दुष्कर्म के आरोपी की जमानत अर्जी खारिज
जबलपुर।
विशेष न्यायाधीश की अदालत ने नाबालिग से दुष्कर्म के आरोपित जबलपुर निवासी राघव कोरी की जमानत अर्जी खारिज कर दी। अभियोजन की ओर से अतिरिक्त जिला लोक अभियोजन अधिकारी ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि सह अभियुक्त ने किसी बहाने पीड़िता को घर बुलाया था। वहां आरोपित पहले से मौजूद था। उसने घर पर बंद रखी गई पीड़िता के साथ दुष्कर्म किया। इससे नाबालिग सहम गई। किसी तरह चंगुल से आजाद हुई, जिसके बाद थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई गई। आरोपित की हरकत से साफ है कि उसे समाज में खुला छोड़ना नुकसानदेह साबित हो सकता है। वह इसी तरह अपने दूषित मनोवृत्ति का परिचय देकर नाबालिगों को अपना शिकार बना सकता है। लिहाजा, जमानत अर्जी खारिज किए जाने योग्य है। कोर्ट ने दलील से सहमत होकर अर्जी खारिज कर दी।
वहीं विशेष न्यायाधीश की अदालत ने नाबालिग से छेड़छाड़ के आरोपित जबलपुर निवासी सुरेश की जमानत अर्जी खारिज कर दी। अभियोजन की ओर से अतिरिक्त जिला अभियोजन अधिकारी ने जमानत आवेदन का विरोध किया। उन्होंने दलील दी कि नाबालिग शक्कर खरीदने निकली थी। इसी दौरान आरोपित किराना दुकान से निकलकर उसके सामने आ गया। वह बुरी नीयत से हाथ पकड़कर परेशान करने लगा। इस वजह से नाखून लग गए और नाबालिग के हाथों से खून निकल आया। आरोपित ने नाबालिग के कपड़े भी फाड़ दिए। उसने जबरदस्ती शुरू कर दी। इसी बीच नाबालिग जोर से चिल्लाने लगी। उसकी आवाज सुनकर लोग एकत्र हो गए। लिहाजा, आरोपित भाग खड़ा हुआ। इससे पूर्व उसने सामने आए नाबालिग के दोस्त से हाथापाई की और जान से मारने की धमकी दी। पुलिस ने शिकायत को गंभीरता से लेकर प्रकरण कायम कर लिया। चूंकि मामला गंभीर है, अत: जमानत अर्जी खारिज किए जाने योग्य है। कोर्ट ने तर्क से सहमत होकर अर्जी खारिज कर दी। कोर्ट ने आत्महत्या के लिए दुष्प्रेरित करने के आरोपित की जमानत अर्जी मंजूर कर ली। आवेदक की ओर से अधिवक्ता ओमशंकर विनय पांडे व अंचन पांडे ने तर्क रखा। उन्होंने साफ किया कि विलंब से मुकदमा दर्ज होने के अलावा यह मामला पुलिस द्वारा फंसाए जाने से संबंधित है। हकीकत यह है कि जिसने आत्महत्या की उसका आवेदक से कोई सरोकार नहीं था। जिस परिवार में आत्महत्या हुई, उससे आवेदक का कोई जुड़ाव नहीं था। लिहाजा, साफ है कि सती प्रथा उन्मूलन के लिए बनाई गई धारा 306 का किसी को भी फंसाने के लिए मनमाना दुरुपयोग किया जा रहा है।
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