मनमानी एवं जबरिया विस्थापन की अपराधी हैं सरकारें: उमेश

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मनमानी एवं जबरिया विस्थापन की अपराधी हैं सरकारें: उमेश




मनमानी एवं जबरिया विस्थापन की अपराधी हैं सरकारें: उमेश 

  


सीधी।
संजय टाइगर रिजर्व सीधी के 50 गांव के ग्रामीणों के जबरिया एवं मनमानी विस्थापन को रोके जाने हेतु एकता परिषद के जिला समन्वयक सरोज सिंह के आयोजकत्वच में ग्राम डेवाडाँड़ में धरना आंदोलन आयोजित किया गया। 
आयोजित धरना आंदोलन के मुख्य अतिथि टोंको-रोंको-ठोंको क्रांतिकारी मोर्चा के संयोजक उमेश तिवारी रहे एवं अध्यक्षता स्थानीय निवासी गिरधारी बैगा ने की। धरना आंदोलन को संबोधित करते हुए उमेश तिवारी ने कहा कि संजय टाइगर रिजर्व सीधी के 50 ग्रामों के आदिवासी एवं बनवासियों को छल एवं धोखे से जबरिया विस्थापित किए जाने का जो षड्यंत्र विभागीय कर्मचारियों एवं अधिकारियों द्वारा किया जा रहा है वो केंद्र एवं प्रदेश की सरकारों के निर्देश पर ही किया जा रहा है। सरकारों का काम लोगों की भलाई के लिए होना चाहिए लेकिन सरकारों द्वारा किए जा रहे काम चंद उद्योगपतियों एवं पूंजीपतियों को लाभ पहुंचाने के हैं। आजादी के बाद चुनी गई सरकारों ने तमाम प्राकृतिक संसाधनों सहित जमीनों को लूटने की छूट उद्योगपतियों को दी गई है। जमीनों की सरकारी लूट का यह गोरखधंधा 400 साल से भी ज्यादा पुराना है। इतिहास बताता है कि किस तरह राज्य पहले बकायदा नियम कानूनों और नीति के नाम पर जमीन को अपने हक में लेता है फिर इन्हीं जमीनों को व्यापारिक हित में लूटाता है। जिस प्रकार से उद्योगपतियों के लिए अधिग्रहण और विस्थापन आज हमारी चुनी सरकारों द्वारा किया जा रहा है वही काम अंग्रेज भी करते थे जो इतिहास के पन्नो में दर्ज है। 
श्री तिवारी ने कहा कि मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह छोटे बड़े उद्योगों को जमीन देने के लिए लैंड बैंक की 2014 में स्थापना की है जिसमें मध्य प्रदेश सरकार ने लगभग 65000 हेक्टर (डेढ़ लाख एकड़) सरकारी जमीन उद्योगपतियों को देने के लिए चिन्हित की है असल में यह जमीन सार्वजनिक जमीन हैं जैसे चरनोई, खलिहान, श्मशान, तालाब, आबादी, पहाड़, चारोखर, निस्तार और कास्त मद की जमीनें है। अकेले मध्य प्रदेश सरकार डेढ़ लाख एकड़ से भी ज्यादा सामुदायिक हक की जमीन को सरकारी जमीन बताकर उद्योगों को देने की योजना लैंड बैंक 2014 में बना चुकी है तो फिर पूरे देश के स्तर पर क्या हो रहा होगा? आज जरूरत है सार्वजनिक जमीन की इस लूट के खिलाफ किसान, आदिवासी' दलित और जन संगठनो को संगठित होकर विरोध की आवाज उठाने की।
धरना आंदोलन को एकता परिषद की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य संतोष, एकता परिषद के जिला समन्वयक सरोज सिंह, कस्तूरी बहन, प्रभात वर्मा, राम प्रताप यादव, संतोष उरमलिया, गिरधारी बैगा, संतोष तिवारी, रमाकांत यादव, उमा सिंह, लोरिक यादव, विनय सिंह सहित अन्य ने भी संबोधित किया।

किसानों को दी गई श्रद्धांजलि

देश कि राजधानी दिल्ली की चहुंदिश सीमा में ठिठुरन भारी ठंड में किए जा रहे किसान आंदोलन के दरमियान शहीद हुए 60 से अधिक किसानों को धरना आंदोलन स्थल पर 1 मिनट का मौन रखकर श्रद्धांजलि दी गई एवं दिल्ली के किसान आंदोलन को समर्थन करने की घोषणा की गई।

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