ड्रग इन्स्पेक्टर की उदासीनता से कच्चे बिल पर हो रहा व्यापार ,सरकार को प्रतिमाह लग रहा लाखों का चूना
सीधी।
जिला मुख्यालय सहित अन्य क्षेत्रों में ड्रग इंस्पेक्टर के ढुलमुल रवैया के चलते मेडिकल की दुकानें पूरी तरह से परचून की दुकान सी प्रतीत होती हैं। उचित विधिक कार्यवाही के अभाव में आवश्यक नियमों की खुले आम धज्जियॉ उड़ाई जा रही हैं। डीआई की लचर व्यवस्था के चलते बाजार का आलम कुछ इस तरह हो चला है कि इस कोरोना काल के बावजूद भी ज्यादातर मेडिकल स्टोर संचालकों का पूरा व्यापार ही सिर्फ कलकूलेटर के सहारे चल रहा है। मेडिकल स्टोर से दवाईयॉ क्रय करने के बाद अगर कोई उपभोक्ता बिल की मॉग करता है तो उसे कल और परसों की डेट दे दी जाती है।
जानकारों की मानें तो नये नीति के तहत हर उपभोक्ता को क्रय की सामग्री का बिल देना अनिवार्य है अगर कोई दुकानदार ऐसा करने में आनाकानी करता है तो शासन द्वारा इनसे निपटने के लिये शक्त कानून की व्यवस्था की गई है। सूत्रों से मिली जानकारी के आधार पर जिले में ज्यादातर मेडिकल दुकानों का रजिस्ट्रेशन किसी और के नाम से है और संचालित कोई और कर रहा है।
कल मीडिया द्वारा शहर के दर्जनों मेडिकल स्टोर पर निरीक्षण किया गया और पाया गया कि ज्यादातर दुकानों पर फार्माशिष्ट गायब थे। जो कि सिर्फ कागजों में देखने को मिलते हैं। शेष समय अयोग्य व्यक्ति द्वारा बिना जानकारी के यूॅ ही दवाई विक्रय की जाती है। ग्राहकों को क्रय किये गये दवाईयों के बिल न देने की एक वजह यह भी मानी जा रही है कि मेडिकल की दुकानों पर फार्माशिष्ट के कभी दर्शन ही नहीं मिलते हैं।
ड्रग इन्स्पेक्टर द्वारा बन्द कमरे से होता है निरीक्षण:-
सूत्रों की मानें तो सीधी जिले में ये अधिकारी कपड़ों की भॉति बदले जाते हैं। सीधी जिले के प्रभारी ड्रग इंस्पेक्टर जिसके चलते बाजार क्षेत्र में तानाशाही पूर्ण रवैया हावी हो चुका है। सबसे खास बात तो यह रही है कि महोदय जब कभी सीधी दौरे पर आते हैं तो इनके सारे आवश्यक कार्य व सभी दुकानों का निरीक्षण होटल के बन्द कमरे के माध्यम से ही हो जाता है।
इन जगहों पर संचालित हैं दुकानें:-
शासन द्वारा बनाये गये नियमों की इस कोरोना के संकट काल के दौरान भी वर्तमान समय में खुलेआम धज्जियॉ उड़ाई जा रही हैं जिसमें खासतौर पर ग्रामींण अंचलों में कई ऐसे मेडिकल स्टोर हैं जहॉ रजिस्ट्रेशन की बात तो दूर कई दुकाने झोलों में संचालित हो रही हैं। बात अगर नियमों की करें तो मुख्यायल में ही कई ऐसे चिहिंत दुकानदार हैं जैसे कि गोपालदास मार्ग, सेन्ट्रल स्कूल के समीप, पटेल पुल तिराहे के समीप सहित अन्य कई चिहिंत स्थल हैं। यहॉ पर दुकानों पर कभी भी फार्माशिष्ट नहीं रहता है। साथ ही जीवन रक्षक दवाईयों में स्वच्छता का ध्यान दिया जाता है। जिले के ज्यादातर दुकानों में कई बार एक्सपाइरी दवाईयॉ भी देखने को मिल जाती हैं। सरकार द्वारा चलाई जा रही जीएसटी योजना को पूर्णत: शिथिल किया जा चुका है। जीएसटी कर जो टैक्स भारत सरकार के खाते में जाना चहिये वह दो नम्बर की काली कमाई में जा रहा है। वर्तमान परिवेश में छोटे व्यापारी के पास जीएसटी के विषय में जानकारी का अभाव है तो वहीं बडे व्यापारियों द्वारा लेखा विभाग से संबधित व्यक्तियों को हर माह लाखों का रूपये का भुगतान सिर्फ इस बात के लिये दिया जाता है कि दो नम्बर को एक नंबर में कैसे बदला जाये। बिल में क्रय किये गये माल और बिना बिल के बीच का अंतर सीधे तौर पर जेब में जा रहा है। सबसे बडी बात जो उभर कर सामने आ रही है वह यह है कि जबाब देह अधिकारी कर्मचारी कभी भी अपने उत्तर दायित्व के निर्वहन हेतु बाजार में औचक निरीक्षण नहीं करते है।
सूत्रों की मानें तो ऐसा भी नहीं है कि जबाब देह अधिकारी कर्मचारी की जानकारी में सारा माजरा नहीं है किन्तु व्यापारी और अधिकारी के बीच में सूत्रधार का काम करने वाले विचौलिये अपने दायित्व का निर्वहन भली भॉति कर रहे हैं। जबाब देह अधिकारी कर्मचारियोंं द्वारा अपने दायित्व निर्वहन के प्रति घोर लापरवाही करने के कारण ही सीधी जिले से प्रतिमाह लगभग लाखों रूपये का राजस्व हानि भारत सरकार को उठानी पड रही है।
0 टिप्पणियाँ