पुलिस एवं मास्टरी के अलावा वन विभाग की नौकरी छोड़कर अब कर रहे सिलाई
सीधी।
आज की परिवेश में लोग सरकारी नौकरी को लेकर परेशान होते हैं लेकिन कुछ ऐसे भी लोग हैं जिन्होने तीन सरकारी नौकरी छोड़कर सिलाई के माध्यम से अपने परिवार का जीवकोपार्जन कर रहे हैं। इस तरह का मामला बहरी तहसील अंतर्गत भनवारी गांव के निवासी बैजनाथ दुबे में देखा गया जो तीन सरकारी नौकरी छोड़कर टेलरिंग का काम कर रहे हैं।
इस संबंध में जानकारी देते हुए बैजनाथ दुबे ने बताया कि वे वर्ष 1980 में महाराष्ट्र पुलिस में नियुक्ति किये थे लेकिन ट्रेनिंग के 9 महीने एवं एक साल की नौकरी के बाद इस्तीफा दे दिये वहीं शिक्षक के रूप में भी उन्होने ज्वांइन किया लेकिन वहां भी उन्हे कम सैलरी मात्र 300 रूपये मासिक वेतन मिलने के कारण वहां भी इस्तीफा देकर वन विभाग पहुंचे वहां भी उन्हे पर्याप्त सैलरी न मिलने के कारण इस्तीफा दे दिए। मालुम हो कि बैजनाथ के पिता जगदीश दुबे सिंचाई विभाग में रायसेन में पदस्थ थे। इस दौरान वे शिक्षक बतौर पदस्थ थे। पिता के साथ रहते हुए शिक्षक के पेशे को उन्होने नकारते हुए पड़ोस में रहने वाले एक दर्जी से उनका संबंध बना जहां की वे शिक्षक पेशे से नाता तोड़कर सिलाई करने की सीख शुरू की। आज वह कोट, पैंट से लेकर हर तरह के पकड़ो की सिलाई करना शुरू कर दिए हैं।
बहरी में उनकी एक बनी है अलग पहचान:-
सिलाई को लेकर बैजनाथ दुबे की बहरी में एक अलग पहचान बनी है। बस स्टैण्ड में स्थित दुकान में वे खुद सिलाई तो करते ही हैं अपने दो बेटों को सिलाई बतौर रोजगार दिलाने में भी वे पीछे नहीं हैं। उनका यह कहना है कि लाकडाउन के दौरान दिक्कतें जरूर होती थी लेकिन अब समस्याएं खत्म हो गईं हैं। उन्होने कहा कि छोटी दुकान सिलाई के रूप में जरूर मानी जाती है लेकिन खेती, किसानी के अलावा इस दुकान में हमें पर्याप्त फायदा मिल रहा है।
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