी उपलब्ध है करा दी जाती है तथा वाहन से उतारकर सिली बोरियों में भरा जाता है, तथा जो किसान कमीशन नहीं देते परेशान किया जाता है। तथा कई दिनों तक धान बाहर पड़ी रहती है। यहां तक कि विगत वर्ष की धान भी सुदाम से निकालकर भरा जा रहा है मझौली खरीदी केंद्र में व्यापारियों का जमावड़ा लगा रहता है समिति प्रबंधक सहायक समिति प्रबंधक एवं गोदाम कर्मचारी से सांठगांठ कर किसानों की धान खरीदी जाती है।
40.700 की जगह 41 किलो की भर्ती:-
खरीदी केंद्र में 40.700 की जगह 41 किलो की भर्ती स्वयं किसानों द्वारा कराया जाता है ,साथ ही कई दिनों उपरांत कई बार चक्कर लगाने के बाद किसानों को पावती रसीद दी जाती है। किसानों की माने तो समिति एवं गोदाम कर्मचारियों द्वारा लोगों को परेशान तथा उनके साथ दुर्व्यवहार किया जाता है। व्यापारियों कर्मचारियों एवं बड़े लोगों की धान तुरंत बोरी देकर खरीद ली जाती है जबकि हम गरीब किसानों को बहुत दिनों तक इंतजार कराया जाता है तथा रसीद भी नहीं दी जाती जिसके कारण गोदाम के चक्कर लगाने पड़ते हैं।
कर्मचारियों का गैर जिम्मेदाराना बयान:-
इस संबंध में जब हमारे संवाददाता द्वारा समिति प्रबंधक भूपेंद्र सिंह से पूछा गया तो उनके द्वारा बताया गया कि प्रभारी राजेश सिंह हैं, धान की भर्ती 40.700 से 41 किलो तक कराई जाती है।यदि किसानों को परेशान किया जाता है तो गलत हैं, मैं नहीं हूं आकर देखता हूँ।वहीं जब प्रभारी राजेश सिंह से पूछा गया तो तानाशाही पूर्ण बयान देते हुए कहा गया कि ऐसा कुछ नहीं है रसीद न निकलती रही होगी कंप्यूटर ऑपरेटर अभी नहीं है। आ जाये तो निकली होगी या निकालकर देगा जबकि संपूर्ण घटनाएं एवं किसान उनके सामने बयान दे रहे थे। वही व खड़े थे धान उतरकर गोदाम के अंदर जा रही थी मीडिया को देख कर भाग निकले अब देखना होगा कि उक्त समिति प्रबंधक, सहायक प्रबन्धक एवं गोदाम कर्मचारियों के खिलाफ क्या कुछ कार्यवाही की जाएगी।
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